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गांधी परिवार अमेठी में वोट नहीं मांगता

।। राजेंद्र कुमार ।। अमेठी जिले की सीमा में दाखिल होते ही जगदीशपुर में सड़क किनारे खड़ी सेल, गेल, भेल, इंडो गल्फ जैसी बड़ी कंपनियों की इमारतें इलाके के औद्योगिकीकरण के साथ गांधी परिवार की विकास की गढ़ी इबारतों का बखूबी अहसास कराती हैं. पर सड़क से नीचे उतरते ही उतेलवा व कमरौली ग्रामसभा क्षेत्र […]

।। राजेंद्र कुमार ।।

अमेठी जिले की सीमा में दाखिल होते ही जगदीशपुर में सड़क किनारे खड़ी सेल, गेल, भेल, इंडो गल्फ जैसी बड़ी कंपनियों की इमारतें इलाके के औद्योगिकीकरण के साथ गांधी परिवार की विकास की गढ़ी इबारतों का बखूबी अहसास कराती हैं. पर सड़क से नीचे उतरते ही उतेलवा व कमरौली ग्रामसभा क्षेत्र में 20-25 साल पहले आबाद हुए औद्योगिक क्षेत्र का उजाड़पन अमेठी संसदीय क्षेत्र की खुरदरी असलियत को बयां कर देता है.

यहां के करीब 60 फीसदी उद्योग बंद हो चले हैं, कई कंपनियां नीलाम हो चुकी हैं. बीते तीन दशक से देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले इस अमेठी संसदीय क्षेत्र में बंद हुए यही उद्योग अब लोगों की नाराजगी का सबब बने गए हैं. इस संसदीय क्षेत्र को वीवीआईपी दर्जा दिलाने वाले गांधी परिवार के राहुल गांधी पर विपक्षी दल बंद उद्योगों को लेकर निशाना साध रहे हैं. पर विपक्षी लोग राहुल गांधी को लोगों के दिलों से बाहर नहीं निकाल पा रहे.

राहुल गांधी दो बार से अमेठी के सांसद हैं. तीसरी बार यहां से संसद में पहुंचने के लिए फिर मैदान में हैं. उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास ताल ठोक रहे हैं. भाजपा ने स्मृति ईरानी को और बसपा ने डॉ धर्मेंद्र को उम्मीदवार बनाया है. कुमार विश्वास बीती 12 जनवरी से यहां डेरा डाले हैं. जबकि स्मृति ईरानी आठ अप्रैल से यहां पर हैं. इसके पहले ये दोनों कभी अमेठी नहीं आये थे.

अब राहुल गांधी को हराने के लिए ये दोनों अमेठी की जनता से अपने लिए वोट मांग रहे हैं. इसके विपरीत राहुल गांधी वोट नहीं मांगते. राहुल गांधी के लिए अमेठी की गलियों और गांव-गांव में प्रचार कर रही प्रियंका गांधी भी वोट नहीं मांगतीं. दस साल बाद राहुल के लिए अमेठी में सभा करने आयी सोनिया गांधी ने भी राहुल के लिए यहां वोट नहीं मांगा, अमेठी के लोगों से सिर्फ यही कहा कि बेटा दिया है, उसका ख्याल रखना. सोनिया गांधी की यह भावुक अपील राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों पर भारी पड़ेगी, यह दावा अमेठी के सभी विधानसभा क्षेत्रों में अब लोग कर रहे हैं.

इसकी मुख्य वजह अमेठी के लोगों का सीधे गांधी परिवार से जुड़ाव है. राहुल गांधी हर माह एक या दो बार अमेठी जरूर आते हैं. जनता दरबार लगाते हैं और उसमें पहुंचे एक-एक व्यक्ति से मिलते हैं. लोग जो समस्या बताते हैं उसका निदान कराते हैं. यही काम प्रियंका भी करती हैं. सभी से व्यक्तिगत रूप से मिलती हैं. सुरक्षा घेरा तोड़ कर खेत में काम कर रही महिलाओं से मिल कर उनके साथ खाना खा लेती हैं. प्रियंका लोगों को राहुल द्वारा कराए गए कार्यों के बारे में बताती हैं. यह भी कहती हैं कि राहुल बिल्कुल राजीव गांधी की तरह काम कर रहे हैं. अमेठी के विकास के लिए जो बन पड़ेगा वह जरूर करेंगे. राहुल गांधी के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद से प्रियंका इसी तरह अमेठी में चुनाव प्रचार कर रही हैं.

