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भारत में क़ानूनन तलाक़ लेने वाली पहली महिला रखमाबाई

<p>गूगल ने आज भारतीयों को हैरान कर दिया. इसने आज रुखमाबाई (सावे) राउत के 153वें जन्मदिन पर गूगल डूडल बनाया है. </p><p>रखमाबाई का जन्म महाराष्ट्र में 1864 में हुआ था. उनकी विधवा मां ने उनकी 11 साल की उम्र में ही शादी कर दी थी. हालांकि वो कभी भी अपने पति के यहां रहने नहीं […]

<p>गूगल ने आज भारतीयों को हैरान कर दिया. इसने आज रुखमाबाई (सावे) राउत के 153वें जन्मदिन पर गूगल डूडल बनाया है. </p><p>रखमाबाई का जन्म महाराष्ट्र में 1864 में हुआ था. उनकी विधवा मां ने उनकी 11 साल की उम्र में ही शादी कर दी थी. हालांकि वो कभी भी अपने पति के यहां रहने नहीं गईं और अपने मां के पास ही रहीं. उनकी मां ने एक सर्जन सखाराम अर्जुन के साथ शादी कर ली. रखमाबाई पर उनके सौतेले पिता का काफ़ी असर था. </p><p>इतिहास में दिलचस्पी लेने वाले चिन्मय दामले बताते हैं, &quot;रखमाबाई ने अपने पति के साथ जाने से इनकार कर दिया और उस ज़माने में इस पर काफ़ी हंगामा मचा. वो इस बात पर अड़ी रहीं कि उस विवाह बंधन में वो नहीं रहेंगी जिसमें उनकी मर्जी नहीं है.&quot;</p><p>दामले के मुताबिक, &quot;चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के पीछे उनके पिता की प्रेरणा रही. उनके पिता ने ही रखमाबाई का समर्थन किया कि उन्हें अपने पति के घर नहीं जाना चाहिए क्योंकि वो कम उम्र में गर्भवती होने के ख़िलाफ़ थे. बाद में रुखमाबाई ने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन से मेडिकल की डिग्री हासिल की.&quot;</p><p>सखाराम अर्जुन ने महिला स्वास्थ्य, साफ़ सफ़ाई और मातृत्व के समय देख रेख पर एक किताब भी लिखी थी. ऐसा उस समय किया जब इन विषयों पर बात करना भी एक टैबू माना जाता था. </p><p><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/social-38494018">क्या आप फ़ातिमा शेख़ को जानते हैं?</a></p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india/2015/09/150919_women_writers_anie_zaidi_sr">अपने अनुभवों को शब्द देती भारतीय महिलाएं</a></p><h1>प्रैक्टिस करने वाली पहली महिला डॉक्टर</h1><p>दामले कहते हैं, &quot;इस बात ने रखमाबाई को काफ़ी प्रभावित किया होगा.&quot;</p><p>हालांकि भारत की पहली महिला डॉक्टर होने का गौरव आनंदीबाई जोशी को जाता है लेकिन माना जाता है कि रखमाबाई राउत भारत में प्रैक्टिस करने वाली पहली महिला डॉक्टर थीं. </p><p>रखमाबाई के पति दादाजीभीकाजी ने वैवाहिक अधिकार के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन रखमाबाई ने इसके ख़िलाफ़ संघर्ष किया और यही मुकदमा भारत में शादी की उम्र को तय करने का आधार बना. </p><p>चिन्मय बताते हैं कि रखमाबाई ने इस बारे में क्वीन विक्टोरिया को ख़त लिखा. आखिरकार फैसला उनके पक्ष में हुआ. हालांकि समाजिक सुधारकों ने इसकी तारीफ़ की लेकिन उस समय के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक ने इस फैसले की काफ़ी आलोचना की. </p><p>भारत में ‘सहमति की उम्र’ को लेकर रखमाबाई का योगदान काफ़ी बड़ा था. चिन्मय के अनुसार, वो महिला अधिकारों को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ‘द हिंदू लेडी’ के नाम से लेख भी लिखती थीं. </p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india-41829024">गूगल डूडल बने अब्दुल क़वी दस्नवी कौन हैं?</a></p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/international/2016/05/160503_vert_man_behind_google_doodle_sh">कौन बनाता है गूगल के नए-नए डूडल</a></p><h1>महिला अधिकारियों में योगदान </h1><p>रखमाबाई शायद भारत की पहली महिला थीं जिन्होंने अपनी एमडी की डिग्री पूरी की. इसका ज़िक्र माधवी वर्दी की लिखी उनकी जीवनी में भी है. </p><p>हालांकि इसमें काफ़ी अड़चन भी आई क्योंकि उस समय लंदन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन महिलाओं को एमडी करने की इजाज़त नहीं देता था. इसके लिए वो लड़ीं और आख़िरकार ब्रसेल्स से अपनी पढ़ाई पूरी की. </p><p>उनको सावित्रीबाई फुले, पंडिता रमाबाई और आनंदी बाई जोशी की तरह महाराष्ट्र में उतनी शोहरत हासिल नही हुई. भारतीय अभिनेता निर्देश अनंत महादेवन ने उन पर एक फ़िल्म भी बनाई है- ‘डॉक्टर रखमाबाई.'</p><p>महादेवन कहते हैं, &quot;रखमाबाई पहली भारतीय महिला विद्रोही थीं. उनका वैवाहिक विवाद, शायद भारत में तलाक़ का पहला मामला था, जहां कोई महिला कोर्ट में खड़े होकर कहती है कि उसे बिना मर्जी के शादी से इनकार है.&quot;</p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/06/150601_nargis_birthday_md1_google_doodle_sk">नरगिस को गूगल डूडल का सलाम</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> करें. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>

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