<p>उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में कर्ज़ से त्रस्त एक किसान ने आत्महत्या कर ली.</p><p>शिकोहाबाद क़स्बे में छीछामऊ गांव के रहने वाले सतीश चंद्र ने गांव के ही कुछ साहूकारों से कर्ज़ लेकर आलू की खेती की थी, लेकिन खेती में घाटा होने के कारण वो कर्ज़ चुका नहीं पाए और गुरुवार को ख़ुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42113927">गुजरात का पोलियोग्रस्त किसान जो लाया अनार की बहार</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42055611">’देश में किसान और किसानी की हत्या हो रही है'</a></p><p>फ़िरोज़ाबाद की ज़िलाधिकारी नेहा शर्मा ने बीबीसी को बताया कि सतीश चंद्र ने सुसाइड नोट में उन्हें परेशान करने वाले जिन लोगों का ज़िक्र किया है, उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई है.</p><p>ज़िलाधिकारी नेहा शर्मा का कहना था कि सतीश चंद्र ने कुछ पैसे लौटा दिए थे और कुछ ही बाक़ी थे जिनकी वसूली के लिए साहूकार उन पर दबाव बना रहे थे.</p><p>नेहा शर्मा के मुताबिक सतीश चंद्र ने गांव के ही कुछ लोगों से कर्ज़ लिया था जबकि परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड से भी कुछ कर्ज़ ले रखा था.</p><p>सतीश के परिवार वालों के मुताबिक उन्होंने अपने खेतों के अलावा कुछ और खेत बट्टे पर ले रखे थे और इन पर आलू की खेती कर रहे थे.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42466331">इस खेती के दौरान पत्नी से अलग सोते हैं किसान</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-41379144">’किसान से प्रीमियम 1800 और मुआवज़ा 100 रुपये’ </a></p><h1>छह लाख रुपये का कर्ज़</h1><p>अच्छी पैदावार के बावजूद लगातार घाटा होने के कारण सतीश क़रीब छह लाख रुपये के कर्ज़ में डूब गए थे. परिवार वालों का कहना है कि सिर्फ़ ब्याज ही इतना ज़्यादा होता जा रहा था कि उसे चुकाना मुश्किल हो गया था.</p><p>परिवार वालों की मानें तो घटना से एक दिन पहले एक साहूकार अपने रुपये वापस मांगने आया था और न दे पाने के कारण सतीश को काफी बुरा-भला कहा था.</p><p>माना जा रहा है कि इसी तनाव के चलते सतीश ने देसी तमंचे से कनपटी पर गोली मार ली. फ़ायरिंग की आवाज़ सुनकर लोग वहां पहुंचे और सतीश को अस्पताल ले जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.</p><h1>पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार</h1><p>ज़िलाधिकारी नेहा शर्मा का कहना था, "परिवार वाले पहले पोस्ट मार्टम नहीं कराना चाहते थे लेकिन बाद में वो इसके लिए तैयार हो गए. उनकी मौत कैसे हुई, ये पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा लेकिन आत्महत्या की पुष्टि इस बात से हो रही है कि उन्होंने सुसाइड नोट छोड़ा है और उसमें कुछ लोग के उन्हें परेशान करने का जिक्र है."</p><p>फ़िरोज़ाबाद और फ़र्रुख़ाबाद के इलाकों में किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं. इस बार आलू की फ़सल भी बहुत अच्छी हुई है लेकिन किसानों को आलू की सही क़ीमत नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से लागत निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है. </p><p>जानकारों के मुताबिक आलू की खेती में लागत भी काफी आती है और किसान इसके लिए कर्ज़ लेते हैं जिसे बाद में चुका देते हैं. लेकिन, फ़सल में घाटा होने के कारण कई किसान कर्ज़ अदा नहीं कर पा रहे हैं.</p><p>पिछले दिनों बड़ी संख्या में किसानों ने आलू सड़कों पर फेंक दिए थे. इसकी वजह ये बताई गई कि आलू की क़ीमत एक रुपये प्रति किलो से भी कम हो गई है जिसके चलते किसान कोल्ड स्टोरेज का ख़र्च उठाने में भी सक्षम नहीं थे. इसलिए उन्होंने आलू को सड़क पर फेंक देने में ही भलाई समझी.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
यूपी: आत्महत्या को मजबूर हुआ कर्ज़ में डूबा किसान
<p>उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में कर्ज़ से त्रस्त एक किसान ने आत्महत्या कर ली.</p><p>शिकोहाबाद क़स्बे में छीछामऊ गांव के रहने वाले सतीश चंद्र ने गांव के ही कुछ साहूकारों से कर्ज़ लेकर आलू की खेती की थी, लेकिन खेती में घाटा होने के कारण वो कर्ज़ चुका नहीं पाए और गुरुवार को ख़ुद को […]
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