आसनसोल: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के बर्दवान जिला सचिव व पूर्व सांसद आरसी सिंह ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयुक्त मीरा पांडेय को फैक्स भेजकर पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं द्वारा पार्टी नेताओं पर हमला करने तथा नामांकन पत्र छीनने की शिकायत की है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में जामुड़िया व अंडाल थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. उन्होंने कहा कि टीएमसी नेताओं की रणनीति चुनाव में नामांकन न करने देने की है. इसे केंद्र कर क्षेत्र में पहले से ही आतंक बनाया जा रहा है.
जिला सचिव श्री सिंह ने कहा कि चुनाव में आतंक फैलाने के लिए पहले से ही रणनीति बनायी गयी है. तृणमूल के वरीय नेता खुलेआम कह रहे हैं कि वामपंथी पार्टियां पचास फीसदी सीटों पर नामांकन नहीं कर पायेगी. इसका संकेत सीधे यह गया है कि किसी भी कीमत पर इन्हें नामांकन करने से रोका जाना है. बर्दवान जिले में बुधवार से नामांकन शुरू हुआ.
तृणमूल नेताओं ने प्रखंड कार्यालयों से निकलनेवाले सभी मुख्य रास्तों पर अपनी वाहिनी खड़ी कर रखी थी. वामपंथी पार्टियों के समर्थकों के नामांकन पत्र लेकर निकलने के बाद उनसे नामांकन पत्र ले लिया गया तथा उनके साथ मारपीट की गयी. उन्होंने कहा कि रानीगंज लोकल कमेटी के सचिव गोपाल चरण ओझा जामुड़िया ब्लॉक कार्यालय से नामांकन पत्र लेकर लौट रहे थे.
धसाल के पास टीएमसी की बाइक वाहिनी ने उनके साथ मारपीट की तथा नामांकन पत्र लेकर फाड़ दिये. इसके साथ ही बुरे अंजाम की धमकी भी दी. इसकी शिकायत जामुड़िया थाने में दर्ज करायी गयी है. उन्होंने कहा कि सिदुली निवासी तथा पार्टी के सक्रि य कर्मी जयंत सेन के साथ अंडाल मोड़ पर मारपीट की गयी. उस समय वह अपने माता-पिता के साथ जा रहा था. उसे राजनीति करने तथा चुनाव में सक्रि य रहने पर बुरे अंजाम की धमकी दी गयी. इसकी शिकायत अंडाल थाने में दर्ज करायी गयी है.
श्री सिंह ने कहा कि पूरे जिले में यही स्थिति है. वामपंथी पार्टियों से जुड़े गरीब तबके के कर्मियों को चुनाव लड़ने पर गांव से बहिष्कार करने, कार्य नहीं करने देने तथा परिजनों की हत्या करने की धमकी घर-घर जाकर दी जा रही है. उन्होंने कहा कि धमकी देने के लिए संभावित प्रत्याशियों की सूची संग्रह की जा रही है.
उन्होंने कहा कि पांडेश्वर सहित विभिन्न ग्रामीण इलाकों में स्थिति बेहद भयावह बनी हुई है. रास्तों में किसी न किसी बहाने मारपीट की स्थिति पैदा की जा रही है. इसकी शिकायत करने के बाद भी पुलिस कोई पहल नहीं कर रही है. पुलिस तृणमूल के हाथों की कठपुतली बन गयी है.
उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग ने इस संबंध में सार्थक पहल नहीं की तो ग्रामईण इलाकों में काफी रक्तपात हो सकता है. जनतांत्रिक अधिकारों के लिए वामपंथी कर्मी हर चुनौती स्वीकार करेंगे. आतंक के बल पर की जा रही राजनीति से लोकतंत्र को ही खतरा होगा.