बिहार के समस्तीपुर के लोगों ने जब ज़िले में बढ़ते अपराध के खिलाफ आवाज़ बुलंद की तो उसका अंजाम भी जनता को ही भुगतना पड़ा.
ज़िले में गिरती कानून-व्यवस्था का विरोध कर रही भीड़ में से एक व्यक्ति की शुक्रवार सुबह गोली लगने से मौत हो गई.
दरअसल, समस्तीपुर जिले के असादी गाँव के चिकित्सक और दवा व्यवसायी जनार्दन ठाकुर की हत्या बुधवार शाम को अज्ञात लोगों ने कर दी थी.
समस्तीपुर निवासी मुकुल उपाध्याय के अनुसार इस जघन्य हत्या के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी ज़िला प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
ये किसान 24 घंटे बिजली क्यों नहीं चाहते हैं?
BHU की छात्राओं का प्रदर्शन जारी, विरोध में मुंडवाए सिर
इस घटना के एक दिन पहले 17 साल की एक लड़की का भी अपहरण हो गया था. दोनों मामलों में पुलिस की ओर से अब तक संतोषजनक कार्रवाई न किए जाने से नाराज़ लोगों ने शुक्रवार को शांतिपूर्ण मार्च निकाला, लेकिन भीड़ जैसे ही ताजपुर थाने के पास पहुंची, पुलिस ने लाठियां बरसा दीं.
पुलिस का फायरिंग से इनकार
भीड़ उग्र हो गई और ताजपुर थाने में लगी आठ गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
मुकुल उपाध्याय का कहना है, "इस बीच पुलिस ने दर्जनों राउंड फायरिंग कर दी जिसकी वजह से भैरोखड़ा गाँव के जितेंद्र कुमार की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए."
‘ईमानदार’ अधिकारी के विरोध का अनोखा तरीका
वहीं समस्तीपुर के पुलिस सुपरिन्टेंडेंट दीपक रंजन का कहना है कि युवक की मौत भीड़ की ओर से चलाई गई गोली से हुई है और पुलिस की ओर से कोई फायरिंग नहीं की गई.
वो कहते हैं, "दोनों ही मामलों में पुलिस सक्रिय है और तत्परता से अनुसंधान में जुटी है."
दीपक रंजन का दावा है कि फिलहाल "स्थिति नियंत्रण में है."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)