उत्तर प्रदेश पुलिस को अपने नए महानिदेशक का इंतज़ार बना हुआ है. राज्य के नए पुलिस महानिदेशक के तौर पर ओम प्रकाश सिंह के नाम की घोषणा 31 दिसंबर, 2017 को हो गई थी.
लेकिन तेरह दिन बीतने के बाद अभी तक ओम प्रकाश सिंह ने अपना नया पदभार नहीं संभाला है. देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े पुलिस विभाग यानी उत्तर प्रदेश पुलिस को पहली बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है.
पहले उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय की ओर से कहा जा रहा था कि ओम प्रकाश सिंह तीन जनवरी को अपना कार्यभार संभालेंगे. उसके बाद पांच जनवरी और फिर 10 जनवरी को उनके पदभार ग्रहण किए जाने की चर्चा भी हुई, लेकिन हक़ीक़त यही है कि मौजूदा वक्त तक ओम प्रकाश सिंह केंद्रीय ओद्यौगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ़) के महानिदेशक की भूमिका निभा रहे हैं.
सीआईएसएफ़ मुख्यालय के प्रवक्ता हेमेंद्र सिंह ने शुक्रवार को बताया, "ओपी सिंह अभी भी सीआईएसएफ़ के महानिदेशक हैं, वे अभी अपने पद से मुक्त नहीं हुए हैं."
इस मामले पर उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे अरविंद कुमार जैन कहते हैं, "ओपी सिंह को पदभार ग्रहण करने में ज़्यादा वक्त लग रहा है, अमूमन ऐसा होता नहीं है लेकिन चूंकि वे केंद्र सरकार के अहम पुलिस बल के प्रमुख हैं, तो इस स्थिति में वहां वैकल्पिक व्यवस्था होने में वक्त लग रहा हो."
कभी मुलायम के ख़ास थे, अब योगी आदित्यनाथ ने सौंपी यूपी की कमान
तालमेल की कमी?
हालांकि लखनऊ पुलिस मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक़, "इस परिस्थिति से बचा जा सकता था. ओपी सिंह को कमान दिए जाने की घोषणा से पहले केंद्र सरकार से औपचारिक तौर पर स्वीकृति ले लेनी चाहिए थे."
अरविंद जैन के मुताबिक़ यहां उत्तर प्रदेश सरकार से संभवतः एक चूक हुई है. चूक क्या रही होगी, इस बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं, "दरअसल योगी सरकार ने कोशिश की होगी कि नए डीजीपी का नाम बाहर नहीं निकले. इस कोशिश में ओपी सिंह के नाम का ऐलान उसी दिन किया गया जिस दिन सुलखान सिंह का कार्यकाल ख़त्म हो रहा था. ऐसे में केंद्र सरकार से जिस तालमेल की ज़रूरत चाहिए, उसमें कमी रह गई होगी."
दरअसल, 31 दिसंबर को यूपी के मुख्य सचिव राजीव कुमार के नेतृत्व में राज्य गृह विभाग के प्रमुख सचिव और मुख्य मंत्री के प्रमुख सचिव की समिति की अनुशंसा पर ओपी सिंह के नाम का ऐलान पुलिस प्रमुख के तौर पर किया गया था.
उसी दिन गृह विभाग के प्रमुख सचिव ने ओपी सिंह के नाम का ऐलान करते हुए कहा था कि केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात ओपी सिंह को कार्यमुक्त किए जाने के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दे दिया गया है.
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारी को राज्य में जाने के लिए कितने दिन का इंतज़ार करना होता है. इस बारे में यूपी पुलिस मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "आजकल तो ईमेल का ज़माना है, जिसमें चार्ज संभालने या उससे मुक्त होने में मिनटों का समय लगता है और किसी को चार्ज मुक्त नहीं करना हो तो उसमें महीनों लग सकते हैं."
