दस साल से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पर उठ रहे सारे सवालों का जवाब अपनी चुप्पी से दिया है. इस बीच वह चुनाव जीतते रहे, लेकिन वर्ष 2002 के दंगों में उनकी भूमिका पर सवाल कम नहीं हुए. इस दौरान कई बार वह टीवी इंटरव्यू से उठ खड़े हुए, साक्षात्कार लेनेवाले को घूरा और कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज भी किया. अब तक सिर्फ एक बार मार्च, 2010 में एसआइटी के सवालों का सामना किया. आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के प्रबल उम्मीदवार हैं और वह जो कहते-करते हैं, मुद्दा बन जाता है. लेकिन, उनसे पूछे गये सवाल आज भी अनुत्तरित हैं. आइए, नजर डालें ऐसे कुछ सवालों पर…
1. आपने एक मार्च, 2002 को जी न्यूज को दिये इंटरव्यू में गोधरा दंगों के बारे में कहा कि राज्य में क्रिया और प्रतिक्रियाओं की शृंखला चल रही है. हम चाहते हैं कि न क्रिया हो, न उसकी कोई प्रतिक्रिया. क्या आपको नहीं लगता कि आपका वह बयान इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों पर राजीव गांधी के उस बयान की तरह था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती कांपती ही है?
2. 18 मार्च, 2002 को आपने आउटलुक से कहा : आपको यह बात याद रखनी होगी कि गुजरात में सांप्रदायिकता की हवा काफी तेज चलती है. अगर इसे छेड़ा गया, तो यह चिंगारी कभी भी आग बन सकती है. और गोधरा की घटना इसी का नतीजा है. क्या आपको यह नहीं लगता कि आपके उस बयान ने चिंगारी को तब हवा दी, जब गोधरा दंगे के मृतकों के शव को वापस अहमदाबाद भेजे जाने का फैसला लिया जा चुका था?
3. 27 फरवरी, 2002 को पुलिस उच्चाधिकारियों और नौकरशाहों के साथ बैठक में आपका निर्देश था कि सांप्रदायिक दंगों में पुलिस हिंदू और मुसलमान दंगाई समान कार्रवाई करती है, लेकिन अभी ऐसा करने की जरूरत नहीं है. आप लोग हिंदुओं के गुस्से को बाहर आने का रास्ता दीजिए. आप इससे इनकार करते रहे हैं, पर बैठक में मौजूद तत्कालीन सतर्कता उपायुक्त संजीव भट्ट और आपके मंत्री हरेन पांड्या, जिनकी बाद में हत्या कर दी गयी थी, आपके उन निर्देशों की तसदीक करते हैं. आप पर लगे इस आरोप को आप कितना सही मानते हैं?
4. आपने संजीव भट्ट को उनके काम से निकाल बाहर किया, जबकि आप कहते हैं कि वह 27 फरवरीवाली बैठक में मौजूद नहीं थे. लेकिन उन पर की गयी आपकी उस कार्रवाई का क्या आधार है, जबकि आप पर उन्हीं लोगों ने सवाल उठाया, जो उस बैठक में मौजूद थे?
5. क्या यह सच है कि आपके प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने तत्कालीन अतिरिक्त महानिदेशक (सतर्कता) आरबी श्रीकुमार से इस बात का पता लगाने के लिए कहा था कि क्या हरेन पांड्या ही वह मंत्री थे, जिन्होंने 27 फरवरी की उस बैठक की बातों को एक स्वतंत्र सिटीजन ट्रिब्यूनल के साथ साझा किया था. आरोप यह भी है कि इस क्रम में उनका मोबाइल नंबर 9824030629, टैप करने के लिए भी कहा गया था?
6. संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हरेन पांड्या की हत्या (26 मार्च, 2003) के लिए आपके प्रशासन पर उंगलियां उठती रही हैं. इसके लिए आपने खुद को निर्दोष साबित करने और असली हत्यारों का पता लगाने के लिए क्या किया?
7. आपने एसआइटी को बताया कि 28 फरवरी, 2002 को गुजरात बंद और एक मार्च, 2002 को भारत बंद के आह्वान से भाजपा के जुड़ने की बात का पता आपको अखबारों से चला. क्या आपको नहीं लगता कि पार्टी मशीनरी के भीतर इतनी अच्छी पकड़ रखनेवाले के लिए यह चूक अजीब-सी है?
8. एसआइटी के सामने आपका दावा था कि 28 फरवरी, 2002 को भाजपाई मंत्रियों, अशोक भट्ट और आइके जडेजा के पुलिस की क्रमश: स्टेट कंट्रोल रूम और अहमदाबाद सिटी कंट्रोल रूम में होने की जानकारी आपको व्यक्तिगत तौर पर नहीं थी. क्या यह, थोड़ी ही सही, आपकी अक्षमता को नहीं दर्शाता?
9. आपने एसआइटी के सामने इस बात की जानकारी से इनकार किया कि गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गये पूर्व सांसद एहसान जाफरी ने उस समय आपसे मदद के लिए गुहार लगायी थी, जब दंगाई उनके दरवाजे तक पहुंच चुके थे. जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के का दावा है कि उन्होंने फोन पर आपसे बात की थी. उनकी उस गुहार को नजरअंदाज करना क्या बदले और राजनीतिक शत्रुता का अंजाम नहीं?
