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वैज्ञानिकों ने विकसित किया घुलकर नष्ट होने वाला इलेक्ट्रानिक उपकरण

ह्यूस्टन : वैज्ञानिकों ने एक नया इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया है जो वातावरण में मौजूद जल के कणों के संपर्क में आकर घुल सकता है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इससे ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और जैव चिकित्सकीय शारीरिक उपकरण बनाए जा सकते हैं जो उपयोग के बाद शरीर के भीतर ही घुल जाएंगे. अमेरिका की यूनिवर्सिटी […]

ह्यूस्टन : वैज्ञानिकों ने एक नया इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित किया है जो वातावरण में मौजूद जल के कणों के संपर्क में आकर घुल सकता है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इससे ऐसे इलेक्ट्रॉनिक और जैव चिकित्सकीय शारीरिक उपकरण बनाए जा सकते हैं जो उपयोग के बाद शरीर के भीतर ही घुल जाएंगे.

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के सहायक प्रोफेसर सुंजियांग यू के मुताबिक संवेदनशील सूचनाओं को बचाने के लिए कुछ सैन्य उपकरण और एप्लिकेशन्स ऐसे भी हैं जिन्हें इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वे इस्तेमाल के बाद खत्म हो जाते हैं. ऐसे उपकरणों को प्राकृतिक तौर पर कुछ समय के लिए टिकने वाले इलेक्ट्रॉनिक के तौर पर जाना जाता है. अभी ऐसे किसी उपकरण के द्रवीकरण के लिए उसे जलीय सांद्र द्रव्य या शरीर में पैदा होने वाले द्रव्य में डुबाना होता है.

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह अनुसंधान बिल्कुल नई कार्य प्रणाली के बारे में बताता है – जिसमें आसपास की नमी के जरिए द्रवीकरण को सक्रिय किया जा सकता है. इस तकनीक के इस्तेमाल के जरिए, एक जैव चिकित्सकीय इंप्लांट को इस तरह से प्रोग्राम किया जा सकता है कि जब उसका काम – उदाहरण के लिए दवा रिलीज करने का काम – खत्म हो जाए तो वह अपने आप लुप्त हो जाए. यह अनुसंधान साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

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