गुजरात में कांटे की टक्कर के बीच अंतत: मोदी मैजिक ने असर दिखाया और भाजपा की छठी बार वापसी हुई है. उधर, भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में एकतरफा मुकाबले में भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है. इसके साथ ही कांग्रेसमुक्त भारत के नारे के साथ आगे बढ़ रही भाजपा अब अकेले या सहयोगियों के बूते 19 राज्यों में शासन में आ गयी है. अब कांग्रेस सिर्फ चार राज्यों में सिमटकर रह गयी है. हालांकि, गुजरात में 22 साल के शासन के बाद भाजपा का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा. 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में भाजपा ने 99, कांग्रेस ने 77, राकांपा ने एक और भारतीय ट्राइबल पार्टी को दो सीटें मिलीं. तीन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं. 2002 में भाजपा ने 127 सीटें जीती थीं. 2012 में उसे 115 सीटें मिली थीं.
राहुल गांधी की बतौर अध्यक्ष ताजपोशी के बाद यह पहला चुनाव परिणाम है, जो कांग्रेस के लिए झटके के समान है. बड़ी बात है कि राहुल गांधी के साथ हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी की अथक मेहनत के बाद भी कांग्रेस पीछे रह गयी. उधर, हिमाचल ने फिर अपना इतिहास दोहराया और भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली. हालांकि कांग्रेस पहले के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी सीटें बढ़ाने में कामयाब रही.
बोल वचन
नतीजे से सुशासन की राजनीति के प्रति जबरदस्त समर्थन का पता चलता है. कार्यकर्ताओं के कड़े परिश्रम को सलाम.
नरेंद्र मोदी , प्रधानमंत्री
कांग्रेस जनादेश को स्वीकार करती है. नतीजों से मैं निराश नहीं हूं. अन्य लोगों ने गुस्से में व कांग्रेस ने मर्यादा से चुनाव लड़ा.
राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष
प्रधानमंत्री मोदी के विकास के एजेंडा पर मुहर और जातिवाद व तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ जीत है.
अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष
जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह बधाई के पात्र हैं. इस विजय से कार्यकर्ताओं व समर्थकों का उत्साह और बढ़ा है.
रघुवर दास, मुख्यमंत्री, झारखंड
5 वजहें जीत की
1. ‘नीच’ शब्द कांग्रेस पर भारी : पहले चरण की सीटों में कांग्रेस को बढ़त. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के ‘नीच’ बयान के बाद दूसरे चरण की सीटों में भाजपा को बढ़त.
2. पाटीदार फैक्टर : भाजपा ने 53 व कांग्रेस ने 47 सीटों पर पाटीदार प्रत्याशी उतारे थे. भाजपा के प्रत्याशी ज्यादा जीते. पाटीदारों की प्रतिक्रिया में ओबीसी भी भाजपा से जुड़ा.
3. जीएसटी और नोटबंदी : गुजरात का व्यापारी वर्ग जीएसटी एवं नोटबंदी से परेशान और नाराज जरूर था, लेकिन जब वोट देने की बात आयी तो वह भाजपा को छोड़ नहीं पाया.
4. मोदी का लोकल कनेक्शन : मोदी ने बार-बार गुजरात और गुजरातियों की बात की. भावुक भाषण दिये. लोगों को विकास का भरोसा दिलाया.
5. भरोसा दिलाने में कांग्रेस नाकाम: कांग्रेस ने प्रचार में भले कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन, वह यह भरोसा दिलाने में नाकाम रही कि वह सरकार बनाने की स्थिति में है.
यह भी जानें
19 राज्यों की 78% आबादी पर भाजपा का राज, कांग्रेस सिर्फ चार राज्यों में सिमटी
गुजरात में 22 साल में भाजपा को इस बार सबसे कम सीटें
कांग्रेस चूक गयी, पर उसकी सीटें बढ़ीं
भाजपा का एक फीसदी और कांग्रेस 2.5 फीसदी वोट शेयर बढ़ा