10. सच के लिए आवाज उठानेवाले पुलिसकर्मी राहुल शर्मा के खिलाफ आपकी सरकार द्वारा ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत की गयी कार्रवाई क्या इसलिए नहीं थी कि उन्होंने उन फोन डेटा रिकॉर्ड्स को नानावती आयोग के सामने पेश कर दिया था, जिसमें इस बात के सबूत थे कि दंगाई पुलिसकर्मियों और राजनीतिज्ञों के संपर्क में थे.
11. कथित तौर पर वर्ष 2002 के दंगा पीडि़तों के शवों को गैरकानूनी रूप से बाहर निकलवाने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने आपकी सरकार पर हाल ही में रोक लगायी. क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि आपकी सरकार के खिलाफ आवाज उठानेवालों को किसी न किसी रूप में परेशान किया जाता है?
12. संजीव भट्ट पर 21 साल पुराना कस्टोडियल डेथ का मामला क्या इसी नीति के तहत नहीं चलाया गया, जिसके तहत उनके खिलाफ निलंबन आदेश तक जारी कर दिये गये?
13. आरोप है कि गोधरा दंगों के दौरान दोषी पुलिसकर्मियों को प्रोन्नति दी गयी, जबकि जिन्होंने मुस्तैदी से अपना काम किया, उन्हें किनारे लगा दिया गया. ऐसे कई मामलों के दस्तावेजी साक्ष्य आपके समक्ष पेश किये जा चुके हैं. आपने इस संबंध में क्या-क्या कार्यवाही की?
14. आपने एसआइटी के सामने इस बात से इनकार किया कि दंगों के दौरान आपका कोई मंत्री उग्र भीड़ का नेतृत्व नहीं कर रहा था. जब भरत बरोट, मायाबेन कोडनानी, नितिनभाई पटेल और नारायण लल्लू पटेल की दंगों में भूमिका से जुड़ी आधिकारिक जानकारी को आपके संज्ञान में लाये गया, तो आपने क्या कार्रवाई की?
15. दंगों की मीडिया फुटेज के आधार पर आपने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? दंगों में हुई क्षति का दस्तावेज के रूप में आकलन गुजरात पुलिस ने क्यों नहीं किया?
16. तहलका के ह्यऑपरेशन कलंकह्ण के बाद आपने क्या कार्यवाही की, जब हरेश भट्ट, बाबू बजरंगी और राजेंद्र व्यास ने दंगों में अपनी भूमिका के बारे में बताया. इसके साथ ही उन्होंने आप पर और आपके प्रशासन पर भी उन्हें इस्तेमाल करने के आरोप लगाये?
17. 27 फरवरी से चार मार्च के बीच दंगाइयों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में असफल रहे कार्यपालक दंडाधिकारी वर्ग के अधिकारियों, खासकर जिला दंडाधिकारियों के खिलाफ आपने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
18. आपने भाजपा और विहिप के समर्थक अधिवक्ताओं को लोक अभियोजक के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश से इनकार कर दिया था. फिर ऐसा पक्षपात करनेवाले डीएम पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
19. आप अक्सर कहते फिरते हैं कि आप धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते, लेकिन अपनी गौरव यात्रा के दौरान, नौ सितंबर, 2002 को मुसलमानों के राहत शिविरों को बच्चे पैदा करने के केंद्र की संज्ञा दी. यही नहीं, आपने उन पर ह्यहम पांच और हमारे पच्चीसह्ण जैसा भद्दा व्यंग्य किया.
20. दंगों की आग में अपनी दुकान गंवा चुके पीडि़तों को मुआवजा दिलाने के लिए गुजरात हाइकोर्ट को आपकी सरकार के खिलाफ अवमानना का नोटिस भेजना पड़ा था. ऐसे में पिछले 10 सालों में कहां थी आपकी सदभावना?
21. दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त धार्मिक संरचनाओं को दुरुस्त कराने के लिए गुजरात हाइकोर्ट को आपके प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों को भी आदेश देना पड़ा था. ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई?
22. हाइकोर्ट ने 2002 दंगों को नेग्लिजेंस ऑफ स्टेट करार दिया था, इस पर आपका क्या कहना है?
23. दंगों के बारे में झूठी, खतरनाक और सांप्रदायिक अफवाहें फैलानेवाले अखबारों संदेश और गुजरात समाचार पर अंकुश लगाने के बजाय आपने उन्हें प्रशस्ति पत्र भेजे, जबकि जिन्होंने दंगों में आपके प्रशासन की सहभागिता को दर्शाया, आप उन्हें बैन करने की कोशिशों में लग गये. इस पर आप क्या कहेंगे?
24. एक ओर 2002 दंगों में हुए नरसंहार की आप निंदा करते हैं, पर अफसोस जताने से इनकार भी करते हैं. आपके आलोचक इसके पीछे आपके मन में छिपी मुसलिम विरोधी मानसिकता को जिम्मेदार ठहराते हैं. क्या आप इससे सहमत हैं?
25. अगर आपके पास छिपाने के लिए सच में कुछ भी नहीं है, तो आप पर ऐसे आरोप लगानेवाले लोगों के साथ जुड़ने, काम करने से आप इनकार क्यों करते हैं?
(आउटलुक से साभार)