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।।तोक्यो से अनुज कुमार सिन्हा।। -मनमोहन सिंह व शिंजो एबे के बीच बातचीत- भारत-जापान ने सदियों पुराने रिश्ते को और प्रगाढ़ करते हुए रणनीतिक व आर्थिक सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया. जापान ने वादा किया कि वह भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का पूर्ण सदस्य बनाने व असैन्य परमाणु समझौते की दिशा में […]

।।तोक्यो से अनुज कुमार सिन्हा।।
-मनमोहन सिंह व शिंजो एबे के बीच बातचीत-
भारत-जापान ने सदियों पुराने रिश्ते को और प्रगाढ़ करते हुए रणनीतिक व आर्थिक सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया. जापान ने वादा किया कि वह भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का पूर्ण सदस्य बनाने व असैन्य परमाणु समझौते की दिशा में नयी दिल्ली के साथ मिल कर काम करेगा. बुधवार को जारी साझा बयान में कहा गया है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण निकायों का पूर्ण सदस्य बनाने की जमीन तैयार करने के लिए जापान प्रतिबद्ध है. इन अंतरराष्ट्रीय निकायों व व्यवस्थाओं में एनएसजी, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, ऑस्ट्रेलिया समूह व वासेनार समूह शामिल हैं.

इससे पूर्व अपनी तीन दिवसीय जापान यात्र के अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबे के बीच बातचीत हुई. इस दौरान जापानी सम्राट अकिहितो के इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले भारत दौरे को लेकर भी चर्चा हुई.

सहयोग से आयेंगे और करीब : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध एशिया प्रशांत एवं हिंद महासागर क्षेत्र की दिशा में बढ़ने में भारत और जापान स्वाभाविक साझीदार हैं. हमने राजनीतिक संवाद और रणनीतिक विचार-विमर्श को गहन करने तथा नौसैन्य अभ्यासों एवं रक्षा तकनीक में सहयोग सहित रक्षा संबंधों, उच्च तकनीक, अंतरिक्ष, ऊर्जा सुरक्षा एवं भू-खनिजों को लेकर सहयोग को धीरे-धीरे मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया है. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में सुधार, स्पष्ट, नियम आधारित एवं संतुलित क्षेत्रीय ढांचे तथा गहन क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और संपर्क की भी मांग करेंगे.

शिक्षा पर जोर : दोनों नेताओं ने भारत और जापान के युवकों को करीब लाने पर सहमति जतायी है. हर साल 1200 भारतीय युवक जापान जायेंगे. दोनों प्रधानमंत्री शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमत हैं.

सीटीबीटी पर जोर : असैन्य परमाणु समझौते को लेकर ठोस प्रगति होने की संभावनाओं को उस वक्त थोड़ा झटका लगा जब जापानी प्रधानमंत्री ने समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को जल्द अमल में लाने के महत्व पर जोर दिया. कभी परमाणु हमले की मार झेल चुका जापान चाहता है कि भारत एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे, जबकि भारत इन व्यवस्थाओं को भेदभावपूर्ण मानता है. अपनी ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु परीक्षण पर भारत की एकतरफा और स्वैच्छिक रोक के प्रति देश की प्रतिबद्धता व्यक्त की.

संरक्षक की तरह हैं मनमोहन : डॉ सिंह का स्वागत करते हुए एबे ने कहा, आप वरिष्ठ नेता और संरक्षक की तरह हैं. मैं आपको अपना प्यारा दोस्त बुला सकता हूं. जापानी प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा मानना है कि मैं खुद से जितना नहीं सीख पाया, उससे ज्यादा आपसे सीखा. आपने जो कदम उठाए हैं, उसकी परख रोजाना की सुर्खियां नहीं, इतिहास करेगा. मेरा मानना है कि आपने जो शांति के साथ काम किया है, मुङो भी वही करना चाहिए.

अटकलों को किया खारिज : भारत ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि वह जापान के साथ रिश्तों में धीमा पड़ा है क्योंकि चीन को नाराज नहीं करना चाहत. जापान ने कहा कि बीजिंग के साथ नयी दिल्ली के सहयोग करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है. दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर जापान ने कहा कि यथास्थिति को बदलने के लिए चीन की ओर से व्यापक प्रयास किये हैं और यह तोक्यो के लिए चिंता का विषय है.

मुख्य बातें
-दोनों पक्षों ने असैन्य परमाणु सहयोग के महत्व को दोहराया
-दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरिडोर परियोजना के निर्माण में मदद
-नालंदा विश्वविद्यालय के लिए भी जापान देगा सहायता
-चेन्नई-बेंगलुरु इंड्रस्ट्रीयल कोरिडोर में जापान की रुचि
-तेज गति से चलनेवाली ट्रेन की तकनीक देगा जापान
-1200 भारतीय युवक हर साल जायेंगे जापान

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