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प्यार पाना है, तो प्यारे बोल ही बोलें

।। दक्षा वैदकर।। हमें बचपन से ही यह सिखाया गया है कि हम जो भी बोलें, सोच-समझ कर बोलें, क्योंकि मुंह से एक बार निकले हुए शब्द वापस नहीं लिये जा सकते. वैसे तो हममें से अधिकांश लोग इस बात का ख्याल रखते हैं, लेकिन कई बार तनाव, क्रोध और किसी अन्य कारणवश हम खुद […]

।। दक्षा वैदकर।।

हमें बचपन से ही यह सिखाया गया है कि हम जो भी बोलें, सोच-समझ कर बोलें, क्योंकि मुंह से एक बार निकले हुए शब्द वापस नहीं लिये जा सकते. वैसे तो हममें से अधिकांश लोग इस बात का ख्याल रखते हैं, लेकिन कई बार तनाव, क्रोध और किसी अन्य कारणवश हम खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते. न चाह कर भी मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकाल देते हैं, जो सामनेवाले को पसंद नहीं आते और उन्हें कष्ट पहुंच जाता है.

चूंकि वो हमसे जुड़े हैं, हमें चाहते हैं, इसलिए तत्काल उलट कर हमें जवाब नहीं देते, लेकिन उनके मन में हमारे व्यवहार को ले कर यह बात जरूर घर कर जाती है कि कहीं यही हमारा असल स्वभाव तो नहीं. हां कुछ लोग हमें बता देते हैं कि उन्हें हमारी बात बुरी लगी है और वे हमसे नाराज हैं. वैसे लोगों को हम किसी तरह से माफी मांग कर मना लेते हैं. अपनी परिस्थिति समझाते हैं. वे समझ भी जाते हैं, मान जाते हैं, क्योंकि वे हमसे प्यार करते हैं. हमें समझते हैं. लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें हमारा केवल बाहरी चेहरा ही दिखता है.

हम अंदर से क्या हैं, इसका अंदाजा वे नहीं लगा सकते. इसलिए कि वे हमसे ज्यादा जुड़े नहीं हैं. उनसे यदि हमने गुस्से में दो गलत बातें कह दी, तो वे यही समङोंगे कि हमारा स्वभाव ही ऐसा है और हम उनके बारे में ऐसी सोच रखते हैं. इसलिए हम चाहे कितने भी तनाव में हों या गुस्सा चढ़ा हो, बोलने से पहले एक बार सोच जरूर लेना चाहिए. कई बार गलती हमारी भी हो सकती है. मेरे एक दोस्त ने अपनी दोस्त से कुछ पूछा. वह समझ नहीं पायी. कुछ और जवाब दे दिया. इस पर गुस्से में मेरे दोस्त के मुंह से निकल गया, तुम्हें अपनी सुनने की क्षमता बढ़ानी चाहिए. यह बात उसके दोस्त को बुरी लग गयी, क्योंकि उसके अनुसार मेरे दोस्त का उच्चरण सही नहीं था.

इसलिए उसे समझ नहीं आया. वह नाराज हुई, लेकिन बाद में मनाने पर मान गयी, क्योंकि वह जानती थी कि वह गलत इनसान नहीं है और उसने गुस्से में ऐसा कह दिया होगा. इसलिए किसी को गलत ठहरा कर कड़े शब्दों का प्रयोग करने से पहले एक बार हम यह जरूर सोच लें कि कहीं हम ही तो गलत नहीं हैं.

बात पते की..

व्यवहार एक दिन का नहीं, रोजाना का अभ्यास है. हर परिस्थिति में केवल अच्छा व्यवहार ही आपको प्यार और सम्मान दिला सकता है.

दूसरों को गलत ठहराना बेहद आसान होता है, लेकिन उससे पहले एक बार खुद का भी आकलन कर लें, तो कई परेशानियों से बचा जा सकता है.

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