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अब 24 घंटे आपकी मुट्ठी में मोबाइल बैंकिंग

कुछ साल पहले तक लोगों को बैंक से अपने पैसे हासिल करने के लिए कार्यदिवस में बैंक जाकर घंटों लाइन में लगना पड़ता था. मोबाइल बैंकिंग ने इस परेशानी को दूर कर दिया है. बैंक अब 24 घंटे आपकी मुट्ठी में है. बैंकिंग से संबंधित कई काम आप अपने मोबाइल फोन के जरिये ही कहीं […]

कुछ साल पहले तक लोगों को बैंक से अपने पैसे हासिल करने के लिए कार्यदिवस में बैंक जाकर घंटों लाइन में लगना पड़ता था. मोबाइल बैंकिंग ने इस परेशानी को दूर कर दिया है. बैंक अब 24 घंटे आपकी मुट्ठी में है. बैंकिंग से संबंधित कई काम आप अपने मोबाइल फोन के जरिये ही कहीं से भी कभी भी निपटा सकते हैं. क्या है मोबाइल बैंकिंग, इससे कैसे बदल रहा है बैंकिंग का स्वरूप, किसे दी जा सकती है यह सुविधा और क्या हैं इसके फायदे तथा इससे जुड़े प्रमुख जोखिम, बता रहा है आज का नॉलेज..

-सतीश सिंह-

(लेखक एक प्रमुख बैंक में अधिकारी हैं)

ए क जमाना था जब लोग बैंकों के खुलने के लिए निर्धारित समय सीमा के अंदर बैंकिंग से जुड़े अपने काम निपटाने के लिए मजबूर थे. अधिकतर लोगों को बैंक से जुड़े अनेकानेक कामों का निष्पादन अकसर करना पड़ता है, जिनमें पैसों की निकासी लोग सबसे अधिक करते हैं. 1990 से पहले बैंकिंग क्षेत्र में आधुनिक सूचना-प्रौद्योगिकी का योगदान नहीं के बराबर था. उस समय बैंक का सारा काम मैन्युअल होता था. पैसों की निकासी या तो चेक से की जाती थी या फिर निकासी स्लीप के जरिये. इस वजह से लोग बैंक के बंद रहने या बैंकिंग कार्य की समय-सीमा समाप्त हो जाने पर अमूमन अपना काम उधार लेकर करते थे. कभी-कभी ऐसी भी नौबत आती थी कि बैंक में पैसा जमा रहने के बावजूद अचानक जरूरत पड़ने पर पैसों का इंतजाम नहीं हो पाने के कारण लोगों का समय से इलाज नहीं हो पाता था. भला हो सूचना एवं प्रौद्यौगिकी का, जिसने लोगों का जीवन आसान बना दिया. इस नये जमाने की बैंकिंग का एक अहम हिस्सा मोबाइल बैंकिंग है, जिसने पुरानीबैंकिंग की परिभाषा को पूरी तरह से बदल दिया है.

अब बैंक खुलने का इंतजार नहीं करना पड़ता है

आज बैंक से पैसा निकालने के लिए न तो किसी को बैंक खुलने का इंतजार करना पड़ता है और न ही लंबी लाइन में लगने की जरूरत होती है. अब मोबाइल बैंकिंग के कारण बैंकिंग देश-काल की सीमा से परे हो गयी है. साथ ही, इसकी उपलब्धता 24 घंटे और 365 दिन हो गयी है. इस दृष्टिकोण से मोबाइल बैंकिंग को आधुनिक बैंकिंग का रीढ़ कहा जा सकता है.

उपयोग की सरल प्रक्रिया एवं अकूत फायदों की वजह से मोबाइल बैंकिंग लोगों के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. धीरे-धीरे लोग इसके उपयोग के आदी होते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप बैंक शाखा में जाकर बैंकिंग जरूरतों को पूरा करनेवालों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है.

मोबाइल बैंकिंग के शुरुआती दिन

मोबाइल बैंकिंग मोबाइल पर आधारित बैंकिंग सेवा है, जिसे मोबाइल की सहायता से ही संपन्न किया जा सकता है. मोबाइल का आविष्कार बहुत पुराना नहीं है. 20वीं शताब्दी के 90 के दशक में मोबाइल फोन का इस्तेमाल शुरू हुआ था. आरंभ में इसका उपयोग बहुत ही महंगा था. इसलिए बैंकों के लिए मोबाइल आधारित कोई सेवा शुरू करना व्यावहारिक नहीं था. जब मोबाइल के उपयोग की लागत कुछ कम हुई, तो एक यूरोपियन बैंक ने सबसे पहले 1999 में मोबाइल बैंकिंग की सुविधा शुरू की. उस समय मोबाइल बैंकिंग के तहत केवल एसएमएस की सुविधा दी जाती थी. भारत में इस उत्पाद का आगाज सही मायनों में वर्ष 2005 के बाद हुआ. आरंभ में यहां भी मोबाइल बैंकिंग के तहत सिर्फ एसएमएस की सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी.

