सुचेता कृपलानी (1908-1974)
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वर्ष 1963 में बनीं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री
सुचेता कृपलानी (1908-1974) स्वतंत्रता आंदोलन में सुचेता कृपलानी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. वर्ष 1908 में जन्मी सुचेता कृपलानी की शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी. आजादी के आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सजा भी हुई. संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों सुचेता भी एक थीं. […]
स्वतंत्रता आंदोलन में सुचेता कृपलानी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. वर्ष 1908 में जन्मी सुचेता कृपलानी की शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी. आजादी के आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सजा भी हुई. संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों सुचेता भी एक थीं. वर्ष 1958 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रहीं. वर्ष 1963 में वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. सुचेता कृपलानी का जन्म एक बंगाली परिवार में हरियाणा स्थित अंबाला शहर में हुआ. उनके पिता एसएन मजूमदार राष्ट्रीय आंदोलन के समर्थक थे.
सुचेता कृपलानी ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीवेंस कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद सुचेता बीएचयू में लेक्चरर बन गयीं. आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में सुचेता कृपलानी नयी दिल्ली लोकसभा सीट से 1952 व 57 में लगातार 2 बार सांसद चुनी गयीं. इसके बाद 1962 में कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनी गयीं. वर्ष 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया.
5 साल तक प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने के बाद वह वापस केंद्र में पहुंची. चौथी लोकसभा में उत्तर प्रदेश के गोंडा से वह सांसद चुनी गयीं. वर्ष 1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था.1 दिसंबर 1974 को उनकी मृत्यु हो गयी थीं.
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