।। दक्षा वैदकर।।
हर लीडर चाहता है कि उसके कर्मचारी, उसी की तरह 14 घंटे काम करें. बहुत रचनात्मक हो जाएं. घर-परिवार भूल कर सिर्फ काम पर फोकस करें. जब ऐसा नहीं होता है, तो लीडर तनाव में रहने लगता है. लीडर का काम है टीम को ऊर्जा देना, ताकि उनकी क्षमता बढ़े. अभी हम सारा दिन दूसरों के काम करने के तरीके को देख-देख कर तनाव में आ जाते हैं कि वो ऐसा क्यों नहीं करता. वह ऐसा काम क्यों करता है. सोचने वाली बात है, क्या लीडर का और कर्मचारियों का तरीका समान हो सकता है? अगर हम किसी परिवार के दो जुड़वा बच्चों पर गौर करें, तो आप पायेंगे कि दोनों बच्चे समान नहीं हैं. एक शांत है, तो दूसरा नटखट. एक पढ़ाई में अच्छा है, तो दूसरा जैसे-तैसे पास हो जाता है. जब दो जुड़वा बच्चे समान नहीं हो सकते, तो फिर ऑफिस में सारे लोग समान कैसे हो सकते हैं?
आध्यात्मिक ज्ञान हमें बताता है कि दो जुड़वा बच्चे समान इसलिए नहीं हैं, क्योंकि दोनों की आत्माओं ने अलग-अलग सफर किया है. इस जन्म में भले ही वे साथ में आये हैं, लेकिन पिछले जन्म में वे अलग-अलग माहौल में थे. उनके साथ अलग-अलग घटनाएं हुई थीं. यही वजह है कि उनका स्वभाव अलग-अलग है. जब दो जुड़वा बच्चों के साथ ऐसा हो सकता है, तो ऑफिस में तो सभी का वर्तमान ही अलग-अलग होता है. उनकी जिंदगी में समस्याएं अलग हैं, उनकी सोच-समझ अलग है, पढ़ाई अलग तरह से हुई है. यही वजह है कि उनकी कार्यक्षमता आपके जितनी नहीं है.
अगर आप चाहते हैं कि आप दोनों ही पक्षों का तनाव खत्म हो, तो आपको सबसे पहले उन्हें वैसे ही स्वीकार करना होगा, जैसे वे हैं. आपको उन्हें देख कर नकारात्मक विचार बनाने बंद करने होंगे. अब जब भी वे कोई गलती करें, तो आप उन्हें अपने पास बुलायें. उनकी सच्ची तारीफ करें. उन्हें बतायें कि ये विशेषता सिर्फ तुम्हारे अंदर हैं. जब उनकी बैटरी चार्ज हो जाये, तो धीरे से उन्हें कहें कि अगर तुम इस भाग पर भी थोड़ा फोकस करोगे, तो काम में चार चांद लग जायेंगे. फिर तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता.
बात पते की..
साथियों की कार्यक्षमता आप डांट से नहीं बढ़ा सकते. आपको उन्हें सम्मान देना होगा, स्वीकार करना होगा और उन्हें सकारात्मक ऊर्जा देनी होगी.
हर व्यक्ति केवल तारीफ का भूखा है. रोजाना उसकी तारीफ करें और जब वह सकारात्मक ऊर्जा से घिरा हो, तभी उसे गलती के बारे में समझाएं.