मोबाइल बैंकिंग के मुख्यत: तीन भाग

आज के संदर्भ में मोबाइल बैंकिंग के जरिये बैंक से जुड़े विभिन्न कार्याे का संपादन घर बैठे करने को मोबाइल बैंकिंग कहते हैं. यह मोबाइल के जरिये भुगतान करने से अलग प्रक्रिया है. समझने के लिए इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है. (1) मोबाइल अकाउंटिंग (2) मोबाइल ब्रोकरेज (3) मोबाइल वित्तीय सूचना सेवा. मोबाइल अकाउंटिंग एवं मोबाइल ब्रोकरेज के तहत ट्रांजेक्शन से जुड़े बैंकिंग कार्यकलापों का निष्पादन किया जाता है और मोबाइल वित्तीय सूचना सेवा के तहत पूछताछ एवं अन्य गैर-वित्तीय सेवाएं प्रदान की जाती हैं.

स्मार्ट फोन है जरूरी

सामान्यत: मोबाइल बैंकिंग के लिए स्मार्ट फोन का होना जरूरी है, जिसमें मोबाइल बैंकिंग से संबंधित एप्स को डाउनलोड किया जा सके. हालांकि, इस परिकल्पना को हर स्थिति में मान्य नहीं माना जा सकता, क्योंकि बाजार में विविध ऑपरेटिंग सिस्टम के मोबाइल उपलब्ध हैं. इस कारण सभी मोबाइल पर मोबाइल बैंकिंग का कार्य नहीं किया जा सकता है. जिस बैंक से ग्राहक मोबाइल बैंकिंग की सुविधा लेना चाहता है, उस बैंक के मोबाइल बैंकिंग का सॉफ्टवेयर ग्राहक के मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल है या नहीं, यह ग्राहक को सुनिश्चित करना होता है. बैंक भी इस कार्य में ग्राहक की मदद करता है. इस आलोक में बैंकों के लिए सभी तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल मोबाइल बैंकिंग का सॉफ्टवेयर बनाना एक चुनौती है. अगर बैंक ऐसा कर लेता है, तो मोबाइल बैंकिंग के ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी का होना निश्चित है. मालूम हो कि मौजूदा समय में कुछ बैंकों का सॉफ्टवेयर जावा एमइ समर्थित है, तो कुछ का सिम एप्लिकेशन टूल किट आधारित.

किसे दी जा सकती हैयह सुविधा

मोबाइल बैंकिंग की सुविधा सभी ग्राहकों को दी जा सकती है. इसके लिए ग्राहक को मोबाइल बैंकिंग सेवा हेतु निबंधन कराना होता है. यह सेवा केवाइसी पूरा करनेवाले ग्राहकों एवं नो फ्रिल्स, जिसका खाता शून्य राशि से खोला जाता है तथा उसे केवाइसी में रियायत दी जाती है. इस मामले में ट्रांजेक्शन की सीमा का फर्क होता है. केवाइसी का अनुपालन करनेवाले ग्राहकों के लिए ट्रांजेक्शन की सीमा अधिक होती है. हां, इसके बरक्स बैंकों में नियम अलग-अलग हो सकते हैं.

आखिर क्यों जरूरी है मोबाइल बैंकिंग

एक आकलन के मुताबिक, 125 करोड़ आबादी की बैंकिंग जरूरतों को बैंक शाखा के द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि देश के कोने-कोने में बैंक शाखा खोलना और वहां बैंकिंग कार्यकलापों का सुचारु रूप से संचालन को सुनिश्चित करना एक महंगी एवं अव्यावहारिक प्रक्रिया है. लिहाजा मोबाइल बैंकिंग को वित्तीय समावेशन की संकल्पना को पूरा करने के एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. इसके अतिरिक्त मोबाइल बैंकिंग किसी भी शाखा में किये जा रहे बैंकिंग कार्य के संचालन से 10 गुना सस्ता भी है. मोबाइल का इस्तेमाल करने के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है और यहां मोबाइल के 900 मिलियन उपभोक्ता हैं. जाहिर है इसकी मदद से आसानी से वित्तीय समावेशन की संकल्पना को साकार किया जा सकता है. यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश की 60 प्रतिशत आबादी अब भी बैंकिंग सुविधाओं से महरूम है. आज की तारीख में मोबाइल बैंकिंग के जरिये पैसों का भुगतान, अंतरण, बिलों का भुगतान आदि कार्य किये जा रहे हैं, जिससे ग्राहकों की तकरीबन सभी सामान्य जरूरतें पूरी हो रही हैं. मोबाइल बैंकिंग ने बैंकिंग के संदर्भ में विश्व को एक गांव बना दिया है. अब ग्राहक किसी भी समय दुनिया में कहीं से बैंकिंग जरूरतों को पूरा कर सकता है, जिससे ग्राहकों का बहुमूल्य समय बच रहा है और वह उसका उपयोग अपने परिवार व दोस्तों के लिए कर रहा है.

