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एचआईवी की वजह से इलाज नहीं करने का आरोप

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ के ज़िला अस्पताल के लेबर रूम से एक गर्भवती महिला को इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे एचआईवी था. उसके बाद उसने अस्पताल परिसर में ही जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया, लेकिन परिवार का आरोप है कि किसी भी डाक्टर या नर्स ने उन्हें नहीं देखा जिसके बाद उनकी मौत हो […]

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ के ज़िला अस्पताल के लेबर रूम से एक गर्भवती महिला को इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे एचआईवी था.

उसके बाद उसने अस्पताल परिसर में ही जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया, लेकिन परिवार का आरोप है कि किसी भी डाक्टर या नर्स ने उन्हें नहीं देखा जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

खरगापुर के पिपरा गांव की यह महिला जिला अस्पताल टीकमगढ़ में डिलीवरी के लिये मंगलवार रात 10 बजे अस्पताल में आई थी. लेकिन उनकी रिपोर्ट में जब एचआईवी होने की पुष्टि हुई तो डाक्टरों ने उन्हें लेबर रूम से बाहर कर दिया.

उसके बाद महिला ने बुधवार सुबह 4 बजे दो बच्चियों को जन्म दिया जिनकी मौत कुछ घंटों बाद हो गई.

महिला ने बताया, "बच्चियों के जन्म के बाद हमने उन्हें देखने के लिए डॉक्टर से कहा लेकिन कोई भी उनके इलाज के लिये तैयार नहीं हुआ. उसके बाद उनकी मौत हो गई."

वो कहती हैं, "मेरी बीमारी की वजह से वो लोग उन्हें छूने को तैयार नहीं थे और इसी वजह से उनकी मौत हो गई."

वहीं सिविल सर्जन डॉ. आरएस दंडौतिया ने बताया, "महिला के आने के बाद उसकी जांच की गई और पाया गया कि उसकी हालत ठीक नहीं है. उस वजह से उसे झांसी रेफर कर दिया गया था."

डॉ. आरएस दंडौतिया कहना है, "बच्चियों का वजन मात्र 500 ग्राम था और उनके अंग भी सही तरह से विकसित नही हुये थे. इस वजह से उनका बचना मुश्किल था."

उन्होंने बताया कि अस्पताल में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरती गई.

वो कहते हैं, "परिवार वाले महिला को झांसी ले जाने के लिए पहले तैयार हो गए थे, बाद में पता नही उन्होंने ऐसा क्यों किया."

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