<p>"कल तक जिस वर्दी की धौंस जमाकर कोई पुलिस वाला ट्रेनों में या चौक-चौराहों पर बड़ी हिकारत के साथ हमें ‘छक्का’ कह कर निकाल देता था. सोचिए कि वही वर्दी हम पर कैसी लगेगी? हम लोग एक नया इतिहास लिखने की तैयारी कर रहे हैं."</p><p>अपनी डबडबाई आंखों के साथ संजना यह सवाल और जवाब एक साथ हवा में उछाल देती हैं और फिर से अपने अभ्यास में जुट जाती हैं. </p><p>रायपुर की संजना थर्ड जेंडर समुदाय के उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने इन दिनों पुलिस में भर्ती के लिए दिन-रात एक की हुई है.</p><p>एक तरफ़ लिखित परीक्षा के लिये पढ़ाई और फिर कई घंटों तक दौड़-भाग कर ख़ुद को शारीरिक दक्षता परीक्षा के मुकाबले के लिये तैयार करना किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन थर्ड जेंडर समुदाय से जुड़े लोगों का उत्साह बताता है कि वे किसी भी चुनौती के लिये तैयार हैं. </p><h1>पुलिस भर्ती में शामिल होंगे थर्ड जेंडर</h1><p>असल में छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस के 2259 पदों पर भर्ती के लिये पहली बार थर्ड जेंडर को भी मौका दिया है. इन पदों पर भर्ती के लिये थर्ड जेंडर समुदाय से जुड़ा कोई भी व्यक्ति अपनी सुविधा से महिला या पुरुष वर्ग में आवेदन कर सकता है. जिस वर्ग में आवेदन किया जायेगा, थर्ड जेंडर को उसी के अनुरूप निर्धारित शारीरिक मापदंड पूरे करने होंगे. </p><p>छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग की मंत्री रमशीला साहू का दावा है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने तृतीय लिंग कल्याण बोर्ड का गठन किया और उसके बाद समाज के सभी वर्गों में संवेदनशीलता जगाने के लिये लगातार शिविर भी किये हैं.</p><p>रमशीला साहू कहती हैं, "हमारी कोशिश है कि थर्ड जेंडर समूह के लोगों को समाज में समान अधिकार मिले और सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले. अब सरकारी नौकरियों में भी इस वर्ग को जगह दी जा रही है."</p><p>जब छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले महीने पुलिस भर्ती के लिये विज्ञापन निकाला तो पहली बार थर्ड जेंडर के लिये इस विज्ञापन में विशेष निर्देश दर्ज़ किये गये.</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42011409">क्यों ‘बुलेट राजा’ नहीं बन पाईं पायल?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india-42484687">सरकार से इतने नाराज़ क्यों हैं ट्रांसजेंडर?</a></li> </ul><h1>पुलिस में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत</h1><p>पिछले कई सालों से थर्ड जेंडर समुदाय की समाज में स्वीकार्यता, उनके स्वास्थ्य और उनकी आजीविका जैसे मुद्दों पर काम कर रही विद्या राजपूत कहती हैं कि देश में थर्ड जेंडर समुदाय के पुलिस में काम करने के केवल तीन मामले सामने आये हैं. वहां भी लंबी अदालती लड़ाई लड़नी पड़ी है.</p><p>सरकार के थर्ड जेंडर वेलफ़ेयर बोर्ड की सदस्य विद्या कहती हैं, "देश में पहली बार पुलिस भर्ती में थर्ड जेंडर को स्थान दिया जा रहा है, उसे लेकर हमारे समुदाय में भारी उत्साह है. मेरे पास जो जानकारी है, अब तक हमारे समुदाय के 40 से अधिक लोगों ने भर्ती के लिये आवेदन किया है, जिसमें सरगुजा से लेकर माओवाद प्रभावित कोंडागांव तक के लोग शामिल हैं."</p><p>विद्या इस बात से ख़ुश हैं कि पुलिस भर्ती की परीक्षा की तैयारी के लिये लगभग प्रत्येक ज़िले में थर्ड जेंडर के लोगों को पुलिस प्रशिक्षण दे रही है. </p><p>रायपुर पुलिस फ़ील्ड में प्रशिक्षण लेने वाली तनुश्री कहती हैं, "आप मानकर चलिये कि मुझे पुलिस में भर्ती होने से कोई नहीं रोक सकता. कड़ी मेहनत करके मैं पुलिस में अपनी जगह बनाकर रहूंगी."