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सेलिना के परिवार में किसी को नहीं आती अंग्रेजी, बांग्लादेशी अप्रवासी युवती बनी लंदन डिबेट चैंपियन

बांग्लादेश की 16 वर्षीया सेलिना लंदन इटोन कॉलेज की डिबेट चैंपियन बनी. उसके परिवार में किसी को अंग्रेजी नहीं आती, लेकिन सेलिना ने अंग्रेजी में दिये अपने भाषण के लिए यह पुरस्कार जीता. @ नेशनल कंटेंट सेल लंदन के प्रतिष्ठित इटोन कॉलेज के एक विशाल हॉल में ब्रिटेन के नामी गिरामी कॉलेज के छात्र-छात्राओं के […]

बांग्लादेश की 16 वर्षीया सेलिना लंदन इटोन कॉलेज की डिबेट चैंपियन बनी. उसके परिवार में किसी को अंग्रेजी नहीं आती, लेकिन सेलिना ने अंग्रेजी में दिये अपने भाषण के लिए यह पुरस्कार जीता.
@ नेशनल कंटेंट सेल
लंदन के प्रतिष्ठित इटोन कॉलेज के एक विशाल हॉल में ब्रिटेन के नामी गिरामी कॉलेज के छात्र-छात्राओं के बीच कंपकंपाती आवाज में 16 साल की सेलिना बेगम ने अपना भाषण शुरू किया. सेलिना के पांव कांप रहे थे और वह पूरी तरह से घबरायी हुई थी.

उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे इतना बड़ा अवसर मिलेगा. सेलिना ने एक गहरी सांस ली और अपनी बातों को रखना शुरू किया. सेलिना इटोन कॉलेज के वाद विवाद प्रतियोगिता एटोन ऑटम इनविटेशनल ओपेन कंपीटिशन के लिए चयनित हुई और इसकी विजेता भी रही. सेलिना मूल रूप से बांग्लादेश की रहने वाली है. उसके पिता नब्बे के दशक में प्रवासी के तौर पर लंदन आ गये थे. उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि शैक्षणिक और आर्थिक रूप से काफी निम्न है.

सेलिना के परिवार में कोई ठीक से अंग्रेजी तक नहीं बोल सकता. उसके घर की मुख्य भाषा बंगला हैं. उसके माता पिता बिल्कुल भी पढ़े-लिखे नहीं है. सेलिना का परिवार लंदन के न्यू हेम इलाके में रहता है जो सबसे ज्यादा सुविधा विहीन है. वहां गरीबी 40 प्रतिशत है. दो कमरों के एक मकान में सेलिना अपने परिवार के साथ रहती है.

सेलिना बताती हैं कि जब वह पोडियम पर गयी तो सब की आंखें उसी पर जमी हुई थी. इस कारण वह थोड़ा घबरा गयीं. इसके अलावा उस विशाल हॉल में सिर्फ वही एक ऐसी लड़की थी जो सबसे अलग थी. उसने बुर्का पहन रखा था और लोग लगातार उसे देख रहे थे. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इंग्लैंड के कोने कोने से आये 200 प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को मात देकर मैंने अंतिम छह में जगह बना ली है. मैंने अपने पांच प्रतिद्वंद्वी प्रतिभागियों का भाषण सुना. सभी के विषय काफी रोचक थे और सबने काफी अच्छे तरीके से अपनी बातों को रखा था.

इसलिए मेरी परेशानी और बढ़ गयी थी. मेरा विषय ‘अमेरिका में मौत की सजा पर रोक’ था. मैं जब मंच से लौटकर अपनी जगह पर आयी तो मुझे विश्वास हो गया कि अब मैं आगे नहीं जा सकती. क्योंकि सभी प्रतिभागी बड़े कॉलेजों के विद्यार्थी थे और बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था. जब विजेता के नाम की घोषणा हुई तो मैं भी ताली बजा रही थी, जबकि उसमें मेरा भी नाम था. मुझे अपनी जीत का एहसास तब हुआ जब मेरे शिक्षक ने मुझे रोका और कहा तुम इस प्रतियोगिता की विजेता हो. सेलिना को विश्वास नहीं हो रहा. लेकिन सेलिना ऑक्सफोर्ड में दाखिला लेगी और आगे लॉ की पढ़ाई करेगी.

पिता ने दिया बेहतर भविष्य बनाने का मौका
सेलिना ने बताया कि मैं आज जो कुछ भी हूं, उसके लिए भगवान, माता पिता और इस देश का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं. क्योंकि अगर मैं बांग्लादेश में ही रहती तो आज मेरा भविष्य क्या होता इसकी कल्पना तक करना मैं नहीं चाहती हूं. इस गर्मी में मैं अपने पैतृक देश बांग्लादेश के सिलहट गयी थी. वहां काफी गर्मी थी. मैंने वहां देखा कि वहां 13 से 15 साल की उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है. अधिकतर लड़कियां हाउसवाइफ बनती हैं. लड़कियों के लिए शिक्षा कोई मायने नहीं रखता. वहां साक्षरता दर 51.2 प्रतिशत है और स्कूलों में 5 से 24 साल तक के बच्चों की उपस्थिति सिर्फ 50.6 प्रतिशत तक होता है.

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