लंदन : म्यांमार की स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की की रोहिंग्या शरणार्थी मुद्दे से निपटने में निष्क्रियता को लेकर और देश में हुई हिंसा की तरफ से आंखें मूंदने के लिए उनसे फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड सम्मान वापस ले लिया गया है. हिंसा की वजह से छह लाख से अधिक लोगों को देश छोड़ कर बांग्लादेश जाना पड़ा. ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने 72 वर्षीय सूकी को 1997 में दिये गये सम्मान को स्थायी रूप से वापस लेने के पक्ष में सोमवार की रात मतदान किया.
कांउसिलर मैरी क्लार्कसन ने कहा, हमने उनसे उनके शहर के सर्वोच्च सम्मान को वापस लेने का अभूतपूर्व कदम उठाया है, क्योंकि अल्पसंख्यक रोहिंग्या आबादी पर हुए दमन के दौर में वह निष्क्रिय रहीं. उन्होंने एक बयान में कहा, हमें उम्मीद है कि आज हमने उन लोगों के साथ अपनी थोड़ी सी आवाज मिलायी है जो मानवाधिकारों के लिए और रोहिंग्या लोगों के लिहाज से न्याय के लिए बात कर रहे हैं.
म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्वाई के बाद छह लाख से अधिक रोहिंग्या लोग बांग्लादेश पलायन कर गये. पिछले सप्ताह म्यांमार ने शरणार्थियों की घर वापसी के लिए बांग्लादेश के साथ करार किया था. ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने कहा कि सूकी को फ्रीडम ऑफ सिटी का खिताब इसलिए दिया गया क्योंकि वह असहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीयता के शहर का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, लेकिन अब उनकी निष्क्रियता नजर आयी.