</p><p>बिलासपुर की पूर्णिमा का कहना है कि अभी तक हमारी पहचान केवल तालियां बजाने, ट्रेनों में भीख मांगने और लोगों के घर में बधाई गीत गाने तक ही सीमित रही है. अब हम जनता की सुरक्षा में भी शामिल होने वाले हैं.</p><h1>भर्ती के साथ-साथ पहचान की भी परीक्षा</h1><p>राजनांदगांव इलाके की थर्ड जेंडर समुदाय की गीता चाहती हैं कि अगर उनका चयन पुलिस में हो जाता है तो प्रशिक्षण के बाद उनकी पहली पोस्टिंग बस्तर के इलाके में हो, जहां वे माओवादियों से दो-दो हाथ कर सकें. </p><p>वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए पुलिस भर्ती की यह परीक्षा उनकी पहचान की परीक्षा भी बन गई है.</p><p>बस्तर की रहने वाली बिजली को पड़ोस और समाज के लोग अब भी एक पुरुष के तौर पर ही जानते हैं. उन्होंने खेल प्रतियोगिताओं में राज्य स्तर पर बतौर पुरुष प्रतिभागी कई पदक जीते हैं. </p><p>लेकिन बतौर पुरुष अपनी पहचान से वे तंग आ चुकी हैं. </p><p>बिजली कहती हैं, "मैं थर्ड जेंडर समुदाय से हूं और ये बात आज तक सार्वजनिक नहीं हुई है. मैं अब भी लोक-लाज के भय से अपनी पहचान छुपाती रही हूं. लेकिन एक बार पुलिस में मेरी भर्ती जो जाये तो फिर मैं अपने तरीके से जी सकूंगी."</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/vert-tra-42718574">वो देश जहां रहना किसी का भी ख़्वाब हो सकता है</a></li> </ul> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/magazine-41038752">किन्नरों की ज़िंदगी के वो रंग जो अनदेखे हैं</a></li> </ul><h1>बदलेगी पुलिस की पहचान</h1><p>सामाजिक कार्यकर्ता और मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रेरणा सक्सेना मानती हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले कुछ महीनों में थर्ड जेंडर के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने के लिये जिस तरह से एक के बाद एक कार्यशालाओं का आयोजन किया है, उससे समाज में बहुत फ़र्क़ पड़ा है. </p><p>प्रेरणा कहती हैं, "पुलिस में भर्ती की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिये. छत्तीसगढ़ पुलिस में थर्ड जेंडर की भर्ती की शुरुआत, थर्ड जेंडर समुदाय की पूरी छवि बदल कर रख देगी."</p><p>अगले कुछ दिनों में भर्ती परीक्षा शुरु होगी और फिर यह तय होगा कि छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर की छवि किस हद तक बदलेगी. </p><p>ज़ाहिर है, थर्ड जेंडर के साथ-साथ यह छत्तीसगढ़ पुलिस की भी पहचान बदलने वाला साबित होगा, जहां पहली बार थर्ड जेंडर समुदाय से जुड़े लोग महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ क़दम ताल करेंगे.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक </a><strong>कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi/">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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छत्तीसगढ़ पुलिस में भर्ती होंगे थर्ड जेंडर समुदाय के लोग?
<p>"कल तक जिस वर्दी की धौंस जमाकर कोई पुलिस वाला ट्रेनों में या चौक-चौराहों पर बड़ी हिकारत के साथ हमें ‘छक्का’ कह कर निकाल देता था. सोचिए कि वही वर्दी हम पर कैसी लगेगी? हम लोग एक नया इतिहास लिखने की तैयारी कर रहे हैं."</p><p>अपनी डबडबाई आंखों के साथ संजना यह सवाल और जवाब एक […]
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