।। रवि दत्त बाजपेयी ।।
अपने स्वतंत्रता दिवस के दिन सिंगापुर में जश्न का माहौल नहीं था
सिंगापुर आकार में सबसे छोटा और प्राकृतिक संपदा में सबसे दरिद्र था, लेकिन आर्थिक-सामाजिक प्रगति में सबसे तेज रहा. ली क्वान यू ने वैचारिक आदर्शवाद के स्थान पर व्यावहारिक यथार्थवाद को चुना. पढ़िए छठी कड़ी.
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही एशिया में उत्तर-औपनिवेशिक व्यवस्था का आगाज हुआ और कई नये स्वतंत्र राष्ट्रों का अभ्युदय हुआ, इन नवोदित राष्ट्रों के आरंभिक राष्ट्राध्यक्षों में सिंगापुर के ली क्वान यू सबसे अनूठे हैं. वे एशिया के अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने जीवन काल में ही स्वेच्छा से सत्ता छोड़ दी और अपने लिए अकूत भ्रष्ट संपत्ति जमा नहीं की. सिंगापुर के जन्म के बारे में ली क्वान यू ने अपनी एक किताब में लिखा, ‘‘कुछ देश जन्म से स्वतंत्र होते हैं, कुछ स्वतंत्रता हासिल करते हैं, सिंगापुर पर स्वतंत्रता जबरन थोप दी गयी थी.’’
सिंगापुर का जन्म भले ही असगुन रहा हो, लेकिन ली क्वान यू ने इस राष्ट्र को अत्यंत यशस्वी और सामथ्र्यवान बनाया. अमेरिकी लेखक राल्फ वाल्डो एमर्सन की उक्ति ‘‘एक संस्था एक व्यक्ति की छाया का विस्तृत रूप है’’, एक देश सिंगापुर और एक व्यक्ति ली क्वान यू पर एकदम सटीक बैठती है.
1923 में ब्रिटिश उपनिवेश सिंगापुर में चीनी मूल के अत्यंत धनाढय़ परिवार में जन्मे ली क्वान यू के सर्व सुविधायुक्त व सुखद जीवन में वर्ष 1942 में सिंगापुर पर जापानी कब्जे के बाद उलटफेर हो गया. सिंगापुर के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में पढ़े ली क्वान यू ने अपने नये जापानी शासकों के प्रचार विभाग में काम करना शुरू किया, कालाबाजारी भी की.
सिंगापुर पर जापानी कब्जे के दौरान ली क्वान यू ने तीन ऐसे सबक सीखे, जो बाद में उनके अपने प्रशासन के मूलमंत्र बने. स्थानीय सिंगापुरी लोग जापानी प्रशासन से जितनी घृणा करते थे, उससे कहीं अधिक जापानी ताकत से डरते थे, जापानी प्रशासन ने सिंगापुर में व्यवस्था बनाये रखने के लिए बेहद क्रूर हिंसक तरीके अपनाये थे, जो अपराध रोकने में बहुत सफल रहे थे, जापानी ताकत के डर से स्थानीय लोगों ने अपनी विचार शैली, जीवन शैली, मूल्य, आचरण यहां तक कि भाषा तक बदलना शुरू कर दिया.
युद्ध समाप्ति पर ली ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की, 1950 में वापस सिंगापुर लौटकर वकालत शुरू की और अपने अंगरेजी नाम हैरी ली को बदल मौलिक चीनी नाम रख लिया. 1954 में ली क्वान यू राजनीति में उतरे और पीपुल्स एक्शन पार्टी की स्थापना की. 1959 सिंगापुर के चुनाव में कम्युनिस्ट व श्रम संगठनों के सहयोग से ली क्वान यू प्रधानमंत्री चुने गये, 1960 में सिंगापुर में झुग्गी-झोपड़ियों के स्थान पर सुनियोजित और स्वच्छ घर बनाने के लिए हॉउसिंग डेवलपमेंट बोर्ड स्थापित किया.
1963 में ली क्वान यू ने सिंगापुर को मलाया संघ में शामिल करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन 1965 में मलय-चीनी नस्ली दंगों के बाद मलेशिया ने सिंगापुर को अपने संघीय ढांचे से बहिष्कृत कर दिया.
