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बड़े काम की हैं मधुमक्खियां

मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने की कहावत पुरानी है, जिसे खतरे का पर्याय माना जाता है. यह इसलिए कि उनकी यूनिटी को कोई भेद नहीं सकता. मधुमक्खियां हमेशा समूह में रहती हैं और सभी कार्यो में एक-दूसरे का साथ देती हैं. जानते हैं इनकी दुनिया की रोचक बातें. एक बार आइंस्टाइन ने कहा था […]

मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने की कहावत पुरानी है, जिसे खतरे का पर्याय माना जाता है. यह इसलिए कि उनकी यूनिटी को कोई भेद नहीं सकता. मधुमक्खियां हमेशा समूह में रहती हैं और सभी कार्यो में एक-दूसरे का साथ देती हैं. जानते हैं इनकी दुनिया की रोचक बातें.

एक बार आइंस्टाइन ने कहा था कि अगर दुनिया से सारी मधुमक्खियां खत्म हो गयीं, तो यह दुनिया चार साल के अंदर खत्म हो जायेगी. क्या यह अपने आप में कम आश्चर्य की बात नहीं है कि पिछले कुछ सालों में दुनिया इतनी बदल गयी है, मगर पिछले दो करोड़ सालों से मधुमक्खियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. मधुमक्खियां बहुत ही मेहनती जीव हैं, जो शहद उत्पादित करके अपना जीवन बिताती हैं. मधुमक्खियां आधा किलो शहद बनाने के लिए कम से कम 20 लाख फूलों के रस इस्तेमाल करती हैं और इसके लिए उन्हें कम से कम 55 हजार मील की दूरी तय करनी पड़ती है.

औसतन एक मधुमक्खी अपने पूरे जीवनकाल में केवल 1/12 चम्मच शहद ही बना पाती है. आधी छटांक शहद एक मधुमक्खी को इतनी ऊर्जा देने के लिए पर्याप्त है, जिससे वह सारी दुनिया का चक्कर लगा सके. केवल मधुमक्खी पालन से अमेरिका को प्रति वर्ष लगभग 8-10 बिलियन डॉलर का फायदा होता है. यहां लगभग दो लाख मधुमक्खी पालक हैं. भारत में यह संख्या काफी कम है. दक्षिण भारत में इसका तेजी से प्रसार हो रहा है. यह एकमात्र ऐसी कीट हैं, जिनसे हमें सीधे खाद्य पदार्थ मिलता है. यह 12-15 मील प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ती हैं. ये एक-दूसरे से गंध और नृत्य के माध्यम से कम्यूनिकेट करती हैं.

इनका जीवनकाल 28-35 दिन का होता है. यह अपने छत्ते से ज्यादा से ज्यादा दो मील की दूरी तक जाकर खाना इकठ्ठा करती हैं. रानी मक्खी एक दिन में लगभग दो हजार अंडे देती है और साल भर में लगभग दो लाख अंडें देती है. रानी मक्खी शहद बनाने का काम नहीं करती. यह खाने के रूप में एक खास किस्म का शहद लेती है, इसलिए वह बाकि मधुमक्खियों से ज्यादा दिन जीती है. शहद के अलावा मधुमक्खियां मोम का भी उत्पादन करती हैं. शहद एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल होता है. इसलिए यह कभी खराब नहीं होता है. फ्रक्टोज की मात्र ज्यादा होने की वजह से शहद चीनी से 25 प्रतिशत ज्यादा मीठी होती है. शहद का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस तरह के वातावरण में और किस तरह के फूलों से बनाया गया है. चींटी, भालू, छिपकली और पतंगे आदि इनके शत्रु होते हैं. भालू तो हमेशा इनके शहद को चट करने की ताक में रहता है.

प्रस्तुति : पूजा कुमारी

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