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अमिताभ को प्यार से बबुआ कहकर बुलाते थे शशि कपूर

<p>&quot;हम ज़िंदगी को अपनी कहां तक सम्भालते, इस क़ीमती किताब का काग़ज़ ख़राब था.&quot; जाने-माने फ़िल्म अभिनेता शशि कपूर के निधन पर लिखा गया अमिताभ बच्चन का ब्लॉग रूमी जाफ़री की इन्हीं पंक्तियों के साथ शुरू होता है.</p><p>शशि कपूर का सोमवार शाम मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया. पीढ़ी दर पीढ़ी लाखों लोगों […]

<p>&quot;हम ज़िंदगी को अपनी कहां तक सम्भालते, इस क़ीमती किताब का काग़ज़ ख़राब था.&quot; जाने-माने फ़िल्म अभिनेता शशि कपूर के निधन पर लिखा गया अमिताभ बच्चन का ब्लॉग रूमी जाफ़री की इन्हीं पंक्तियों के साथ शुरू होता है.</p><p>शशि कपूर का सोमवार शाम मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया. पीढ़ी दर पीढ़ी लाखों लोगों के चहेते रहे शशि कपूर लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें गुर्दे की बीमारी थी. </p><p>शशि कपूर के साथ 16 फ़िल्मों में काम करने वाले अमिताभ बच्चन उनके बहुत क़रीबी थे. अमिताभ की बेटी श्वेता की शादी, राज कपूर की बेटी के परिवार में हुई है, जिस नाते ये दोनों संबंधी भी हैं. </p><p>शशि कपूर के जाने की ख़बर से अमिताभ इतने व्यथित हुए कि उन्होंने रात एक बजकर 15 मिनट पर एक ब्लॉग लिखा जिसमें उन्होंने शशि कपूर से जुड़ी कई यादें साझा कीं. उन्होंने बताया कि उन्होंने शशि कपूर की कौन सी आदतें अपनाईं जिनसे उन्हें ज़िंदगी भर मदद मिली. </p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/05/150514_shashi_kapoor_rd">शशि कपूर को ‘टैक्सी’ क्यों कहते थे राज कपूर</a></p><p><a href="https://preview.api.bbc.co.uk/assets/device-switcher/index.html#device=mobile&amp;url=/responsive/9d2ce948-df35-4109-b5b1-e0a05a8097fd">’छड़ी के बल पर काम कराते थे शशि कपूर'</a></p><h1>अमिताभ बच्चन का ब्लॉग </h1><p>&quot;हम ज़िंदगी को अपनी कहां तक सम्भालते, इस क़ीमती किताब का काग़ज़ ख़राब था.&quot;- रूमी जाफ़री</p><p>एक पत्रिका में उनकी पूरे पेज की तस्वीर छपी थी. मर्सिडीज़ की एक कन्वर्टिबल स्पोर्ट्स कार के बगल में खड़े थे. </p><p>खड़े होने का अंदाज़ ऐसा मानो दुनिया में किसी चीज़ की परवाह न हो. </p><p>तरतीब से रखी गई दाढ़ी-मूंछ से सजा उनका चेहरा इतना सुंदर था कि यक़ीन करना मुश्किल.</p><p>तस्वीर के नीचे लिखा था – शशि कपूर… पृथ्वीराज कपूर के बेटे, राज कपूर और शम्मी कपूरे के छोटे भाई, का फ़िल्मों में पदार्पण.</p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/05/150510_shashi_kapoor_award_dp">तस्वीरों में शशि कपूर को फाल्के अवॉर्ड</a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment-42228415">दिलदार प्रोड्यूसर थे, रोमांटिक हीरो शशि कपूर</a></p><p><a href="https://twitter.com/SrBachchan/status/937790945172471808">https://twitter.com/SrBachchan/status/937790945172471808</a></p><p>उन दिनों मेरे दिमाग़ में भी अभिनेता बनने का फ़ितूर चल रहा था, लेकिन जैसे ही वो तस्वीर देखी तो लगा कि ऐसे लोग अभिनेता बनते हैं तो मेरा नंबर आने की कोई उम्मीद नहीं है.</p><p>1969 के आस-पास की बात है, मैं फ़िल्म इंडस्ट्री में दाख़िल होने की कोशिश कर रहा था, जब कुछ पार्टियों में उनके कुछ दोस्तों ने, जिनसे मेरा परिचय भी धीरे-धीरे बढ़ रहा था, मुझे शशि कपूर से मिलवाया. </p><p>इससे पहले कि आप कुछ कहें, वे ‘शशि कपूर’ कह कर पूरी गर्मजोशी से अपना हाथ बढ़ा देते. चेहरे पर क़ातिलाना मुस्कुराहट होती और आंखों में वही चमक.