मोबाइल बैंकिंग की सीमाएं और समस्याएं

इसमें दो राय नहीं है कि हमारे देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या है, लेकिन मोबाइल बैंकिंग के लिए स्मार्ट फोन का होना जरूरी है. एक अनुमान के मुताबिक, कुल मोबाइल उपभोक्ताओं के सिर्फ 20 प्रतिशत के पास ही स्मार्ट फोन है. स्मार्ट फोन के अभाव में संपूर्णता में मोबाइल बैंकिंग की सुविधा का लाभ नहीं उठाया जा सकता है. दरअसल, सामान्य मोबाइल में बैंकिंग ऐप्स डाउनलोड नहीं किया जा सकता है. डाउनलोड होने पर भी वह अकसर ठीक से कार्य नहीं करता है. स्पष्ट है कि बैंकिंग ऐप्स के अभाव में ग्राहक को हर बैंकिंग ट्रांजेक्शन के बाद एसएमएस का इंतजार करना पड़ेगा, जिससे उसे बेहद परेशानी होगी.

टीआरएआइ के नियमों के अनुसार, ग्राहक एक साथ नौ मोबाइल सिम नंबर ले सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार सिर्फ एक ही सिम नंबर पर मोबाइल बैंकिंग की सुविधा दी जा सकती है. गौरतलब है कि मोबाइल बैंकिंग के जरिये अभी तक केवल 50,000 रुपये तक भुगतान की सुविधा ग्राहकों को प्रति माह दी जा रही है. जानकारों के मुताबिक, मोबाइल बैंकिंग की वर्तमान स्थिति वैसी ही है, जैसा क्रेडिट कार्ड का 20 साल पहले और एटीएम का 15 साल पहले था. बावजूद इसके जल्द ही इसके हालत में सुधार आने की संभावना है.

मोबाइल बैंकिंग से जुड़े कुछ प्रमुख जोखिम

भले ही सूचना एवं प्रौद्योगिकी की मदद से बैंकिंग इंडस्ट्री में क्रांति का सूत्रपात हुआ है, लेकिन इसके साथ-साथ सुरक्षा से संबंधित अनेक जोखिमों का भी जन्म हुआ है. इस संबंध में मोबाइल बैंकिंग के भी अपने जोखिम हैं. चूंकि मोबाइल बैंकिंग के जरिये वित्तीय ट्रांजेक्शन संपन्न होता है. इसलिए विशेष सावधानी बरतना अति आवश्यक है. मोबाइल बैंकिंग के लिए चिह्न्ति मोबाइल हैंड सेट का इस्तेमाल कोई दूसरा नहीं करे, यूजर आइडी और पासवर्ड का सावधानी से उपयोग किया जाये, सर्विस प्रोवाइडर से मोबाइल हैंड सेट का सत्यापन कराकर मोबाइल बैंकिंग की सुविधा का उपयोग किया जाये, ओटीपी का इस्तेमाल करना सुनिश्चित किया जाये आदि.

भारत में मोबाइल बैंकिंग

मोबाइल बैंकिंग की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए आशा है कि इसके जरिये भारत में भी संपूर्ण बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकेगी. कहा जा रहा है कि आगामी पांच सालों में इसके जरिये ऋण को स्वीकृत करने की सुविधा भारत में शुरू हो जायेगी. कहा जा सकता है कि बदलते समय के साथ मोबाइल बैंकिंग नयी परिस्थितियों के साथ लगातार तालमेल बैठा रहा है. बदलाव जरूर समय की मांग है, लेकिन जब इससे सभी का भला होता है तो किसी भी नयी तकनीक को सभी आगे बढ़कर अपनाते हैं और मोबाइल बैंकिंग वैसा ही करिश्माई तकनीक है, जिससे बैंक एवं ग्राहक दोनों का भला होना निश्चित है.

लगभग दो साल पहले तक एचडीएफसी बैंक की शाखाओं में 40-50 प्रतिशत ट्रांजेक्शन होते थे, जो घट कर आज 18 प्रतिशत रह गये हैं. इसका सीधा अर्थ है कि मोबाइल बैंकिंग के लिए निबंधित एचडीएफसी बैंक के 12 लाख ग्राहकों का 82 प्रतिशत ग्राहक अपनी बैंकिंग जरूरतों को वर्तमान में मोबाइल बैंकिंग के जरिये पूरा कर रहा है.

