सोलहवीं लोकसभा के लिए चुनाव प्रक्रिया चल रही है. इस समय देश चौराहे पर खड़ा है और साथ में हम सबका भविष्य भी. हमारे जीवन का स्तर सुधरेगा या नहीं, युवाओं को रोजगार मिलेगा या नहीं, हर बच्चे की शिक्षा का इंतजाम होगा या नहीं, मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर और दवाएं उपलब्ध होंगी या नहीं, सबके सिर पर छत होगी या नहीं, न्याय व्यवस्था त्वरित और दुरुस्त होगी या नहीं, महिलाओं की सुरक्षा का इंतजाम कमजोर होता जायेगा या मजबूत, भ्रष्टाचारी नेता-अफसरों पर अंकुश लगेगा या वे बेखौफ रहेंगे, सरकारी कल्याण योजनाएं आम जन का कल्याण करेंगी या कुछ लोगों की जेबें ही भरती रहेंगी, सीमाओं पर सुरक्षा के लिए हमारे इंतजाम चाक-चौबंद होंगे या हमारी सेना साजो-सामान के लिए तरसती रहेगी. विश्व कूटनीतिक नक्शे पर हमारा प्रभाव होगा या हम तमाम गरीब देशों की तरह हाशिये पर ही रहेंगे.. ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिनके सकारात्मक जवाब अच्छी राजनीति से ही निकलेंगे.
अच्छी राजनीति तभी सामने आयेगी जब एक वोटर के तौर पर हम भी जाति-धर्म-क्षेत्र और निजी हित के संकुचित दायरे से बाहर निकल कर इन सवालों पर सोचेंगे और फैसला करेंगे कि देश की बागडोर के लिए वोट का आधार क्या हो. चुनाव में वोट मांग रहे राजनीतिक दल और नेता भले इन सवालों पर न बोल रहे हों, लेकिन यदि हम-आप बोलेंगे और इनसे ये सवाल पूछेंगे तभी राजनीति सही दिशा की ओर मुड़ेगी, बदलेगा हमारा जीवन और बेहतर होगा समाज व देश के तौर पर हमारा भविष्य.
20 दिन ही टिकेगी शत्रु के सामने हमारी सेना
देश की वायु सेना और नौ सेना की कौन कहे, यहां तो पैदल सेना भी हथियारों की भारी कमी से जूझ रही है. जानकारों का कहना है कि अगर युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाये तो भारतीय सेना के पास 20 दिनों से ज्यादा लड़ाई में टिकने लायक साजो-सामान नहीं है. यह हमें याद रखना चाहिए कि चीन के बाद भारत दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. कायदे से सेना के पास 40 दिनों तक के लिए साजो-सामान होने चाहिए ताकि अगर युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाये तो उससे मुकाबला किया जा सके. विशेषज्ञ कहते हैं कि आज युद्ध हो जाये तो भारतीय सेना लगातार 20 दिनों तक भी नहीं टिक सकेगी. हथियारों की भारी कमी का असर सेना की ऑपरेशनल तैयारियों पर पड़ रहा है.
65000000 लोग रहते हैं स्लम में
इस समय शहरी भारत ने 9.42 लाख लोग बेघर हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार शहरी बेघरों की संख्या ग्रामीण बेघरों से ज्यादा है. देश के विभिन्न शहरों में 6.5 करोड़ लोग स्लम में रहते हैं. स्लम में रहने वालों की तादाद सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है. आनेवाले दिनों में शहरी क्षेत्र में घरों की बड़ी किल्लत होगी. राजनीतिक दल क्या कभी भी इस ओर ध्यान देंगे?
इन घोटालों को याद रखिए
2जी घोटाला : कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कौड़ी के भाव बेच दिये
गए स्पेक्ट्रम जिससे खजाने को 176000 करोड़ का नुकसान हुआ. सीबीआइ के अनुसार नुकसान 30000 करोड़ का था.
कोयला घोटाला : कैग के अनुसार निजी कंपनियों को कोयला खदान आवंटन एक तरह से मुफ्त में कर दिया गया है. इससे देश के खजाने को 185591 करोड़ का नुकसान हुआ. इस मामले में प्रधानमंत्री पर भी उंगली उठी. जांच में पता चला कि इस मामले से संबंधित करीब 200 फाइलें गायब हैं.
हेलीकॉप्टर घोटाला : अगस्ता वेस्टलैंड से 12 हेलिकॉप्टर के लिए 3600 करोड़ रुपए की डील हुई थी. इस मामले में कई राजनेता और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने का आरोप है. पूर्व वायु सेना प्रमुख शशि त्यागी पहले वायु सेना प्रमुख हैं जिनपर इस तरह के आरोप लगे हैं.
सीडब्ल्यूजी घोटाला : इसमें नुकसान संभवत: सिर्फ 90 करोड़ का हुआ है, लेकिन इस स्कैम ने दुनिया के सामने देश की छवि को तार-तार कर दिया. जांच में पता चला कि एक टायलेट पेपर 80 डालर और सोप डिसपेंसर 61 डालर में खरीदा गया.
