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उम्र पर हौसला भारी, ग्रेज़ुएशन के 79 साल बाद पोस्ट ग्रेजुएट

बिहार की राजधानी पटना के राजेन्द्र नगर के रहने वाले बुजुर्ग राजकुमार वैश्य ने एक ऐसी मिसाल कायम की है जिसे सुनकर कई लोगों को हौसला मिलेगा. उन्होंने 98 साल की उम्र में पोस्ट ग्रैजुएट की पढ़ाई पूरी की है. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए कर रहे वैश्य के परीक्षा का नतीजा सितंबर […]

बिहार की राजधानी पटना के राजेन्द्र नगर के रहने वाले बुजुर्ग राजकुमार वैश्य ने एक ऐसी मिसाल कायम की है जिसे सुनकर कई लोगों को हौसला मिलेगा. उन्होंने 98 साल की उम्र में पोस्ट ग्रैजुएट की पढ़ाई पूरी की है.

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमए कर रहे वैश्य के परीक्षा का नतीजा सितंबर महीने की 25 तारीख को आया. इसमें वो सेकेंड डिविजन में पास कर गए.

वैश्य की कहानी प्रेरणादायी

वैश्य ने बीबीसी को बताया, "रिवाइज करते थे. परेशान नहीं होते थे. क्योंकि पास होकर कोई नौकरी तो करनी नहीं थी. पास कर गए तब भी ठीक, फ़ेल हो गए तब भी ठीक."

105 साल की उम्र में बनाया रिकॉर्ड

ज़िंदादिली की मिसाल

उन्होंने कहा, "सबसे पहले लिटरेचर आया. हिंदी से इंग्लिश में ट्रांसलेट करते गए. एक रिविजन हो गया. दूसरी दफ़ा हमने डिटेल में पढ़ा. और फिर डिटेल में प्रश्न वाइज नोट्स बनाए. सब नोट्स बन गए तो उसका शॉर्ट नोट्स बनाया. क्योंकि इम्तिहान से एक दिन पहले बहुत तो नहीं पढ़ सकते. शॉर्ट नोट्स बनाया. आख़िरी में एक पर्चे पर सिर्फ़ प्वाइंट बनाकर रखे, कार में भी पढ़ते थे, उतना प्रस्तुत किया जितना कर सके."

वैश्य की कहानी उन बुजुर्गों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो 60 पार करते ही खुद को लाचार समझने लगते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार कुमार अनिल ने बीबीसी से कहा, "युवाओं के लिए प्रेरणादायी है. संकल्प हो, मेहनत हो, मानसिक रूप से मजबूत रहे तो किसी भी स्थिति में लक्ष्य को पाया जा सकता है. बुज़ुर्गों के लिए संदेश है कि आपका शरीर भले कमजोर होता जाता है लेकिन मानसिक तौर पर मजबूत हैं तो शरीर भी आपका दृढ़ रहेगा."

आसान नहीं थे हालात

ऐसा नहीं है कि वैश्य की परिस्थितियां अनुकूल थीं. उनके बड़े बेटे का 28 साल पहले आकस्मिक निधन हो गया. 14 साल पहले उनकी पत्नी चल बसीं. बुढ़ापा में कई रोगों के शिकार हो चुके हैं. लेकिन नई लकीर खींची है.

पुत्रवधू प्रोफ़ेसर भारती एस कुमार कहती हैं, "वैसे भी वह बहुत संयमी और अनुशासन में रहते हैं. लेकिन उस समय अपने ऊपर अनुशासन कड़ाई से लागू किया. ठंडी चीज़ नहीं, बहुत गरम चीज़ नहीं. कोई ऐसी चीज़ नहीं जो नुकसान दे जाय उससे वो परहेज करते थे."

1 अक्टूबर को है वृद्धजन दिवस

वैश्य ने 1938 में आगरा यूनिवर्सिटी से ग्रेज़ुएशन किया था. 1982 में एक माइका कंपनी से बतौर जनरल मैनेजर रिटायर हुए. 35 साल बाद पीजी किया.

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एसपी सिन्हा ने बीबीसी से कहा, "वैश्य साहब ने बिहार और देश के लिए मिसाल कायम किया है. 98वें साल की उम्र में परीक्षा पास की. यह अपने आप में कौतूहल पैदा करता है. निश्चित रूप से मार्गदर्शन का काम करता है."

1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जा रहा है और राजकुमार वैश्य वो मिसाल कायम की है जिसके सम्मान में मस्तक खुद ब खुद उनके सम्मान में झुक जाता है.

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