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घायलों को लाने नहीं गया हेलीकॉप्टर

दुमका: उग्रवाद प्रभावित जिस 19 बूथ के मतदानकर्मियों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से इवीएम के साथ कल चुनाव कार्य संपन्न कराने के लिए पहुंचाया गया था, उनमें से सारे कर्मियों को हेलीकॉप्टर से नहीं लाये जा सके. जिस वक्त खबर पहुंची, उस वक्त साढ़े चार ही बजे थे. जिला प्रशासन चाहता, तो हेलीकॉप्टर से भी […]

दुमका: उग्रवाद प्रभावित जिस 19 बूथ के मतदानकर्मियों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से इवीएम के साथ कल चुनाव कार्य संपन्न कराने के लिए पहुंचाया गया था, उनमें से सारे कर्मियों को हेलीकॉप्टर से नहीं लाये जा सके. जिस वक्त खबर पहुंची, उस वक्त साढ़े चार ही बजे थे. जिला प्रशासन चाहता, तो हेलीकॉप्टर से भी हताहत व घायलों को लाने की कोशिश की जा सकती थी. सूत्रों की माने तो इस दल ने केवल एक बार उड़ान भरा और कुछ ही मतदानकर्मियों को लेकर वापस लौट सकी. सुरक्षा और शाम होने की वजह से होने वाली दिक्कत के चलते ऐसा किया गया.

सुरक्षा का दावा फेल
दुमका में डीजीपी राजीव कुमार ने कहा था कि दुमका सहित पूरे संताल परगना में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की पूरी व्यवस्था की गयी है. किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए दुमका में हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध रहेगा. लेकिन यह हेलीकॉप्टर किसी काम का नहीं साबित हुआ. न तो समय पर वहां ठोस जवाबी कार्रवाई हो सकी और न ही घायलों को वहां से समय पर लाया जा सका.

तीसरे चरण में नक्सली हो गये सफल
रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव के दो चरणों का हिंसामुक्त चुनाव करा कर राज्य पुलिस ने नक्सलियों की तमाम कोशिशों को नाकाम कर दिया था, लेकिन अंतिम चरण में नक्सलियों ने दुमका में न सिर्फ अपनी ताकत दिखायी, बल्कि बड़ी वारदात को अंजाम दिया. सुरक्षा इंतजाम को लेकर किये गये पुलिस के तमाम दावों पर पानी फेर दिया. नक्सलियों ने उस जगह पर घटना को अंजाम दिया, जिस जगह पर पुलिस की पहुंच सबसे कमजोर है. सुरक्षा को लेकर भी वहां खालीपन है. यही कारण है कि घटना के चार घंटे बाद तक दुमका जिला पुलिस मुख्यालय से राज्य पुलिस मुख्यालय तक के अधिकारियों के पास घटना के बारे में कोई पक्की सूचना नहीं थी. साफ है कि जिस स्थान पर घटना हुई, उस स्थान तक पुलिस को पहुंचने में ज्यादा वक्त लगा. उस स्थान को लेकर पुलिस के अधिकारी पहले से सतर्क नहीं थे. यदि वे सतर्क रहते, तो नक्सली सड़क पर आकर पुलिस पार्टी को निशाना बनाने में कामयाब नहीं हो पाते. घंटों समय बीतने के बाद भी न तो घटनास्थल से शव को उठाया जा सका और न ही घायलों को मिल मिल पायी.

हल्के में लेने का परिणाम : संताल परगना प्रमंडल में नक्सली मजबूत स्थिति में नहीं है. जब घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली कुछ नहीं कर सके, तो संताल में क्या कर सकेंगे. पुलिस अधिकारियों की इसी सोच ने नक्सलियों को पुलिस पार्टी को निशाना बनाने का मौका दिया. निश्चित रूप से पुलिस की इस सोच का असर फोर्स की तैनाती पर भी पड़ा.

घटनास्थल पहुंच कर वापस भागी फोर्स
दुमका के शिकारीपाड़ा में जो हुआ, वह पुलिस के लिए बहुत बड़ी हार है. कई वर्षो के बाद यह दिखा कि पुलिस के लोग हतोत्साहित हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद सीआरपीएफ और जिला बल के जवान घटनास्थल के लिए रवाना हुए थे, लेकिन घटनास्थल पहुंच कर पुलिस की टीम भाग गयी. टीम के साथ दुमका जिला के अधिकारी भी थे. नक्सलियों द्वारा की जा रही फायरिंग की आवाज सुन कर टीम में शामिल पुलिसकर्मी भागने लगे.

पिछले लोकसभा चुनाव में भी हुई थी घटना
दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया था. नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर पुलिस को निशाना बनाया था. उस घटना में बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गये थे. दुमका के काठीकुंड थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने पुलिस को निशाना बनाया था. नक्सलियों के हमले में एक चौकीदार मारे गये थे, जबकि दो पुलिसकर्मी घायल हुए थे.

10 महीने के अंदर दूसरी बड़ी नक्सली घटना
दुमका: माओवादियों द्वारा इस क्षेत्र में लैंड माइंस विस्फोट के जरिये बड़ी वारदात को अंजाम दिये जाने की यह पहली घटना है. लगभग 10 महीने पहले दो जुलाई को ही नक्सलियों ने काठीकुंड के अमतल्ला में पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार सहित पांच पुलिसकर्मियों को अपना निशाना बनाया था. उसके बाद से ही माना जा रहा था कि इलाके में नक्सलियों के हौसले बढ़ गये थे. नक्सलियों ने यह दूसरी बड़ी घटना को अंजाम दिया है. शिकारीपाड़ा में नक्सलियों ने पिछले विधानसभा चुनाव में 8 दिसंबर 2009 को नक्सल प्रभावित इलाके में दुमका-रामपुरहाट मुख्य मार्ग पर चायपानी गांव में बीएसएफ के दो जवानों को अपना निशाना बनाया था. उनके हथियार भी लूट लिए थे. जबकि आज से ठीक पांच साल पहले 23 अप्रैल 2009 को लोकसभा चुनाव कराकर लौट रहे मतदानकर्मियों पर काठीकुंड जंगल में नक्सली हमला किया गया था, जिसमें एक चौकीदार शहीद हो गया था.

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