बीपीएल परिवारों ने दी 883 करोड़ की घूस
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अनुसार पांच करोड़ बीपीएल परिवारों ने 883 करोड़ रुपये घूस में दिये.घूसखोरी की व्यवस्था अत्यंत कमजोर व गरीब लोगों को भी नहीं छोड़ती. ये घूस मनरेगा, राशन, बिजली-पानी और हाउसिंग जैसी सुविधाओं को लेने के एवज में दिये गये.
महिला अपराध 74% बढ़े
महिलाओं के खिलाफ अपराध में 74 फीसदी का इजाफा हुआ है. घरेलू हिंसा के मामलों में 140 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि अपहरण के 117 फीसदी मामले बढ़े हैं.
45 फीसदी कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति कम हुई
जंगलों की कटाई, अनियंत्रित खनन, रासायनिक खादों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल की वजह से 45 फीसदी भूमि की स्थिति खराब हो गई है. उसकी उर्वरा शक्ति कम हो गई है. उपज बढ़ाने को किसानों को हर वर्ष रासायनिक खादों की मात्र बढ़ानी पड़ रही है. इसका मिट्टी और भू-जल और वहां के लोगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इसी तरह शहरों में बढ़ती गाड़ियां और बेतरतीब निर्माण ने प्रदूषण को हद से ज्यादा बढ़ा दिया है. विकास के नाम पर इन सब चीजों को नियंत्रित करने की नीति बनाने से सभी दल हिचकते हैं. इस मामले में यदि हम लोग समय रहते नहीं चेते तो आने वाले समय में खाद्यान्न उपज में कमी के साथ-साथ भारत कई घातक बीमारियों की राजधानी बन जाएगा.
1995 से अब तक 270940 किसानों की खुदकुशी
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 1995 से अब तक देश के विभिन्न इलाकों में 270940 किसानों ने आत्महत्या कर ली. 2001 से 2011 के बीच औसतन 16743 किसानों ने हर साल आत्महत्या की. 2001 से हर आधे घंटे में एक किसान आत्महत्या करता है. एमएस स्वामीनाथन ने कहा था-भविष्य के वे सरताज होंगे जिनके पास अनाज होगा न कि जिनके पास हथियार होगा. राजनीतिक दल देश को किस ओर रखना चाहते हैं.
एक लाख लोगों पर सिर्फ एक ऑपरेशन थिएटर
चौंकिए नहीं. भारत में एक लाख लोगों की आबादी पर एक ऑपरेशन थिएटर है. वहीं पूर्वी यूरोप में 25.1, पश्चिमी यूरोप में 14.7 और उत्तरी अमेरिका व आस्ट्रेलिया में 14.3 ऑपरेशन थिएटर है. इस चुनाव में लगने वाले काले धन से न जाने कितने ऐसे थिएटर बनाये जा सकते हैं.
267 जिलों में पानी पीने लायक नहीं
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार 158 जिलों में भू जल नमकीन हो गया है. 267 जिलों में फ्लोराइड की मात्र ज्यादा है. 53 जिलों में आर्सेनिक और 385 जिलों में नाइट्रेट की मात्र ज्यादा है. 80} से ज्यादा पीने का पानी भू जल से आता है. इस मुद्दे पर भी राजनीतिक पार्टियों को तौलने की जरूरत है
खर्चे के लिए किडनी बेचते हैं
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में हर साल 2000 लोग किडनी बेचते हैं. इसमें ज्यादातर कमजोर वर्ग के लोग होते हैं. यह सब तब होता है जब भारत में इसके खिलाफ बहुत सख्त कानून है.
नालियों का 80} पानी सीधे जाता है नदी में
सीएसइ की रिपोर्ट के अनुसार 80% नाली का पानी सीधे सीधे नदी में बह जाता है. नदी ही पीने के पानी का मुख्य स्नेत है. सीएसइ ने इसे ‘हेल्थ टाइम बम’ कहा है. कैग के अनुसार दिल्ली में 62%, बेंगलुरु में 10%, पटना में 29% और कानपुर में 43% ही नाली के पानी का शोधन होता है.
शौचालय से ज्यादा मोबाइल फोन
2013 में 27 राज्यों के 11519 घरों के योजना आयोग के सर्वे के मुताबिक गांवों में 72.63%लोग खुले में शौच करते हैं. दूसरी तरफ 31 अक्टूबर 2013 तक देश में 110.44 करोड़ मोबाइल थे. यानी 100 लोगों पर 90.47 मोबाइल.
बहुत पीछे हैं हम
2010 में अफ्रीका के बाहर सिर्फ दस देश ही ऐसे थे जिनकी प्रति व्यक्ति आय भारत से कम थी.
शिशु मृत्यु दर बांग्लादेश में भारत से 24%कम है.
लोकसभा में कभी महिला सांसद 12%से ज्यादा नहीं हुई.
अफ्रीका के बाहर सिर्फ पांच ही देश हैं जहां युवा महिलाओं की साक्षरता भारत से कम है.