संजय गांधी के जमाने से कांग्रेस से जुड़े रहे अवधी लेखक जगदीश पीयूष कहते हैं कि गांधी परिवार के लिए अमेठी एक परिवार है. जबकि कुमार विश्वास, स्मृति ईरानी और अन्य लोगों के लिए यह एक संसदीय क्षेत्र है. अमेठी गांधी परिवार का अभेद्य दुर्ग क्यों है? यह पूछने पर पीयूष बोले- अमेठी की तस्वीर गांधी परिवार ने बदली है. गांधी परिवार की पहल पर ही यहां कच्ची सड़के पक्की हुईं, उद्योग लगे, करीब 70 बैंक, 60 एटीएम, 30 डाकघर, सभी 16 ब्लॉक में मोबाइल अस्पताल, दो दर्जन ट्रेनों और नौ राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा है. घर-घर इंडिया मार्का हैंडपंप लगे हैं.

मुंशीगंज में 350 बिस्तरों का देश का सबसे बड़ा ग्रामीण अस्पताल, इंदिरा गांधी नेत्र अस्पताल है. अमेठी वाले नहीं जानते रसोई गैस की किल्लत, नहीं जानते वेटिंग टिकट पर चलना. जहां जाते हैं वीआईपी इलाज पाते हैं. इस ट्रीटमेंट के चलते अमेठी के लोगों को गांधी परिवार के अलावा अब कोई और भाता ही नहीं.

इतना सब कुछ करने के बाद भी यहां के लोग गांधी परिवार से खिन्न दिख रहे हैं? जामों के सुरेश पासी से यह पूछा तो वह बोले- सबको तो भगवान राम भी नहीं खुश कर पाए थे. हैं कुछ लोग नाराज, तो क्या? कुमार विश्वास को भी तो लोगों ने यहां पीट दिया था. तब से उन्होंने राहुल गांधी को लेकर अंट-शंट बोलना बंद कर दिया और अब मैं पागल हूं वाली कविता जगह-जगह सुना रहे हैं. कहते हैं कि यह कविता सुनाने के लिए वह लाख रुपये लेते थे, पर अब तो फ्री में सुना रहे हैं फिर भी कोई उन्हें सुन नहीं रहा.

कुमार विश्वास के लिए दिल्ली से आए सैकड़ों छात्र उनका प्रचार साहित्य बांट रहे हैं. जबकि स्मृति ईरानी पूरे अमेठी में घूम-घूम कर अपने को टीवी वाली बहू बता रही हैं. स्मृति के यहां आने के बाद से कुमार विश्वास को सुनने में लोगों की रुचि घटी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता उन्हें जमाने में जुटे हैं. पार्टी कार्यकर्ता जोश में है. गांव-गांव में वे स्मृति ईरानी का प्रचार करते घूम रहे हैं.

बसपा के धर्मेंद्र तो पार्टी के वोटबैंक के भरोसे हैं. सपा ने राहुल के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा है. यहां के चुनावी संघर्ष को लेकर कंप्यूटर स्कूल के प्रबंधक स्वामीनाथ कहते हैं कि राहुल गांधी को भाजपा से इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है. पहली बार राहुल गांधी ऐसे कठिन मुकाबले में फंसे हैं, पर प्रियंका गांधी के रहते राहुल को इसकी चिंता नहीं होगी. क्योंकि गांधी परिवार से स्नेह रखनेवाली जनता के भरोसे प्रियंका राहुल की नाव को पार लगा देंगी.

* अमेठी से अब तक जो संसद पहुंचे

1967 : वीडी बाजपेयी, कांग्रेस

1971 : वीडी बाजपेयी, कांग्रेस

1977 : रवींद्र प्रताप सिंह, जनसंघ

1980 : संजय गांधी, कांग्रेस

1981 : राजीव गांधी, कांग्रेस

1984 : राजीव गांधी, कांग्रेस

1989 : राजीव गांधी, कांग्रेस

1991 : राजीव गांधी, कांग्रेस

1991 : सतीश शर्मा, कांग्रेस

1996 : सतीश शर्मा, कांग्रेस

1998 : संजय सिंह, भाजपा

1999 : सोनिया गांधी, कांग्रेस

2004 : राहुल गांधी, कांग्रेस

2009 : राहुल गांधी, कांग्रेस

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