भारत का पर्यटन उद्योग तेजी से और लगातार विकास कर रहा है. यहां कई तरह के होटल्स, सेंक्चुअरीज, सफारी का निर्माण हो रहा है. इन वजहों से यह क्षेत्र रोजगार प्रदाता बन कर उभर रहा है. आइए जानें इसके बारे में..
जिस गति से देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उसी तेजी से टूरिज्म का क्षेत्र भी बढ़ रहा है. वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) के मुताबिक, यह क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मुहैया करा रहा है. भारत में टूरिज्म उद्योग विदेशी मुद्रा कमाने का तीसरा प्रमुख जरिया है. एक अनुमान के मुताबिक, 2020 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान नौ फीसदी तक होगा. अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आइएटीए) का कहना है कि पर्यटन विश्व के अन्य रोजगार देनेवाले क्षेत्रों के मुकाबले 50 फीसदी अधिक तेजी से बढ़ रहा है.
कैसे-कैसे हैं कोर्स
टूरिज्म के क्षेत्र में मुख्य रूप से चार प्रकार के कोर्स हैं.
स्नातक स्तरीय- तीन वर्षीय
स्नातकोत्तर स्तरीय- दो वर्षीय
डिप्लोमा व सर्टिफिकेट- एक से दो साल
कौन हैं इसके योग्य
विभिन्न कोर्सो के लिए अलग-अलग योग्यताएं निर्धारित हैं. तीन वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए किसी भी विषय से 12वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. दो वर्षीय स्नातकोत्तर कोर्स करने के लिए किसी भी विषय से स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए. जबकि डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स के लिए भी न्यूनतम योग्यता 12वीं पास होना है. इसके अलावा, विभिन्न संस्थाओं द्वारा चयन परीक्षा, जीडी व साक्षात्कार भी आयोजित कराया जाता है, जिसे उत्तीर्ण करना जरूरी होता है.
कितना होगा खर्च
विभिन्न संस्थानों द्वारा उपलब्ध कोर्स के अनुसार फीस निर्धारित की गयी है. दो वर्षीय मास्टर डिग्री की बात करें, तो पूरे कोर्स को करने में तीन लाख रुपये तक लगते हैं. अब तो विभिन्न बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन भी उपलब्ध कराया जाता है.