रांची: राजधानी के दो डॉक्टरों की लापरवाही से मासूम नायाब शाह (दो वर्ष) की आंखों की रोशनी छीन गयी. इस मामले में मासूम के पिता नैयर साह ने उपभोक्ता फोरम में शिकायतवाद दर्ज करायी है. इसमें लगभग 20 लाख रुपये खर्च की क्षतिपूर्ति का दावा उन्होंने किया है. पुत्र की इलाज के कारण दिल्ली में नौकरी कर रहे नैयर साह को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा.
बच्चे को शुरू में हुआ था बुखार
पहाड़ी टोली बानो मंजिल रोड निवासी नैयर शाह के पुत्र नायाब को पांच सितंबर 2013 को बुखार हुआ था. परिजनों ने उसे सरकुलर रोड स्थित डॉ अजीत सहाय से दिखाया था. यहां जब उसकी स्थिति नहीं सुधरी, तो उन्होंने नौ सितंबर 2013 को रानी अस्पताल के डॉ राजेश कुमार के पास भेजा. बच्चे को आइसीयू में भरती कराया गया. 21 सितंबर 20013 तक उसे आइसीयू में रखा गया. परिजनों का आरोप है कि नायाब की तबीयत ठीक नहीं होने के बावजूद उसे रानी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. उसे फिर डॉ अजीत सहाय से दिखाया गया. कुछ दवा देने के कहा गया कि वह ठीक हो जायेगा, लेकिन स्थिति बिगड़ती चली गयी.
सिटी स्कैन नहीं कराया गया
नायाब साह को फिर रानी अस्पताल में दिखाया गया. पता चला कि बच्चे के सिर में पानी घुस गया है. बार-बार कहने के बाद भी उसका सिटी स्कैन नहीं कराया गया. बाद में नैयर साह ने नायाब को डॉ ओपी मनसरिया से दिखाया. उन्होंने सिटी स्कैन कराया और डॉ पी चंद्रा को दिखाने की सलाह दी. डॉ पी चंद्रा ने तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी. उसके बाद बच्चे के पिता उसे लेकर सीएमसी वेल्लौर चले गये. वहां बच्चे का ऑपरेशन किया गया. वहां के चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि यह पूर्ण रूप से डॉक्टर की लापरवाही है. इस कारण बच्चे की आंखों की रोशनी चली गयी है.