कुडू (लोहरदगा): लोहरदगा लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक रहा है. भाजपा जहां अपने कैडर वोट पर आश्रित रही है तो इस बार कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस की नजर मुसलिम एवं आदिवासी वोटरों पर है. कांग्रेस जहां मुसलिम वोटरों को समेटने, आदिवासी वोटरों को जोड़ने पर पूरा ध्यान लगा रही है. तृणमूल कांग्रेस के नेता लगातार आदिवासी बहुल क्षेत्र में बैठक कर रहे हैं. मुसलिम वोट बैंक में तृणमूल कांग्रेस सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है.
गुटबाजी से परेशान
इधर भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी, पदाधिकारी गुटबाजी से परेशान है. दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने अब तक न तो ग्रामीण क्षेत्रों में बैठक की है ना जनसंपर्क शुरू किया है. दूसरी तरफ झाविमो, तृणमूल कांग्रेस बसपा एवं निर्दलीय प्रत्याशी, समर्थक लगातार पसीना बहा रहे हैं. कांग्रेस एवं भाजपा में गुटबाजी सतह पर आ गयी है. गुमला में भाजपा प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की जनसभा में भी इसका असर देखने को मिला. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ रामेश्वर उरांव के कुडू में आयोजित कार्यक्रम में कई समर्पित नेता व कार्यकर्ता दरकिनार नजर आये.
आजसू के नहीं आने से किसे होगा लाभ
लोकसभा चुनाव में आजसू पार्टी प्रत्याशी शिशिर टोप्पो अंतिम समय में नामांकन दाखिल नहीं कर पाये. इस क्षेत्र से लोहरदगा विधानसभा चुनाव 2009 में आजसू को 36 हजार वोट एवं लोकसभा चुनाव 2009 में 16 हजार मत मिले थे. लोहरदगा विधानसभा में आजसू पार्टी के विधायक है. आजसू के मैदान में न आने से भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, झाविमो या निर्दलीय में से किसे लाभ होगा. इसे लेकर अटकलों का बाजार गरम है.