कांग्रेस के प्रधानमंत्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था. भाजपा के प्रधानमंत्री ने जय जवान-किसान के साथ जय विज्ञान जोड़ दिया था. लेकिन किसानों की स्थिति और कृषि का हाल देखकर कृषि और किसानों की जय करने वालों की नियत पर सवाल उठना लाजमी है. हमेशा यह बात कही जाती है कि किसानों को उनकी उपज का पूरा मूल्य मिलेगा. बिचौलियों की दाल नहीं गलेगी. लेकिन कभी भी पूरा मूल्य नहीं मिलता और हमेशा बिचौलियों की ही दाल गलती है. किसान को साइकिल भी मयस्सर नहीं होती और बिचौलिए एसयूवी से धूल उड़ाते चलते हैं. सच्चई से सभी दल वाकिफ हैं फिर भी बोल कोई नहीं रहा है.
यह है हकीकत
आजादी के 68 साल बाद भी 60 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, लेकिन जीडीपी में इसका योगदान 14 फीसदी के करीब है. आंकड़े बता रहे हैं कि कृषि अनुत्पादक क्यों है. इस पर जरूरत से ज्यादा लोग आश्रित हैं और किसी राजनीतिक पार्टी को यह दिख नहीं रहा है.
भारत जनसंख्या के मामले में विश्व में नंबर-2 है लेकिन प्रति हेक्टेयर उत्पादन में कई देशों से पीछे है. अमेरिका में एक हेक्टेयर में 8.4 टन धान की फसल होती है. चीन में 6.7 टन और वियतनाम में 5.6 टन, वहीं भारत में 3.6 टन.
मौसम में तेजी से बदलाव आ रहा है. इससे पर्यावरण में बदलाव आ रहा है. राजस्थान और पंजाब जैसे इलाकों में बाढ़ आने लगी है. बारिश के चक्र और जाड़े में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. इससे पूरा कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. लेकिन इसपर कोई चर्चा नहीं करता. किसी भी दल का कोई नेता इस मुद्दे को अपने भाषण में नहीं उठाता है. कोई यह नहीं कहता है बदलते मौसम और कृषि पर पड़ने वाले उसके प्रभाव पर शोध होगा. किसानों को उससे निपटने के गुर सिखाए जाएंगे. नई तकनीक बतायी जाएगी.