Varanasi UPSRTC: सावन और अधिकमास में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की जहां भीड़ उमड़ रही है, वहीं जल्द ही लोगों को काशी से एक अहम सुविधा मिलने जा रही है. सावन के बाद भारत और नेपाल के बीच मैत्री बस सेवा फिर बहाल हो जाएगी. इस दो प्रसिद्ध धार्मिक नगरी एक दूसरे से सीधे कनेक्ट हो जाएगी.
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की इस पहल से गोरखपुर और सोनौली बार्डर के यात्रियों को भी सहूलियत मिलेगी. रोडवेज अफसरों के मुताबिक काठमांडो परिवहन निगम के अधिकारियों से इस संबंध में बात हो चुकी है. सावन के बाद एसी बस सेवा के संचालन को लेकर आधिकारिक तौर पर जानकारी दे दी जाएगी.
वाराणसी परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा के मुताबिक काठमांडो परिवहन के अधिकारियों से बात तय हो गई है. परमिट का नवीनीकरण किया जा रहा है, इसके बाद से यात्रियों को इस सुविध का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.
वाराणसी के रास्ते गोरखपुर, सोनौली होते हुए बस काठमांडो तक जाएगी. वॉल्वो या स्कैनिया बस चलाई जाएगी. टिकटों की बुकिंग ऑनलाइन होगी. इसके साथ ही यात्री बस के अंदर बैठकर भी टिकट ले सकेंगे. इस तरह बाबा विश्वनाथ से पशुपतिनाथ की नगरी फिर जुड़ेगी.
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यूपीएसआरटीसी के अधिकारियों के मुताबिक कैंट बस स्टेशन वाराणसी से काठमांडो तक जाने वाली बस रोजाना रात दस बजे रवाना होगी. काठमांडो में दूसरे दिन दोपहर एक से दो बजे के बीच बस पहुंचेगी. काठमांडो से भी यही समय रहेगा. माना जा रहा है कि किराया प्रति व्यक्ति 1800 से 1900 रुपए के बीच होगा. बस संचालन के समय किराये की दर में बदलाव किया जा सकता है.
इस रूट वाले यात्री उठा सकेंगे सुविधा का लाभ
वाराणसी कैंट रोडवेज बस स्टेशन से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ बाईपास होते हुए रुड़की-हरिद्वार मार्ग होते हुए हरिद्वार बस स्टेशन पर बस पहुंचेगी। वाराणसी परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक गौरव वर्मा ने बताया किकैंट रोडवेज से हरिद्वार के लिए वातानुकूलित बस सेवा जल्द शुरू होगी. उत्तराखंड में परमिट को लेकर सहमति बनी है. सितंबर 2023 तक बस संचालन के संबंध में मुख्यालय से आदेश जारी होने की संभावना है.
पशुपतिनाथ मंदिर की मान्यता
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर में स्थित है और यह नेपाल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर बागमती नदी के किनारे स्थित है. यह स्थान शिव के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. पशुपतिनाथ मंदिर की है बेहद मान्यता है. शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है.
वास्तुकला: पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की वास्तुकला की एक श्रेष्ठ उदाहरण है और यह वास्तुकला के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.
आराधना और पर्व: पशुपतिनाथ मंदिर में दैनिक आराधना और पूजा होती है और इसके अलावा महाशिवरात्रि और तीज जैसे पर्वों पर भी यहां बड़ा धार्मिक उत्सव मनाया जाता है, जिसमें दूर दराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
दर्शनीय स्थल: पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही बगमती नदी के किनारे पर्यावरणिक रूप से सुंदर घाट है जहां श्रद्धालु नदी में स्नान करते हैं.
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां आने वाले लोग शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था का अभिवादन करते हैं.