भारतीय स्टेट बैंक ने मोबाइल बैंकिंग का अपना पहला उत्पाद स्टेट बैंक फ्रीडम को 2009 में बाजार में उतारा था. वर्तमान में इस उत्पाद से 54 लाख ग्राहक जुड़े हैं और रोज 10,000 नये ग्राहक इससे जुड़ रहे हैं. इस उत्पाद की अपार सफलता के बाद 2013 में भारतीय स्टेट बैंक ने अपना दूसरा उत्पाद ‘मोबी कैश इजी’ लॉन्च किया. इस उत्पाद की मदद से बैलेंस की जानकारी, मिनी स्टेटमेंट, पैसों का अंतरण, मोबाइल टॉप-अप, डीटीएच रिचार्ज, बिल भुगतान आदि सुविधा का उपयोग भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहक कर रहे हैं.

इन दोनों बैंकों का उदाहरण महज बानगी भर है. दूसरे बैंक भी जोर-शोर से मोबाइल बैंकिंग की दिशा में अग्रसर हैं. मोबाइल बैंकिंग की लोकप्रियता का आकलन इसी से किया जा सकता है कि अब इसके जरिये हर साल अरबों-खरबों का ट्रांजेक्शन किया जा रहा है.

क्या हैं लाभ

शुरुआती दौर में मोबाइल बैंकिंग के जरिये सिर्फ एसएमएस यानी गैर-वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा था, जैसे एटीएम से निकासी पर अलर्ट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के उपयोग पर अलर्ट आदि, लेकिन आज के दौर में मोबाइल बैंकिंग के जरिये चेक-बुक हेतु आवेदन देना, आवर्ती व सावधि खाता खोलने के लिए रिक्वेस्ट करना, पैसों का अंतरण, प्रति माह 50 हजार रुपये का नकद प्रबंधन, डेबिट एवं क्रेडिट स्टेटमेंट आदि सुविधा ग्राहकों को उपलब्ध करायी जा रही है. अधिकतर लोगों के हिंदी भाषी होने के कारण कुछ बैंकों ने हिंदी में मोबाइल बैंकिंग की सुविधा भी मुहैया करायी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल बैंकिंग के लिए प्रवेश आसान हो गया है. बैंकों के द्वारा मोबाइल बैंकिंग में वचरुअल कार्ड की सुविधा भी दी जा रही है. इतना ही नहीं, अच्छे ग्राहकों को खुद से निश्चित सीमा तक क्रेडिट लिमिट बनाने की सुविधा भी फिलवक्त दी जा रही है, ताकि जरूरत पड़ने पर ग्राहक अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा कर सकें. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मोबाइल कंपनियों, मसलन- वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल आदि को ‘सेमी क्लोजड वॉलेट’ की सुविधा दी है. मोबाइल नेटवर्क की सहायता से पैसों का अंतरण या पॉइंट ऑफ सेल पर इसे डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड की तरह इस्तेमाल भी किया जा सकता है, किंतु इससे पैसों की नकद निकासी नहीं की जा सकती है.

क्या है भविष्य

सेवा क्षेत्र के विकास में संचार क्रांति का योगदान तकरीबन 20 प्रतिशत है. देश के दूर-दराज के गांवों में आज मोबाइल की पहुंच है. रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनकर यह पूरे देश में उभरा है. आज इसे स्वरोजगार का एक बड़ा स्नेत माना जा है. मोबाइल व सिम की खरीद-फरोख्त ने गांव के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. वर्तमान में अपनी आमदनी का 60 प्रतिशत आय वे इसी से अर्जित कर रहे हैं. निश्चित तौर पर पर्याप्त संख्या में मोबाइल की उपलब्धता की वजह से ही मोबाइल बैंकिंग की उपयोगिता व लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है और इसे भविष्य का बैंकिंग बताया जा रहा है. किसी भी नये विकल्प की उपयोगिता व लोकप्रियता को शीघ्रता से सफलता की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता है. अमेरिका और यूरोप में मोबाइल बैंकिंग की उपयोगिता साबित हो चुकी है और वहां यह बैंकिंग की हर जरूरत को पूरा कर रहा है. इन देशों में आजकल मोबाइल में एनएफसी, नियर फील्ड कम्युनिकेशन की चिप लगायी जाती है, जिससे मोबाइल वचरुअल क्रेडिट कार्ड की तरह काम करता है. साथ ही पॉइंट ऑफ सेल में इसका उपयोग डेबिट और क्रेडिट कार्ड की तरह किया जाता है. मोबाइल बैंकिंग के जरिये वहां सीटीएस, चेक ट्रंकेशन सिस्टम के तहत चेकों के समाशोधन का कार्य भी किया जा रहा है.

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