जमुई : गंदगी से बजबजाती सिकुड़ी गलियों वाले जमुई शहर को देख कर शायद ही कोई यह सकता है कि यहां विकास को लेकर जनप्रतिनिधियों ने रुचि दिखाया हो. शहर में घुसने के साथ शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो जाम में नहीं फंसता होगा. हर चुनाव में जाम भी मुद्दा बनता रहा, लेकिन किसी ने इसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा. राजनीतिक दृष्टि से भी यह जिला उर्वर है. लेकिन दुखद बात है कि यहां के वाशिंदे खुद समस्याओं के मकड़जाल में फंसे हैं.शहर में जाम की समस्या नासूर बनी है.
सुबह हो या शाम शहर की सड़कों पर वाहनों को रेंगते देखा जाता है. बढ़ती आबादी और वाहनों के बीच सिकुड़ती सड़क ने जाम की समस्या को विकराल बना दिया है. रही-सही कसर अतिक्रमण पूरा कर रही है. सड़क पर दुकान से लेकर मकान तक से लोग परेशान हैं. कभी कभार प्रशासन को अतिक्रमणकारियों पर डंडा भांजते देखा जाता है. शहरवासियों ने आवाज उठाई,प्रशासन से लेकर शासन तक का ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन मामला चुनावी मुद्दा से आगे नहीं बढ़ सका. कुल मिलाकर विकास के दावे के बीच आज भी लाखों की आबादी सिसकने को विवश है.
कहते हैं शहर के लोग
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शुकदेव केशरी, चिकित्सक डा. अंजनी कुमार सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद कुमार सिंह कहते हैं कि राजनीतिक शिथिलता के कारण समस्या का निदान अबतक नहीं हो सका है. इनकी मानें तो राजनीतिज्ञों की इच्छा शाक्ति होती तो कब इसका निराक रण हो जाता. चुनाव में सभी दलों के लोग इसे बड़ा मुद्दा मानते हैं, लेकिन चुनाव के बाद पांच साल तक जनप्रतिनिधि सुध भी नहीं लेते. वहीं छात्र राहुल कुमार, विपुल, शशि, रवि, शुभम, अभिषेक व अस्मित का कहना है कि आम चुनाव में यह अहम चुनावी मुद्दा होना चाहिए, ताकि आगामी दिनों में इसका समाधान हो सके.