।। दक्षा वैदकर ।।
एक बार एक बच्चा बीमार पड़ गया. उसके पिता उसे डॉक्टर के पास ले गये. उन्होंने बच्चे के लिए दवाइयां दी. जब पिता ने बेटे को दवाई खिलाने की कोशिश की, तो उसने दवाई फेंक दी. जबरदस्ती करने पर वह रोने, चिल्लाने लगा. तब मां ने आइडिया निकाला. उन्होंने दवाई को बेटे की पसंदीदा चीज गुलाब जामुन के अंदर छिपाया और उसे खिला दिया. गुलाब जामुन खाने के दौरान बेटे को दवाई का टेस्ट आया, लेकिन वह नाराज नहीं हुआ, क्योंकि उसके साथ गुलाब जामुन का स्वाद मिक्स हो गया था.
यही फंडा हमें लोगों के साथ अपनाना चाहिए. कई बार हम लोगों को कोई नकारात्मक फीडबैक देना चाहते हैं. उन्हें बताना चाहते हैं कि तुम यहां गलत हो, यह काम तुम्हें नहीं करना चाहिए और न जाने क्या-क्या. हम जानते हैं कि यह बात बताने से सामनेवाले का भला होगा, लेकिन हम डरते हैं कि कहीं वह इस बात का गलत अर्थ न निकाल ले. नाराज न हो जाये. ऐसे में हमें उन्हें भी गुलाब जामुन वाली दवाई खिलानी चाहिए.
तुम ज्यादा काम नहीं कर रहे, तुम्हारा ड्रेसिंग सेंस खराब है, तेरे मोजों से बदबू आती है.. ऐसी बातें अगर आप डायरेक्ट करेंगे, तो कोई भी बुरा मान जायेगा. आपको इन बातों को ऐसे बताना होगा कि सामनेवाला समङो कि आप उसे नीचे नहीं दिखाना चाहते हो, बल्कि उसे इम्प्रूव करना चाहते हो. इसके लिए आपको पहले उसकी तारीफ करनी होगी. याद रहें कि उसकी तारीफ असली हो. हर व्यक्ति में कोई न कोई खूबी जरूर होती है. पहले उसकी तारीफ करें, फिर इसी दौरान उसे धीरे से कमी बताएं.
फीडबैक देने के वक्त खुद से भी पूछें कि क्या फीडबैक देना जरूरी है? क्या सचमुच फायदा होगा? आप सामनेवाले से पूछ भी सकते हैं कि क्या मैं आपको एक नेगेटिव फीडबैक दे सकता हूं? इस तरह सामने वाला दिमागी रूप से तैयार हो जाता है. याद रहे कि फीडबैक अकेले में ही दें. सभी के सामने फीडबैक न दें. आप किसी पर भी व्यक्तिगत हमला न करें, केवल उसके व्यवहार की कमी बताएं.
बात पते की..
– ‘तुम्हें बोलने की बिलकुल तमीज नहीं है’, इस लाइन की जगह आप कह सकते हैं कि तुम्हारे शब्द मुङो तकलीफ पहुंचा रहे हैं.
– याद रहे, अगर कोई फीडबैक देने के लिए हां कह दे, तो आप उसकी क्लास लगाने न बैठ जायें. एक बार में केवल एक ही फीडबैक दें.