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यमन : युद्ध में घायल नागरिकों की मदद कर रहीं हैं ये महिलाएं

देश की मुश्किलों को कम करने में सरकार के साथ यमन में युद्ध ने महिलाओं का जीवन पूरी तरह से बदल दिया है. घर तक सीमित रहनेवाली महिलाएं अब बाहर निकलकर युद्ध प्रभावित लोगों की मदद कर रहीं हैं. साल 2015 में यमन संघर्ष की शुरुआत के बाद यहां की महिलाओं के जीवन पर गहरा […]

देश की मुश्किलों को कम करने में सरकार के साथ
यमन में युद्ध ने महिलाओं का जीवन पूरी तरह से बदल दिया है. घर तक सीमित रहनेवाली महिलाएं अब बाहर निकलकर युद्ध प्रभावित लोगों की मदद कर रहीं हैं.
साल 2015 में यमन संघर्ष की शुरुआत के बाद यहां की महिलाओं के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है. न्यूज डीपली में प्रकाशित एक खबर के अनुसार इस संघर्षपूर्ण देश में विधवाओं और गर्भवती महिलाओं का जीवन दूभर हो गया है, लेकिन इसके साथ ही कई महिलाएं अपने आसपास की स्थिति के अनुसार खुद को ढालकर चुनौतियों का सामना कर रहीं हैं.
महिलाएं एनजीओ से मिलनेवाली सहायता को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में भी सहयोग कर रहीं हैं. एडीन विश्वविद्यालय के एक 34 वर्षीय वकील और प्राध्यापक हबी अली जैन एदररोस ने बताया कि सरकार युद्ध से निबटने में व्यस्त है. युद्ध में सैनिक के साथ नागरिक भी घायल हो रहे हैं. इसलिए हम खुद एक दूसरे की सहायता करते हैं.
एदररोस ने पहले एक वकील बनने का फैसला किया था, ताकि वह सबको न्याय दिला सकें, लेकिन 2015 से एडन में अदालतें काम नहीं कर रही हैं. जब हैती के विद्रोहियों ने शहर को कब्जे में ले लिया, तो वह लोगों की मदद करने का दूसरा विकल्प तलाशने लगीं. उसने स्थानीय गैर-सरकारी संगठन सावास्या (समान) के साथ जुड़ गयीं. सावास्या की स्थापना 2014 में जनजातीय संघर्षों के बाद हुआ था.
संगठन के तीन मुख्य लक्ष्य हैं. मानव अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टिंग, एडन के आसपास के परिवारों को भोजन सहायता बांटना, जो युद्ध में अपनी कमाई खो चुके हैं.
लोगों तक बिजली मुहैया करवाना. जनरेटर खरीदने में असमर्थ लोगों को यह छोटे सौर ऊर्जा प्रणाली की सेवा देती है. एडन में आक्रमण शुरू होने के बाद के चार महीने महिलाएं सिर्फ गरीबों को खाना बनाने में ही सहयोग कर सकती थीं. लेकिन अब ये महिलाएं वॉलेंटियर्स का भी काम कर रहीं हैं.
इसके साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सों के रूप में स्वेच्छा से मदद कर रहीं हैं. एदररोस ने बताया कि हम कई बार क्रॉस फायर से बचते हुए गरीबों तक खाना पहुंचा चुके हैं.
2014 में बनायी गैर सरकारी संस्था
अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन सफरवर्ल्ड, ओरिएंट और यमन पोलिंग सेंटर, सेंटर फॉर अप्लाइड रिसर्च ने साझेदारी कर एक विश्लेषण रिपोर्ट बनाया है.
जिससे पता चलता है कि युद्ध ग्रस्त इस देश में महिलाएं कितना संघर्ष कर रहीं हैं. इसने युद्ध के प्रयासों या शांति निर्माण में महिलाओं की बढ़ती भूमिका पर भी प्रकाश डाला है. महिलाएं यहां प्राथमिक चिकित्सा, बाल संरक्षण और मनोवैज्ञानिक समर्थन का काम कर रहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यमन में महिलाएं निष्क्रिय दर्शक नहीं बल्कि युद्ध को रोकने से लेकर अपने परिवार की रक्षा तक में लगी हुई हैं.
वे अपने देश में शांति प्रयासों को आकार देने में पुरुषों के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. राहत कार्य में लगी एक एक यमनी महिला डॉक्टर मारवा अलुजैयैड ने बताया कि युद्ध की शुरुआत के बाद से महिलाएं बहुत दबाव में रही हैं. कई परिवारों ने लड़ाई की की वजह से अपने पिता और पति खोया है. इन महिलाओं ने घर का जिम्मेदारी पुरुषों की तरह निभायी है.

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