9 अगस्त 1965 को अपने स्वतंत्रता दिवस के दिन सिंगापुर में जश्न का माहौल नहीं था, ली क्वान यू के सामने विकराल समस्याओं का अंबार था. नये देश की सुरक्षा, बिना किसी प्राकृतिक संसाधन, कृषि उत्पाद, औद्योगिक उत्पादन के जनसंख्या को भोजन व अनिवार्य सुविधाएं देना, भयंकर दंगों के बाद चीनी, मलय, हिंदुस्तानी, इंडोनेशियाई नस्ल के लोगों को साथ रखना, ध्वस्त-भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र. अपने जन्म के समय सिंगापुर का कुल आकार 212 वर्गमील था जो ज्यादातर बंजर या दलदली क्षेत्र ही था, जल, अन्न, ईंधन, खनिज का एक स्रोत तक नहीं था, इन से ऊपर मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे दो विशालकाय और आक्र ामक पड़ोसी थे. एक प्रकार से नवस्वतंत्र सिंगापुर का सबसे बड़ा दुश्मन इसका भूगोल ही था, लेकिन ली क्वान यू ने इसे अपनी सबसे बड़ी संपत्ति बना दिया.
ली क्वान यू ने इस्रायल की तरह ही अपने देश में भी अनिवार्य सैनिक सेवा लागू की, ऐसी यथार्थवादी विदेश नीति अपनायी कि मलयेशिया-इंडोनेशिया को आसानी से साधा जा सके. सिंगापुर के भ्रष्ट व अकर्मण्य प्रशासन, पुलिस, शासकीय सेवाओं को एकदम चुस्त-दुरु स्त और ईमानदार बनाया, स्थानीय शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन किये, जिससे सिंगापुर में अंगरेजी भाषा में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण दिया जा सके.
दुनिया भर से बड़े उत्पादकों को सिंगापुर में कारखाने लगाने को बुलाया और सिंगापुर को वित्तीय लेनदेन का प्रमुख शहर बना दिया. अपने शासन के 20 सालों के भीतर ही ली क्वान यू ने सिंगापुर को भौगोलिक रूप से पूर्व-पश्चिम का मध्य बिंदु सिद्ध कर दिया और इसे एक वैश्विक महानगर के रूप में लंदन, न्यूयॉर्क के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक प्रतिष्ठित केंद्र बना दिया. 1989 में 65 वर्षीय ली क्वान यू सिंगापुर के प्रधानमंत्री के पद से स्वत: सेवा निवृत्त हुए तब सिंगापुर के प्रति व्यक्ति आय में 1965 के मुकाबले 50 गुना वृद्धि हो चुकी थी और आम आदमी का जीवन-स्तर एशिया में जापान के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया था.
ली क्वान यू को पूरी तरह लोकतांत्रिक नहीं माना जा सकता, अभिव्यक्ति पर पाबंदी, प्रेस पर बंदिशें, राजनीतिक विरोधियों का दमन उनकी असहिष्णुता के लक्षण हैं. ली क्वान यू द्वारा विपक्षी दल के नेताओं पर मानहानि का मुकदमा करके उन्हें दिवालिया बनाने के उदाहरण भी हैं. एशिया के अन्य विशिष्ट नेताओं जैसे नेहरू, सुकर्णो, माओ त्से तुंग, देंग शियाओ पेंग, हो ची मिन्ह के साथ ली क्वान यू का नाम भी जोड़ा जाता है. इन सबसे अलग ली क्वान यू का सिंगापुर आकार में सबसे छोटा और प्राकृतिक संपदा में सबसे दरिद्र था लेकिन आर्थिक-सामाजिक प्रगति में सबसे तेज रहा. ली क्वान यू ने वैचारिक आदर्शवाद के स्थान पर व्यावहारिक यथार्थवाद को चुना और इसीलिए विभिन्न अवसरों पर उनके एक व्यक्तित्व में एशिया के अन्य महारथियों नेहरू, सुकर्णो, माओ त्से तुंग, देंग शियाओ पेंग, हो ची मिन्ह के अंश देखे जा सकते हैं.