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फ़ुटबॉल मैच देखते वक्त 45 लाख का इनामी नक्सली कमांडर गिरफ़्तार

<p> झारखंड की चाईबासा जेल से 2011 में भागे नक्सली कमांडर मोतीलाल सोरेन उर्फ संदीप दा को पुलिस ने एक फुटबॉल मैच के दौरान गिरफ़्तार कर लिया. </p><p>मोतीलाल सोरेन उर्फ संदीप दा फ़ुटबॉल के दीवाने रहे हैं. सारंडा जंगल के कुछ गांवों में उन्होंने युवाओं की फुटबॉल टीम बनाने में आर्थिक मदद की थी. 48 […]

<p> झारखंड की चाईबासा जेल से 2011 में भागे नक्सली कमांडर मोतीलाल सोरेन उर्फ संदीप दा को पुलिस ने एक फुटबॉल मैच के दौरान गिरफ़्तार कर लिया. </p><p>मोतीलाल सोरेन उर्फ संदीप दा फ़ुटबॉल के दीवाने रहे हैं. सारंडा जंगल के कुछ गांवों में उन्होंने युवाओं की फुटबॉल टीम बनाने में आर्थिक मदद की थी. 48 साल की उम्र में वो ख़ुद भी फ़ुटबॉल खेलते हैं. </p><p>पुलिस को फुटबॉल के लिए उनके लगाव का पता था और इसके चलते ही एक फुटबॉल मैच के दौरान मोतीलाल सोरेन को गिरफ़्तार कर लिया गया. </p><p>झारखंड पुलिस प्रवक्ता और अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) आर के मल्लिक ने उनकी गिरफ़्तारी की पुष्टि की है और मोतीलाल के पास से बम और पिस्तौल बरामद होने की जानकारी दी है.</p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india-38842471">क्या आदिवासी नक्सल कमांडरों का मोहभंग हो रहा है?</a></p><h1>भेष बदल कर पहुंची पुलिस </h1><p>आर के मल्लिक ने बीबीसी को बताया कि संदीप दा के नाम पर झारखंड सरकार ने 25 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी. इनाम की यह राशि पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) के एसपी को सौंप दी जाएगी. </p><p>ओडिशा सरकार ने भी संदीप दा पर 20 लाख रुपये का इनाम रखा था. </p><p>एसपी अनीश गुप्ता ने चाईबासा में मीडिया को बताया कि संदीप दा को जेटिया थाने के लतार कुंदरीझोर गांव से गिरफ़्तार किया गया. वहां फुटबॉल मैच हो रहा था और संदीप दा की मदद से बनी टीम खेल रही थी. इससे पहले संदीप दा कई मौकों पर पुलिस को चकमा देकर फरार हो चुके थे. </p><p>एसपी अनीश गुप्ता ने बताया, &quot;हमें इसकी जानकारी थी कि वो मैच देखने आने वाले हैं. हम लोगों ने अपने नौ अधिकारियों की टीम बनाई. दो गाड़ियों की व्यवस्था की और आम गांववालों के भेष में मैदान पहुंचे.&quot; </p><p>वो बताते हैं, &quot;संदीप दा वहां पहले से मौजूद थे और हमें देखकर उन्होंने भागने की कोशिश भी की. वो मूलतः गिरिडीह के रहने वाले थे लेकिन पिछले कई सालों से पश्चिमी सिंहभूम और उससे सटे ओडिशा के इलाक़े में सक्रिय थे. जनवरी 2011 मे चाईबासा जेलब्रेक के दौरान संदीप दा फ़रार हुए और तबसे पुलिस को उनकी तलाश थी.&quot;</p><p>उनके ख़िलाफ़ तीन दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे. </p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india/2015/07/150721_new_awards_for_naxalites_jharkhand_nr">नक्सलियों पर आठ करोड़ से ज़्यादा का इनाम</a></p><p>कोल्हान प्रमंडल के डीआइजी साकेत कुमार सिंह ने मीडिया से कहा, &quot;मोतीलाल सोरेन उर्फ़ संदीप दा के ख़िलाफ़ 36 मामले दर्ज थे. उन पर जनवरी 2011 में हुए चाईबासा जेलब्रेक के बाद दिसंबर 2014 के चाईबासा जेलब्रेक का भी आरोप था. इस जेलब्रेक के दौरान 15 नक्सली भाग गए थे और पुलिस फायरिंग में दो कैदियों की मौत भी हो गई थी.&quot; </p><p>उन्होंने बताया, &quot;उन पर साल 2004 में चाईबासा के तत्कालीन एसपी प्रवीण कुमार के काफ़िले पर हमले का आरोप भी है. इसमें एसपी तो बच गए थे लेकिन 31 जवानों की मौत हो गई थी.</p><p>उन्होंने बताया,&quot;इसके पहले साल 2002 में भी पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी पर हमले के एक मामले में वो आरोपी बनाए गए. इसमें 19 जवानों की मौत हुई थी. ओडिशा के क्योंझर में भी एक पुलिस अधिकारी की हत्या का आरोप संदीप दा पर लगा था. वे नक्सलियों की स्पेशल एरिया कमिटी (सैक) के सदस्य थे.&quot;</p><p><a href="http://www.bbc.com/hindi/india-39680369">इमली, महुआ पर टिकी जिंदगी में अब रेशमी बहारें</a></p><p>पुलिस का कहना है कि संदीप दा से पूछताछ में पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली हैं और संभव है कि आने वाले दिनों में कुछ और नक्सलियों की गिरफ़्तारी हो.</p><p>इस बीच झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय ने नक्सलियों से मुख्यधारा मे वापस लौटने की अपील की है.</p><p>(बीबीसी हिन्दी के<a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi"> एंड्रॉएड ऐप </a>के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a> और <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>

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