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उम्मीद और वायदों के मौसम में वोट ही ताकत

लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ एक बार फिर वोटरों के लिए उम्मीद व वायदों का मौसम आ गया है. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मतदाताओं को तरह-तरह से रिझाने की कोशिश में जुट गये हैं. उन्हें कई तरह की उम्मीदें बंधायी जा रही हैं. उनसे बदलाव के बड़े-बड़े वायदे भी किये जा रहे हैं. लेकिन, […]

लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ एक बार फिर वोटरों के लिए उम्मीद व वायदों का मौसम आ गया है. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मतदाताओं को तरह-तरह से रिझाने की कोशिश में जुट गये हैं. उन्हें कई तरह की उम्मीदें बंधायी जा रही हैं. उनसे बदलाव के बड़े-बड़े वायदे भी किये जा रहे हैं. लेकिन, औसत मतदाता खामोश है. वह पार्टियों और राजनेताओं को अपने पत्ते खोलते देख रहा है, अपने पत्ते खोलने के सवाल पर कहता है कि समय आने पर हम तय करेंगे कि वोट किसे देना है. औसत उम्मीदवार की पहली जरूरत स्थानीय विकास ही है. राहुल सिंह की रिपोर्ट :

रांची के नामकुम प्रखंड की बधुवा पंचायत के तुंजू गांव के रहने वाले गुड्डू पाहन आजीविका मिशन के कम्युनिटी को-आर्डिनेटर हैं. 26 साल के गुड्डू पाहन इस बार तिसरी बार मतदान करेंगे. वे कहते हैं कि शुरुआत में उन्होंने किसी के प्रभाव व प्रलोभन में आकर वोट किया था. लेकिन जब से आजीविका मिशन से जुड़े हैं, उनकी जिंदगी व सोच बदल गयी है. उन्हें अब यह बात समझ में आ चुकी है कि किसी के प्रभाव में, प्रलोभन में या जाति-धर्म के आधार पर वोट डालने का कोई फायदा नहीं है. गुड्डू मानते हैं कि असली मुद्दा विकास ही है. बाकी सब गौण हैं. वे इस बार अपने गांव में आधारभूत जरूरत उपलब्ध करवाने के सवाल पर वोट देने की बात कहते हैं. वे कहते हैं कि गांव में अशिक्षा काफी ज्यादा है, इस कारण लोग चीजों को समझ नहीं पाते और झांसे में आ जाते हैं. महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ा यह युवा कहता है कि महिलाओं में काफी जागरूकता आयी है और वे घर से बाहर निकल कर स्वतंत्र रूप से वोट करने लगी हैं. वे अपने गांव की एक अगड़ी जाति का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि उस जाति विशेष की महिलाएं पहले घर से बाहर नहीं निकलती थीं, अब वे घर से बाहर निकल कर एसएचजी से जुड़ रही हैं. एसएचजी से जुड़ने से वे स्वयं अपने फैसले ले रही हैं. ऐसे में चुनाव में मतदान में उनके अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्र ढंग से मतदान करने की संभावना भी बढ़ जाती है.

गुड्डू की ये बातें तब सही लगती हैं, जब पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड की एसएचजी से जुड़ी महिलाएं भलंती देवी, सीमा देवी, व रीना गोप किसे वोट देंगी इसका खुलासा नहीं करती हैं; लेकिन मजबूती से यह जरूर कहती हैं कि वोट उसी को देंगे जो महिलाओं के बारे में सोचे. मनोहरपुर के चिड़िया गांव की रहने वाले वाली रीना देवी कहती हैं कि जो हमलोगों को सुविधा देगा, हम उसे ही वोट करेंगे. जो अच्छा काम करेगा, उसे ही हमारा वोट मिलेगा. उनधन गांव की सीमा देवी कहती हैं कि हम सब महिला समूह से जुड़ी हैं और अपने इलाके में हम गलत वोटिंग करने वालों को वोट करने से रोंकेगे. भलंती महतो भी बड़े आत्मविश्वास से कहती हैं कि अब महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं और हम मुंडा-मानकी या किसी के कहने पर किसी को वोट नहीं देंगे. वोट उसे ही देंगे जो हमारा विकास करे.

इसी तरह मांडर के ब्रांबे के किसान जगरा तिग्गा भी वोट करने को लेकर मुस्कुराते हैं, लेकिन किसे वोट करेंगे इसका खुलासा नहीं करते. कहते हैं कि जब समय आयेगा, तब वोट करेंगे. वे कहते हैं कि गांव में फैसला कर यह निर्णय लिया जाता है कि किसे वोट करना है, लेकिन हम वोट अपने मन से ही करते हैं. जगरा का संसदीय क्षेत्र लोहरदगा है और वे कहते हैं कि सांसद आते हैं, लेकिन क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ है. उनका मानना है कि गांव की जरूरतों को पूरा करने वाला उम्मीदवार ही सांसद चुना जाये.

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