शुक्रवार तड़के छत्तीसगढ़ पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गाज़ियाबाद स्थित उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया.
उन पर आरोप है कि रमन सिंह सरकार के एक मंत्री से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी उनके पास है जिसकी उन्होंने नकल करवाई.
वर्मा को 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 384 (जबरन वसूली/ब्लैकमेलिंग) के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेस कर कहा कि सीडी बनाने वाले व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि उन्होंने ऑर्डर के आधार पर 1000 सीडी बनाई थी. इस व्यक्ति से विनोद वर्मा का नंबर मिला था. पुलिस का दावा है कि इन्हीं सीडी में से 500 वर्मा के घर से बरामद की गई हैं.
सेक्स सीडी मामलाः अब तक जो मालूम है
विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ ले जा रही है पुलिस
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और वर्मा पर लगे आरोपों के बारे में सोशल मीडिया पर खासी चर्चा है. चर्चा पुलिस कार्रवाई के तरीके की हो रही है साथ ही बहस इस बात पर भी है कि सेक्स वीडियो सीडी या पेन ड्राइव में रखना कैसा और कितना बड़ा अपराध है?
बीबीसी ने क्रिमिनल लॉयर और सुप्रीम कोर्ट के वकील ऋषि मल्होत्रा से बात की और जानने की कोशिश की कि इस तरह की पुलिस कार्रवाई में नागरिक अधिकार क्या होते हैं.
ऋषि मल्होत्रा–
- ये पुलिस की ज़िम्मेदारी है कि वो आधी रात के बाद और सवेरे छह बजे से पहले किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार ना करे.
- इस समयावधि में गिरफ़्तारी तभी हो सकती है अगर अभियुक्त के फ़रार होने की आशंका हो और आरोप बेहद संगीन हों.
- यानी आधी रात को भी गिरफ़्तारी, हत्या जैसे मामलों में हो सकती है जिसमें सबूत मिटाने का डर हो.
- बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि जब तक ज़रूरी न हो, गिरफ़्तारी नहीं की जानी चाहिए.
गिरफ्तारी के बाद क्या हैं अधिकार?
- व्यक्ति को गिरफ़्तार करने की सूरत में पुलिस को चौबीस घंटों के भीतर व्यक्ति को जज के सामने पेश करना होता है.
- पुलिस को पूछताछ करने का अधिकार है, लेकिन इस दौरान व्यक्ति अपने वकील से मिलने की मांग कर सकता है और अपने रिश्तेदारों से बात करने की भी मांग कर सकता है.
‘जो सत्तापक्ष की तरफ नहीं झुके उनके लिए संदेश’
छत्तीसगढ़ में एक और ‘पत्रकार’ गिरफ़्तार
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल–
- सेक्स सीडी की नकल करवाने का मामला आईटी एक्ट के तहत आता है. हालांकि आईटी एक्ट के तहत अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं है, लेकिन उसका प्रकाशन करना या इसमें सहायता करना अपराध है.
- सेक्स वीडियो देख कर मिटा देना दंडनीय अपराध नहीं है. सीडी देख कर उसे नष्ट कर देना करना अपराध नहीं है.
- लेकिन सेक्स वीडियो को कंप्यूटर पर सेव करके रखना अपराध है क्योंकि इसे वीडियो प्रकाशित करना माना जाता है. ऐसे में आपको प्रकाशन करने में सहायता करने के संदर्भ में दोषी माना जा सकता है.
- सेक्स वीडियो की नकल बनाना धारा 67 के तहत अपराध है. ये ज़मानती अपराध है और इसमें अधिकतम तीन साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है.
- अगर वीडियो में अश्लील सामग्री है तो ये धारा 67-ए के तहत आ सकता है. इसमें आईटी एक्ट के तहत अधिकतम पांच साल की सज़ा है और ये गैर ज़मानती अपराध है.
- अगर सेक्स वीडियो में 18 साल से कम उम्र का किशोर-किशोरी है तो ये चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी का मामला बन जाता है और इसके तहत पांच साल की सज़ा हो सकती है.
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