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भारत ने हिंसा के विभत्स रूपों के खात्मे की खातिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में चर्चा कराने का किया समर्थन

संयुक्त राष्ट्रः भारत ने रक्षा की जिम्मेदारी तथा नरसंहार, युद्ध अपराधों, जातीय सफाया और मानवता के खिलाफ अपराधों पर रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में चर्चा कराने का समर्थन किया है. भारत समेत 113 देशों ने 12 साल में पहली बार हो रही इस चर्चा का पक्ष लिया, जबकि पाकिस्तान समेत 21 अन्य देशों […]

संयुक्त राष्ट्रः भारत ने रक्षा की जिम्मेदारी तथा नरसंहार, युद्ध अपराधों, जातीय सफाया और मानवता के खिलाफ अपराधों पर रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में चर्चा कराने का समर्थन किया है. भारत समेत 113 देशों ने 12 साल में पहली बार हो रही इस चर्चा का पक्ष लिया, जबकि पाकिस्तान समेत 21 अन्य देशों ने विरोध जताया है. इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 17 देशों ने मतदान नहीं किया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि इस विचार पर खुले, समावेशी और पारदर्शी ढंग से विचार-विमर्श कराये जाने की जरूरत है.

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भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि रक्षा करने की जिम्मेदारी प्रत्येक देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है और भारत मौजूदा सत्र के लिए एजेंडे के एक विषय के रूप में इसे शामिल कराने का समर्थन करेगा. अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत महासभा के 72वें सत्र के एजेंडे में इसे शामिल करने की महासमिति की सिफारिश का समर्थन कर रहा है. 12 वर्षों में यह पहली बार है, जब महासभा ने औपचारिक एजेंडे में इस विषय को शामिल करने के पक्ष में वोट किया है.

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अकबरुद्दीन ने कहा यह हमारी समझ के अनुरूप है कि पूर्व प्रभावी निर्णय लेने के बजाय सामान्य अवधारणाओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श कराये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा भारत जैसे कई अन्य देशों ने कानूनी रूप से जटिल और राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए उचित रास्ता निकाले जाने की जरूरत का समर्थन किया है.

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