खूंटी. खूंटी लोकसभा चुनाव में भाजपा के कड़िया मुंडा जैसे दिग्गज अपनी जमीन बचाने उतरे हैं, तो कांग्रेस अपनी खोयी प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए पसीना बहा रही है. झापा के एनोस एक्का और आजसू के नियल तिर्की भी मैदान में हैं.
मैदान में 11 पुरुष उम्मीदवारों को टक्कर देने के लिए तीन महिला प्रत्याशी भी हैं. राजनीति के खेल में महिला उम्मीदवार अपनी साख बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला भी खूंटी में बदलाव के लिए संघर्ष कर रही है. वहीं जिला परिषद की सदस्य नीतिमा बोदरा बारी के चुनाव में उतरने से रोमांच बढ़ गया है. निर्दलीय असरीता टूटी भी बुलंद हौसले के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं.
दयामनी बारला
दयामनी बारला आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. वे विस्थापन के खिलाफ लड़ती रहीं हैं. उन्होंने जल, जंगल, जमीन बचाने को एजेंडा बनाया है. गांव-गांव घूम रहीं हैं. एम कॉम तक पढ़ीं दयामनी ने अपने बूते पहचान बनायी है. दयामनी कहती हैं कि झारखंड को बचाना है, तो यहां के संसाधनों की लूट को रोकना होगा. जल, जंगल, जमीन की बात करने वाले ही सच्चे झारखंडी हैं. शोषण के खिलाफ मुखर होने की जरूरत है.
असरीता टूटी
असरीता टूटी जियारप्पा गांव की रहनेवाली हैं.खेल के विकास में शुरू से इनकी रुचि है. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जनता की सेवा को लेकर चुनाव में खड़ी हैं.एमए तक पढ़ाई की है. सीमित संसाधन के बीच वह प्रचार अभियान में जुटीं हैं. घर-घर पहुंच रहीं हैं. वह कहतीं हैं कि जनता के दु:ख-दर्द में हमेशा साथ रहतीं हैं. जनता के बीच अपनी पहचान बनायी हैं. श्रीमती टूटी को भरोसा है कि जनता का समर्थन हासिल होगा.