चीन के उत्पाद आपको भारत ही नहीं, दुनिया के कोने-कोने में मिल जायेंगे. आम तौर पर सस्ते होने के कारण ये मार्केट में छाये रहते हैं. लेकिन, एक खबर के मुताबिक ये सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हैं.
ऐसे जूते जिसमें जहरीले रसायन हों, या ऐसे कपड़े जो एलर्जी पैदा करते हों, सेहत पर खराब असर डालनेवाली ऐसी अधिकतर चीजें चीन से आती हैं. खबर है कि जहरीले उत्पादों के बारे में चेतावनी देनेवाली संस्था यूरोपीय रैपिड इन्फॉर्मेशन सिस्टम (रैपेक्स) ने 2013 में खाने-पीने के अलावा अन्य 2,364 चीनी उत्पादों के बारे में इस तरह की चेतावनी दी है. रैपेक्स ने इन्हें स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक बताया था.
यूरोपीय संघ में आयात हो रहे ज्यादातर नुकसानदेह उत्पादों में 25 फीसदी खिलौने और कपड़े हैं. इसके बाद नौ फीसदी विद्युत उपकरण और मोबाइल फोन हैं, सात फीसदी मोटर गाड़ियां और चार फीसदी कॉस्मेटिक्स आयटम हैं. कुल मिला कर यही पाया गया कि 64 फीसदी उत्पाद चीन से आ रहे हैं. खासकर हंगकांग से, क्योंकि चीन का ज्यादातर माल यूरोपीय बाजारों में आकर बिक रहा है.
एक शोध से पता चला है कि कपड़ों, जूतों और खिलौनों में इस्तेमाल हो रहे केमिकल एलर्जी और अन्य बीमारियां फैलानेवाले हैं. जैसे जूतों में क्रोमियम-6 इस्तेमाल हो रहा है. यूरोपीय संघ में आयात हुए इन उत्पादों की जांच की जिम्मेवारी रैपेक्स की है, जिसे करीब एक दशक पहले स्थापित किया गया था. 2003 में रैपेक्स ने करीब 200 चेतावनियां दी थीं. अपनी जांच के दौरान यूरोपीय संघ की आयुक्त नेवेन मिमित्सा ने कहा कि यह बेहतर नियंत्रण और बेहतर जांच का सबूत है. हम प्राथमिक जांच की क्षमता में इजाफा देख रहे हैं.
यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों के अनुसार काम करने और उनके मानक को बेहतर ढंग से समझने में यूरोपीय संघ चीन के निर्माताओं की मदद कर रहा है. यूरोपीय संघ की 15 फीसदी चेतावनी यूरोप में निर्मित उत्पादों के लिए है. इसमें दो फीसदी हिस्सेदारी जर्मनी की है, दो फीसदी इटली की और एक फीसदी बुल्गारिया की है. हालांकि, यूरोपीय संघ में ही बन रहे नुकसानदेह उत्पादों की मात्र साल 2004 के बाद से ही कुछ कम हुई है. कम होने के बाद भी तब यह 27 फीसदी थी. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा की दिशा में मिल कर काम किया है. यूरोपीय संघ के देशों में पिछले साल ज्यादा चेतावनियां हंगरी में तैयार हुए उत्पादों को मिली थीं.