रखाइन : रोहिंग्या आतंकियों के द्वारा हिंदुओं को मारे जानें की खबर है. जानकारी के अनुसार रखाइन में हिंदुओं की कब्र मिली है जिसका दावा म्यांमार की सेना ने किया है. सेना ने कहा है कि रोहिंग्या आतंकियों के द्वारा मारे गये 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिली है.
म्यांमार सेना ने जानकारी दी कि एक स्थान पर सामूहिक कब्र मिली है और इन हिंदुओं की हत्या रोहिंग्या आतंकियों के द्वारा की गयी है. यहां उल्लेख कर दें कि पिछले कई सालों से म्यांमार सेना और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच संघर्ष चलता आ रहा है. रोहिंग्या मुसलमानों पर कई बार सेना के जवानों को मारने का आरोप भी लगा है. म्यांमार में बढ़ रही हिंसा के कारण ही कई रोहिंग्या मुसलमान दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं. कई रोहिंग्या मुसलमानों से सभी अधिकार छीन लिये जाने के बाद म्यांमार में उनके साथ अत्याचार होने के ज्यादा मामले प्रकाश में आ रहे हैं और उन पर कई पाबंदियां लगा दी गयी. बढ़ते अत्याचार के बाद रोहिंग्या मुसलमानों नेबांग्लादेश और भारत की ओर रूख किया. कुछ लोगों ने अपने अधिकार पाने के लिए कई आतंकवादी गतिविधियों का सहारा भी लिया.
बांग्लादेश ने रोहिंग्या शरणार्थियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई
इस खबर के इतर बांग्लादेश ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए टेलीकॉम कंपनियों के रोहिंग्या शरणार्थियों को मोबाइल फोन कनेक्शन बेचने पर पाबंदी लगा दी है. बांग्लादेश की चार मोबाइल सर्विस प्रोवाइडरों को चेताया है कि अगर उन्होंने म्यामांर से आये चार लाख 30 हजार शरणार्थियों को प्रतिबंध के दौरान फोन प्लान दिये, तो उन पर जुर्माना लगाया जायेगा. दूरसंचार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इनायत हुसैन ने कहा, फिलहाल रोहिंग्या कोई सिम कार्ड नहीं खरीद सकते. दूरसंचार राज्यमंत्री तराना हालिम ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों पर पाबंदी लगाने का शनिवार का का फैसला सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
फ़ेसबुक से कौन डिलीट कर रहा है रोहिंग्या समर्थित पोस्ट?
उन्होंने रोहिंग्या से पैदा स्पष्ट खतरे के बारे में ज्यादा जानकारी दिये बिना कहा, हमने मानवीय आधार पर रोहिंग्या का स्वागत करने का कदम उठाया, लेकिन साथ ही हमारी अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता. बांग्लादेश के दूरसंचार विभाग ने कहा है कि इन रिफ्यूजी को बायोमीट्रिक पहचान पत्र जारी होने के बाद पाबंदी हटायी जा सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया के बारे में सेना का कहना है कि इसमें छह महीने लग सकते हैं. वहीं, दूसरी ओर म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आयीं आंग सांग सू की के समर्थन में बहुत से लोगों ने प्रदर्शन किया.