।।दक्षा वैदकर।।
पिछले दिनों एक परिचित से मैंने पूछा कि आजकल ऑफिसों में बड़ी संख्या में युवा काम करने लगे हैं और उनकी रचनात्मकता, तेजी व मेहनत से जल कर कई सीनियर उन्हें परेशान करने लगते हैं. सीनियरों को लगता है कि यह कल का लड़का उनसे आगे निकलने की कोशिश कर रहा है. फलस्वरूप वे उसके कामों में परेशानियां खड़ी करने लगते हैं और उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं. ऐसे लोगों का क्या किया जाना चाहिए? इसके जवाब में मेरे उन परिचित रिटायर ऑफिसर ने एक गजब की बात बतायी. पहले तो उन्हें इस किस्से को सुनाने के लिए बधाई, क्योंकि कोई भी अपनी गलती के बारे में खुद नहीं बताता है. अब आप किस्सा सुनें.
उन्होंने बताया, ‘जब मैं नौकरी के सर्वोच्च शिखर पर था, तब मेरी बुद्धिमानी और अनुभव के सभी लोग कायल थे. मेरी बनायी गयी स्कीमों पर बिना चर्चा किये उसे स्वीकार कर लिया जाता था. तभी एक उत्कृष्ट जूनियर अधिकारी ने ऑफिस ज्वॉइन किया. उसने एक-दो सकारात्मक सुझाव दिये. अपने अहंकार में मैंने इस बात को उसकी उद्दंडता माना और उसे परेशान करने लगा. मैंने उसे यह तक कह दिया, मैं तुम्हारा प्रोमोशन नहीं होने दूंगा. वह अपने नये सोच के साथ काम पर लगा रहा. आगे चल कर वह उस ऑफिस का सबसे प्रमुख एमडी बन गया.’
कितनी सच बात है. नये विचारों को स्वीकार करने की जगह हम उन्हें दंडित करना चाहते हैं. अपने पद के घमंड में हम कमजोर का बार-बार हनन करते हैं, जो हमारे गले के हड्डी भी बन सकता है. एक कौए के घोसले के अंडे उस पेड़ के कोटर में रहनेवाले एक सांप ने खा लिये. कौआ परिवार दूसरे पेड़ पर चला गया. सांप ने उनका पीछा नही छोड़ा और वहां भी जाकर अंडा खा लिया.
जब सांप ने तीसरी जगह उसके अंडे खाये, तो कौए ने अपनी जान की परवाह न कर रानी का हीरे का हार उठा लिया और उस हार को पेड़ के कोटर में डाल दिया. पीछा करते आये सैनिकों ने कोटर में बैठे सांप को मार दिया और हार ले गये. कहने का तात्पर्य यह है कि नये प्रतिभाशाली व्यक्ति को यदि आप प्रोत्साहित नही करना चाहें, तो न करें, लेकिन यदि आप उसे बार-बार प्रताड़ित करेंगे, तो वह आपके गहरे दुख का कारण बन सकता है.
बात पते कीः
-यदि आप सीनियर हैं और किसी जूनियर को इसी वजह से परेशान कर रहे हैं, तो आज ही कसम खायें कि आप प्रतिभा को अपमानित नहीं करेंगे.
-यदि आप जूनियर हैं और कोई सीनियर आपको परेशान कर रहा है, तो उसे उसकी गलती का अहसास करायें. हां, अपने काम से भी विचलित न हों.