शेनयांग : चीन में लोकतंत्र की आवाज माने जानेवाले नोबेल पुरस्कार विजेता ल्यू शियाओबो का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया. 61 वर्षीय ल्यू लीवर कैंसर से पीड़ित थे. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने लोकतंत्र समर्थक होने की वजह से ल्यू को हिरासत में ले लिया था और उनकी अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं की.
ल्यू शियाओबो की देश से बाहर जाने की अंतिम इच्छा पूरी नहीं करने को लेकर कम्युनिस्ट देश की बेहद कटु आलोचना हो रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनकी विधवा पत्नी को रिहा करने को लेकर बीजिंग पर दबाव बना रहा है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग सरकार से अनुरोध किया है कि वह अब ल्यू शियाओबो की पत्नी को देश से बाहर जाने की अनुमति दे दे.
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लेखिका ल्यू शिया वर्ष 2010 से ही नजरबंद हैं. चीनी डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर से जूझ रहे ल्यू के अंतिम क्षणों में उनकी पत्नी साथ में थीं. चीन सरकार ने लियू शिया का बाहरी दुनिया से संपर्क काटा हुआ है और किसी को उनके रहने के स्थान का पता नहीं है. उनके पति की मृत्यु के बाद अंतराष्ट्रीय समुदाय बीजिंग से अनुरोध कर रहा है कि उन्हे रिहा कर दिया जाए.
अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, ‘ ‘मैं चीन सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह लियू शिया को नजरबंदी से रिहा करे और उनकी इच्छानुसार उन्हें चीन से बाहर जाने की अनुमति दे.’ ‘ यूरोपीय संघ ने अनुरोध किया है कि बीजिंग लियू के परिवार को शांति से उनका अंतिम संस्कार करने की अनुमति दे. लियू शिया के अमेरिकी वकील जेरेड गेन्सर का कहना है कि पिछले 48 घंटों से उनके साथ संपर्क के सभी रास्ते बंद कर दिये गये हैं.
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लियू की मौत पर जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने लियू को ‘ ‘मानवाधिकार के लिए साहसी योद्धा ‘ ‘ बताया है, जबकि ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि यह ‘ ‘गलत ‘ ‘ है कि बीजिंग ने लियू को विदेश जाने की अनुमति नहीं दी. नोबेल समिति ने एक बयान में कहा कि हमें यह बहुत दुखद लग रहा है कि लियू शियावबो के बहुत ज्यादा बीमार होने तक उन्हें अच्छे इलाज के लिए बडे अस्पताल में नहीं भेजा गया. संयुक्त राष्ट्र महासिचव एंटोनियो गुटारेस ने भी लियू के असामयिक निधन पर शोक जताया है.
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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने लियू के मौत पर चीन की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा है कि डॉक्टरों ने उनक इलाज का पूर्ण प्रयास किया. शिन्हुआ के अनुसार, शुआंग ने कहा,, ‘ ‘चीन विधि के शासन के तहत शासित राष्ट्र है. लियू शियावबो की मौत का मामला चीन का आंतरिक मसला है, और अन्य देश इस संबंध में अनुचित टिप्पणियां करने की स्थिति में नहीं हैं. ‘ ‘
गौरतलब है कि 61 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता को एक महीने पहले ही जेल से शेनयांग शहर के अस्पताल लाया गया था.