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आजमगढ़ का संग्राम : सियासी चक्रव्यूह से घिरे मुलायम

आजमगढ़ : सियासी लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की चुनावी लड़ाई का केंद्र भले ही नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी वाले वाराणसी को माना जा रहा हो ,लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख एवं प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के जिताऊ एम-वाई (मुस्लिम यादव) समीकरण को ध्वस्त करने के लिये प्रतिद्वंद्वियों द्वारा बिछायी गयी गोटियों […]

आजमगढ़ : सियासी लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल की चुनावी लड़ाई का केंद्र भले ही नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी वाले वाराणसी को माना जा रहा हो ,लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख एवं प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव के जिताऊ एम-वाई (मुस्लिम यादव) समीकरण को ध्वस्त करने के लिये प्रतिद्वंद्वियों द्वारा बिछायी गयी गोटियों और उससे पैदा हुई जातीय समीकरणों की पेचीदगी ने आजमगढ़ सीट को पूर्वी अंचल की सबसे हाट सीट बना दिया है.

राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो एम-वाई फैक्टर के सहारे मोदी को रोकने के लिये मैनपुरी के साथ-साथ आजमगढ़ से उतरे यादव के खिलाफ भाजपा और बसपा के प्रत्याशियों की पकड और इन दलों के नेताओं के ध्रुवीकरण की कोशिश से भरे बयानों ने ऐसा चक्रव्यूह जैसा रच दिया है कि उससे उबरने के लिये सपा प्रमुख को किसी अचूक धोबीपछाड की जरुरत होगी.

प्रदेश में छठे और आखिरी चरण का चुनावी रण बाकी रह गया है. बसपा और भाजपा के साथ त्रिकोणीय लडाई में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की जीत और हार का फैसला तो 16 मई को होगा लेकिन बसपा और भाजपा की घेराबंदी में जातीय समीकरण, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुसलमानों के बीच पैदा हुई अविश्वास की खाई, स्वजातीय यादव समाज में आजमगढ़ के मौजूदा सांसद और प्रत्याशी रमाकांत यादव की गहरी सेंध और पूर्व विधायक सीपू हत्याकांड से क्षत्रिय समाज की नाराजगी ने मुलायम की पेशानी पर बल ला दिये हैं.

सियासी जानकारों के अनुसार आजमगढ़ में धु्रवीकरण की कोशिश में भाजपा और बसपा बाजी मार ले गये हैं. भाजपा नेता अमित शाह का आजमगढ़ की रैली में विवादित भाषण में यह कहना कि आजमगढ़ आतंकवादियों का अडडा है, के बाद मायावती का लखनऊ प्रेस वार्ता में आजमगढ के भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव को सबसे बडा आतंकवादी बताना इसी कोशिश को दिखाता है.

जानकारों की मानें तो अमित शाह ने जहां सपा के खिलाफ हिन्दू वोटों के धु्रवीकरण की कोशिश की वहीं मायावती ने सपा से पहले ही बाजी मारते हुए इसका जवाब देकर मुस्लिम मतों को अपने पाले में करने की पुरजोर कोशिश की ताकि मुस्लिम मत के साथ उनका दलित वोट बैंक मिलकर ना सिर्फ उन्हें चुनाव जिता सके बल्कि उनके धुर सियासी विरोधी मुलायम सिंह यादव को करारी शिकस्त मिले.

करीब चार लाख यादव मतदाताओं के बाद सपा प्रमुख का मजबूत दावा यहां के एक लाख 40 हजार मुस्लिम वोटों पर भी है. जहां बसपा ने मुबारकपुर सीट के विधायक शाह आलम उर्फ गुडडू जमाली को मैदान में उतार कर पहले ही कदम आगे कर दिया है.

वहीं, उलमा कौंसिल के प्रत्याशी मौलाना आमिर रशदी भी मुलायम का खेल बिगाड रहे हैं. साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्ववद्यालय टीचर्स एसोसिएशन का दल भी आजमगढ़ में डेरा डालकर मुसलमानों से मुलायम को हराने की पुरजोर अपील करके सपा मुखिया के लिये हालात को और विषम बना रहा है.

आजमगढ़ में मुलायम सिंह यादव को पहली बड़ी चुनौती कभी उनके ही झंडाबरदार रहे आजमगढ़ के चार बार के सांसद बाहुबली रमाकांत यादव दे रहे हैं. उनके सपा छोड़ने के बाद लोकसभा के चुनाव में यहां सपा कमजोर होती गयी और पिछले दो लोकसभा चुनावों में रमाकांत के मुकाबले सपा के कद्दावर मंत्री बलराम यादव और दुर्गा प्रसाद यादव तीसरे स्थान पर पहुंच गये थे.

यहां का यादव मतदाता विधानसभा चुनाव में भले ही सपा को वोट दे लेकिन लोकसभा चुनाव में उसने रमाकांत को तरजीह दी है. रमाकांत अपनी यादव बिरादरी के लोगों के बीच जाकर खुले तौर पर मुलायम को ललकार रहे हैं और कह रहे हैं कि सपा प्रमुख तो बाहरी हैं ,मैं आप का बेटा हूं.

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