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जानिए कैसे ये महिला साइकिल के जरिये लड़ रही अधिकारों की लड़ाई

25 वर्षीय लुहेद बर्रह सऊदी अरब में महिलाओं को स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग की पैरवी कर रहीं हैं. उनका मानना है कि एक दिन देश में महिलाएं स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग करेंगी. सऊदी अरब को महिला अधिकारों के दमनकारी के रूप में जाना जाता है. किंग सलमान के आने के बाद महिलाओं को कुछ आजादी […]

25 वर्षीय लुहेद बर्रह सऊदी अरब में महिलाओं को स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग की पैरवी कर रहीं हैं. उनका मानना है कि एक दिन देश में महिलाएं स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग करेंगी.
सऊदी अरब को महिला अधिकारों के दमनकारी के रूप में जाना जाता है. किंग सलमान के आने के बाद महिलाओं को कुछ आजादी तो मिली है. लेकिन, अभी भी देश में महिलाओं को कार चलाने की आजादी नहीं मिली है. इसके बावजूद कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी आजादी की लड़ाई विभिन्न माध्यमों से लड़ रहीं हैं. एक अंगरेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, 25 वर्षीय बार्रह लुहेद को बचपन से ही साइकिल चलाना पसंद था. सऊदी अरब में वर्ष 2013 से महिलाओं को साइकिल चलाने की आजादी मिली हुई है. लेकिन, वे केवल पार्कों या समुद्र तटों पर एक परुष अभिभावक की उपस्थित में ही ऐसा कर सकती हैं.
लुहेद ने साइकिल के माध्यम से महिलाओं की लड़ाई जारी रखना चाहती हैं. उन्होंने सऊदी अरब के पहले लिंग समेकित साइकलिंग समुदाय, व्यवसाय व स्पोक्स हब की स्थापना पिछले साल की है. अब ने महिलाओं के लिए एक कैफे और कार्यशालाओं के साथ देश की एकमात्र साइकिल की दुकान चलाने वाली महिला है.
एक सऊदी महिला के साइकिल या बाइक चलाने पर प्रतिबंध है उन्हें बाद में पता चला. लेकिन, उनमें यह लगन थी की मैं यह कर सकती हूं. स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, वह एक बाइक की दुकान में काम करना चाहती थीं. लेकिन कोई भी एक महिला को अपनी दुकान में इसके लिए नहीं रखना चाहता था.
इसलिए वह पिछले साल वह अपने भाई के साथ चीन में साइकिल यात्रा में हिस्सा लेने गयी. वहां से लौटने के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह स्वतंत्र रूप से साइकिल चलायेगी. लेकिन उनके पैरों में सामाजिक बेड़ियां डाल दी गयी और उन्हें जगह-जगह पर रोका गया. उन्हें ऐसा लगा कि अबाया (एक पारंपरिक लंबे, काला परिधान) उसकी साइकिल की जंजीरों में अटक गयी. जो एक प्रकार का सामाजिक बंधन है जिससे वह निकल नहीं सकती. लेकिन यह सबसे बड़ी चुनौती नहीं थी.
वह कहती हैं कि यह एक सांस्कृतिक अवरोध है. लोगों ने उसके साइकिल चलाने का विरोध करना शुरू कर दिया. नियमित रूप से पुलिस लुहेद को रोकने लगी.
वह हंसते हुए कहती हैं कि पिछले हफ्ते मुझे रोक दिया गया क्योंकि किसी ने शिकायत की कि मैं अपराध कर रही हूं. जब मैंने साइकिल चलाना शुरू किया तो मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि हम लड़के आपस में तुम्हें साइकिल चलाते देख कर हंसते हैं. तुम एक लड़की हो और यह तुम नहीं कर सकती. लेकिन, मेरे माता-पिता ऐसा नहीं सोचते. उन्हें बस यही डर सताता है कि अधिक रूढ़िवादी परिवार उनकी बेटी को लेकर क्या सोचते होंगे. वह बताती हैं कि उनका सपना है कि सऊदी की सभी महिलाएं स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग करें.

कानून व समाज के दबाव के बीच खड़ी हैं लुहेद
महिलाओं के साइकिलिंग केंद्र खोलने के बाद लुहेद को कानूनी और सामाजिक दोनों स्तरों पर दबाया गया. कई मौके पर लुहेद के भाई को बताना पड़ता था कि वह साइकिलिंग केंद्र का मालिक है, ताकी उसकी बहन कानूनी मामले में न फसे.
वह बताती हैं कि जब इनवेस्टर सुनते की एक लड़की इस केंद्र की सीइओ है तो आश्चर्य करते और पैसा लगाने से इनकार कर देते. लेकिन कुछ ऐसी भी शक्तियां थी जिससे वह प्रेरित होती रहती थीं. देश में उनके जैसी और भी महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की थी.
वह सू मैसी की किताब व्हील्स ऑफ चेंज से प्रेरित हैं और कहती हैं कि एक दिन समाज में बदलाव जरूर आयेगा और महिलाएं यहां स्वतंत्र रूप से साइकिलिंग का लुत्फ उठायेंगी. स्पोक्स हब ने हाल ही में स्टाटप बिजने का पुरस्कार जीता है. सऊदी अरब की महिला खेल प्राधिकरण के उप-अध्यक्ष राजकुमारी रीमा ने इस परियोजना का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है. लुहेद कहती हैं कि जब मैं महिलाओं के सायकिलिंग की वकालत करती हूं, तो मैं महिलाओं के अधिकार की वकालत करती हूं. यहां की मूल मान्यतायें धीरे-धीरे बदल रहीं हैं.

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