</p><p>उन्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी. सबको पता था वह कौन हैं. </p><p>लेकिन यह उनकी वह विनम्रता थी जो सामने वाले को भी झुका दे.</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/media-42221324">शशि कपूर की कुछ अनदेखी तस्वीरें </a></p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/social-42221319">शशि कपूर की मौत पर शशि थरूर को फोन!</a></p><h1>शशि से सीखी एक आदत ने बचाया</h1><p>जब शशि बोलते तो उनकी आवाज़ में हल्की सी शरारत झलकती. धीमी, सौम्य सी आवाज़ इतनी सुरीली थी कि मिलने वाला शख़्स तुरंत सामान्य महसूस करता.</p><p>खुद का परिचय कराने की उनकी आदत क़माल थी. </p><p>किसी का नाम जानने में ये आदत बहुत मदद करती, ख़ास तौर पर तब जब किसी शख़्स से दोबारा मुलाक़ात हो और नाम याद न रहे. </p><p>जैसे ही शशि अपना परिचय देते, सामने वाला शख़्स भी तुरंत अपना नाम बताता. </p><p>मैंने भी उनकी यह तकनीक सीखी और मैं मानता हूं कि इस आदत ने मुझे कई बार ऐसे मुश्किल हालात में बचाया जब कोई अचानक आपके पास आकर ऐसे बर्ताव करे जैसे कोई पुराना परिचित हो:</p><p>&quot;याद आया! हम छह साल पहले केम्प्स कॉर्नर वाले चौराहे पर मिले थे. आप गाड़ी से जा रहे थे, आपने मुझे देखकर हाथ हिलाया था!!!&quot;</p><p>&quot;नहीं, बिल्कुल नहीं, कैसे याद रहेगा&quot; .. लेकिन मेरा दिमाग मुझे चेताता .. &quot;शशि कपूर की तरह हाथ बढ़ाओ और दोस्ताना तरीक़े से पेश आओ.&quot;</p><p>और मैं वही करता… &quot;जी बिलकुल याद है&quot;, बोलकर मैं हाथ आगे बढ़ा देता, &quot;अमिताभ बच्चन…!!&quot;</p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment-42225434">नहीं रहे बॉलीवुड के रोमांटिक हीरो शशि कपूर</a></p><h1>शशि से प्रेरित है हेयरस्टाइल</h1><p>सामने वाला ‘परिचित’ तुरंत अपना नाम बताता और केम्प्स कॉर्नर, हाथ हिलाना, गाड़ी से गुज़रना, सब कुछ याद आ जाता. मैं बच जाता और मिलने वाला शख़्स भी मेरे बारे में अच्छी राय बनाकर ख़ुशी-ख़ुशी लौटता.</p><p>दूसरी ख़ासियत… शशि कपूर के थोड़े घुंघराले बाल, जो उनके माथे और कानों पर लापरवाही से बिखरे रहते लेकिन उन्हें पूरी तरह ढंकते नहीं थे.</p><p>मेरे दिमाग में फिर कुलबुलाहट हुई: ‘अरे! शायद मुझे भी अपने कान तक बाल रखने चाहिए..'</p><p>बस फिर क्या था, मैं पहुंच गया ताज होटल, हाकिम नाई के पास, उसे बताया क्या करना है और बालों का वही स्टाइल आज तक भी क़ायम है.</p><p>बाद के सालों में बहुत क़रीबी रिश्ता बना. एक-दूसरे के काम आए… उनके साथ फ़िल्में कीं… और आख़िर में परिवार भी जुड़ गए. </p><h1>’फिर उनसे कभी नहीं मिला'</h1><p>वो काफ़ी समय से बीमार चल रहे थे. उनकी पत्नी जेनिफ़र की मौत के बाद उन्होंने अपना ख़्याल रखना बंद कर दिया था. पहले भी कई बार अस्पताल में भर्ती हुए, कुछेक बार मैं मिलने भी गया.. लेकिन फिर उसके बाद मैं कभी उनसे मिलने अस्पताल नहीं गया. </p><p>मैं जाना ही नहीं चाहता था. मैं अपने इस ख़ूबसूरत दोस्त और समधी को उस हालत में नहीं देखना चाहता था जिसमें वो अस्पताल के बिस्तर पर पड़े थे.</p><p>मैं आज भी नहीं गया. उनके जाने की ख़बर सुनकर भी नहीं.</p><p>रूमी जाफ़री की पंक्तियां जो मैंने इस ब्लॉग के शुरू में लिखी हैं, वो रूमी ने शशि कपूर की मौत की ख़बर सुनने के बाद मुझे भेजी थी. </p><p>&quot;हम ज़िंदगी को अपनी कहां तक सम्भालते, </p><p>इस क़ीमती किताब का काग़ज़ ख़राब था.&quot;</p><p>शशि मुझे प्यार से बबुआ कहकर बुलाते थे. उनके साथ मेरी और उनकी ज़िंदगी के बहुत सारे अविश्वसनीय, अनपढ़े क़िस्से भी चले गए. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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