सहारनपुर जैसी घटना दोहराने की कोई हिम्मत नहीं करेगा- पुलिस प्रमुख
केंद्र-प्रदेश में रस्साकशी की संभावना कम
हालांकि ये माना जा रहा है कि सीआईएसएफ़ के ज़िम्मे एयरपोर्ट से लेकर देश के अहम ठिकानों की सुरक्षा का ज़िम्मा होता है, लिहाज़ा जब तक उनकी जगह लेने वाले अधिकारी का चयन नहीं हो जाता तब तक उनको पद मुक्त किए जाने की संभावना कम ही है.
हालांकि ओपी सिंह को लेकर केंद्र सरकार और यूपी सरकार में किसी तरह की रस्साकशी हो, इसकी आशंका इसलिए ज़्यादा नहीं हैं क्योंकि दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार है. यहां तक कि सीआईएसएफ़ जिस गृह मंत्रालय के अधीन है, उसकी कमान भी यूपी से आने वाले बीजेपी नेता राजनाथ सिंह के अधीन है.
यूपी के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं, "बेहतर तालमेल के ज़रिए इस स्थिति से बचा जा सकता था, क्योंकि उत्तर प्रदेश बेहद महत्वपूर्ण राज्य है. ये देखिए कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री, दोनों उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. तो इस मुश्किल का हल जल्दी ही निकल आएगा."
उत्तर प्रदेश में क्या वाक़ई ज़रूरी है योगी का यूपीकोका?
आनंद को अतिरिक्त प्रभार
हालांकि अरविंद जैन ये भी मानते हैं कि ओपी सिंह के पदभार संभालने में हो रही देरी से राज्य की पुलिस व्यवस्था पर कोई फ़र्क नहीं पड़ सकता. वे कहते हैं, "पुलिस व्यवस्था कई अहम विभागों और उसके अधिकारियों से चलती है तो कोई मुश्किल नहीं होनी चाहिए."
हालांकि ऐसी किसी मुश्किल से बचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान मौजूदा लॉ एंड ऑर्डर के एडिशनल महानिदेशक आनंद को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर सौंप दी गई है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अन्य महानिदेशक रहे जगमोहन यादव कहते हैं, "सामान्य स्थिति में तो पुलिस व्यवस्था पर कोई असर नहीं होता लेकिन यूपी बड़ा सूबा है, अचानक कोई आपात स्थिति हो तो पुलिस प्रमुख की भूमिका अहम हो जाती है. वैसे भी पुलिस एक तरह से यूनिफॉर्म और आर्म्ड फोर्स होती है, जो कमांडर के निर्देश पर ही काम करती है."
आठ पुलिस ज़ोन, 18 पुलिस रेंज और 75 पुलिस ज़िलों में बंटे उत्तर प्रदेश में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पुलिस फ़ोर्स को फ़िलहाल बिना कमांडर के काम करना पड़ रहा है.
राज्य पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता राहुल श्रीवास्तव ने बताया, "नए डीजीपी ने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है, हमलोग इंतज़ार में हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि राज्य पुलिस को दिशा निर्देश देने के लिए कोई नहीं हैं. लॉ एंड ऑर्डर एडीजी आनंद कुमार इन-चार्ज डीजीपी की भूमिका संभाल रहे हैं."
जब यूपी पुलिस बन गई ‘दबंग चुलबुल पांडे’
तारीख़ पर तारीख़
हालांकि ये बात दूसरी है कि यूपी पुलिस की वेबसाइट पर पुलिस महानिदेशक के तौर पर ओम प्रकाश सिंह का नाम छप चुका है. लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में उनके चार्ज संभालने को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. एक कयास तो खरमास में शुभ काम नहीं करने तक का है.
इन कयासों ने यूपी सरकार की मुश्किलें भी निश्चित तौर पर बढ़ा दी हैं, विपक्ष ने इसे लेकर तंज भी कसने शुरू कर दिए हैं. बीते गुरुवार को अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "पुलिस अधिकारी नियुक्ति की घोषणा के बाद भी नहीं आ रहे हैं, क्योंकि अच्छे दिन नहीं आए हैं."
हालांकि यूपी सरकार के सूत्रों के मुताबिक़ 15 जनवरी तक ओपी सिंह अपना पदभार संभाल लेंगे.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
]]>