दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावों में कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने चार में दो शीर्ष पदों पद जीत हासिल कर दमदार वापसी की है.
प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के पदों पर एनएसयूआई के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. जबकि सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पदों पर एबीवीपी को जीत मिली है.
रॉकी तुशीद ने प्रेसिडेंट पद के लिए 1,590 वोटों से जीत हासिल की जबकि वाइस प्रेसिडेंट पद पर कुनाल शेरावत को जीत मिली.
इससे पहले एनएसयूआई के अरुण हुड्डा ने 2012 में डूसू अध्यक्ष का पद जीता था.
जाहिर है, चुनाव के नतीजों से कांग्रेस समर्थक खेमें में ख़ुशी का माहौल है. सोशल मीडिया पर भी इस बारे में जोरदार चर्चा हो रही है. ट्विटर पर #DUSUelection2017 और #NSUIwinsDU ट्रेंड कर रहे हैं.
डीयू छात्रसंघ चुनाव में NSUI की दमदार वापसी
लोग फ़ेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रही हैं. एनएसयूआई को बधाइयां दी जा रही हैं साथ ही चुटकुले भी बनाए जा रहे हैं. एक ट्विटर यूज़र ने लिखा,”डीयू चुनाव के नतीजे मोदी जी के लिए ऐसे हैं जैसे इंटर्नल मार्क्स, मुख्य परीक्षा में क्या होगा इनका?”
वक़र अहमद कहते हैं,”छात्रसंघ चुनाव में भाजपा की होती हुई हार साबित करती है कि युवा पीढ़ी भाजपा से सख़्त नाराज़ है.” हदी मोहम्मद ने कहा,”पहले जेएनयू और अब डीयू. कम से कम देश के युवा तो सही सोच रहे हैं.”
राहुल पंडित ने लिखा,”सरकार और हुक्मरानों को समझना होगा. सॉफ़्ट तुष्टिकरण भी नहीं चलेगा. युवा समझदार है, सब समझता है.” राहुल शर्मा कहते हैं,”जेएनयू और डीयू की हार से पता चलता है कि एबीवीपी अपने ध्येय से भटक रही है और कहीं न कहीं अहंकार में आ रही है.”
सोशल मीडिया यूज़र्स ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर ही चुटकी लेने का मौका भी नहीं छोड़ा. ROLF KHER नाम के अकाउंट से ट्वीट किया गया,”पिछले साल डीयू में एबीवीपी की जीत का कारण नरेंद्र मोदी थे और इस साल हार का कारण जलवायु परिवर्तन है.”
अनंत सिंह ने तंज किया,”आज से डीयू भी ऐंटी नेशनल घोषित किया जाता है.”
कई लोग डीयू में एबीवीपी की हार को ‘तकनीकी समस्या’ का नतीज बताते हुए चुटकी ले रहे हैं.
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