आज़ादी कूच मार्च निकाल रहे दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को गुजरात पुलिस ने मेहसाणा में हिरासत में लेने के कुछ देर बाद ही चेतावनी देकर छोड़ दिया है.
उनके साथ जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार और पाटीदार नेता रेशमा पटेल समेत कई कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया था.
‘आरक्षण हटाओ लेकिन पहले ख़त्म हो जाति व्यवस्था’
गुजरात में दलितों के उभरते नेता मेवाणी
मेवानी उना हमले के साल भर पूरे होने पर देश भर से आए क़रीब 100 कार्यकर्ताओं के साथ मेहसाणा से आज़ादी कूच निकाल रहे हैं.
इस यात्रा का अंतिम पड़ाव 18 जुलाई को बनासकांठा ज़िले के धानेरा तहसील के ऊसी गांव में होगा, जहां दशकों से कागज़ पर दलितों को आवंटित भूमि पर तिरंगा लहराकर क़ब्ज़ा दिलाने का कार्यक्रम है.
मेहसाणा के डीएसपी जेआर मोथालिया ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि आज़ादी कूच यात्रा के लिए पहले पुलिस ने इजाज़त दी थी, लेकिन शांति भंग होने की आशंका के चलते इसे रद्द कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि जिग्नेश मेवाणी और अन्य लोगों को 143 (शांति भंग) और 188 (आदेश की अवहेलना) धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया. ये ज़मानती धाराएं हैं इसलिए सभी लोगों को नोटिस देकर छोड़ दिया गया है.
‘काग़ज पर ज़मीन, नहीं मिला क़ब्ज़ा’
हिरासत से छूटने के बाद मेवाणी ने बीबीसी को फ़ोन पर बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि यात्रा शुरू होते समय कुछ लोगों ने यात्रा पर हमला बोला, लेकिन पुलिस ने हमलावरों पर कार्रवाई करने की बजाय मार्च में शामिल लोगों को हिरासत में ले लिया.
हिरासत में लिए जाने के सवाल पर मेवाणी ने कहा, "बीजेपी सरकार और पुलिस को जो करना है करे, लेकिन हम धानेरा पहुंचेंगे और दशकों से कागज़ों पर दलितों की ज़मीनों पर तिरंगा लहराएंगे."
उनका कहना था "उना हमले के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने पीड़ित दलित परिवारों को न्याय देने का वादा किया था. उन्होंने पीड़ित परिवारों को ज़मीन आवंटित करने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया था, लेकिन एक साल होने के बाद भी उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया."
उन्होंने कहा कि हर दलित परिवार को पांच एकड़ ज़मीन देने का आंदोलन आगे भी चलता रहेगा.
आखिर क्यों रोका गया?
इस यात्रा में शामिल होने के लिए दिल्ली से गए रज़ा हैदर ने कहा कि मंगलवार को मेहसाणा में दलित और मुस्लिम एकजुटता ने जो संदेश दिया, उससे राज्य की ‘बीजेपी सरकार डर गई.’
उन्होंने कहा कि बुधवार को जैसे ही ये मार्च मेहसाणा ज़िले के सीमा पर पहुंची, पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया और 20-22 किलोमीटर पीछे मेहसाणा ले आई.
उनका कहना था कि ‘बुधवार की शाम ऊंझा में पाटीदार समाज के लोगों ने मार्च के स्वागत की तैयारी की थी. राज्य सरकार को लगा कि दलित, मुस्लिम और पाटीदार एकता उनके लिए ख़तरनाक़ हो सकती है इसलिए उन्होंने बाधा डाली.’
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