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केंद्र और राज्य सरकार के बीच उत्खनन विवाद खत्म, एनटीपीसी में 76 दिनों बाद शुरू हुआ कोयला खनन का कार्य

हजारीबाग (सलाउद्दीन) : हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में एनटीपीसी कोयला खदान में 76 दिनों के बाद खनन कार्य शुरू हुआ. उत्खनन कार्य 2 सितंबर 2020 से बंद था. आज बुधवार को कोयला खनन का कार्य उपायुक्त आदित्य कुमार आनंद, एसपी कार्तिक, एसडीओ विद्याभूषण, एनटीपीसी के ईडी प्रशांत कश्यप एवं त्रिवेणी सैनिक प्राइवेट लिमिटेड के ए सुब्रमण्यम की उपस्थिति में शांतिपूर्वक शुरू किया गया.

हजारीबाग (सलाउद्दीन) : हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में एनटीपीसी कोयला खदान में 76 दिनों के बाद खनन कार्य शुरू हुआ. उत्खनन कार्य 2 सितंबर 2020 से बंद था. आज बुधवार को कोयला खनन का कार्य उपायुक्त आदित्य कुमार आनंद, एसपी कार्तिक, एसडीओ विद्याभूषण, एनटीपीसी के ईडी प्रशांत कश्यप एवं त्रिवेणी सैनिक प्राइवेट लिमिटेड के ए सुब्रमण्यम की उपस्थिति में शांतिपूर्वक शुरू किया गया.

एनटीपीसी के ईडी प्रशांत कश्यप ने बताया कि चिरुडीह बरवाडी माइंस से प्रतिदिन 35000 टन कोयला का उत्खनन होता है. 76 दिनों में 26 लाख 60 हजार टन कोयला का उत्खनन नहीं हो सका. अब विधिवत रूप से उत्खनन कार्य शुरू हो गया है. 2 दिनों के अंदर माइंस में लक्ष्य के अनुसार 35 हजार टन उत्पादन शुरू हो जाएगा.

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केंद्र सरकार के ऊर्जा विभाग के सचिव और झारखंड सरकार के मुख्य सचिव के बीच एनटीपीसी कोयला खनन को लेकर पिछले दिनों बैठक रांची में हुई थी. केंद्र सरकार का राज्य सरकार पर काफी दबाव था कि उत्खनन कार्य शुरू कराएं. राज्य सरकार की ओर से पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई गई थी. उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त कमल जॉन लकड़ा कमेटी के अध्यक्ष थे. बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद समेत कमेटी में तीन अन्य सदस्यों को रखा गया था. इस कमेटी ने भी विस्थापित मोर्चा के साथ कई दौर की बैठकें की.

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हजारीबाग जिला प्रशासन ने उत्खनन कार्य को शुरू कराने में काफी सराहनीय भूमिका निभाई है. बिना हंगामा के उत्खनन कार्य शुरू हो गया है. इससे जिला प्रशासन और राज्य सरकार के आला अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. आपको बता दें कि बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न 18 स्थानों पर विस्थापित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले जनता आंदोलन कर रही थीं बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद. आंदोलन का नेतृत्व करते हुए जनता के हित में कई मांगों को उन्होंने रखा था. भूमि मुआवजा दर बढ़ाने, विस्थापितों के पुनर्वास की व्यापक व्यवस्था एवं स्थानीय लोगों को रोजगार देने समेत कई मांग जनता की ओर से रखा गया था.

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जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों से मिलकर उनकी मांगों पर कई दौर की बैठकें कीं. जिला प्रशासन की ओर से सदर एसडीओ एवं अन्य अधिकारियों ने कई बार विस्थापित संघर्ष मोर्चा के आंदोलनकारियों के साथ वार्ता किया था. जिला अधिकारी के कक्ष में भी आंदोलनकारियों और एनटीपीसी के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर बारी-बारी से धरना प्रदर्शन समाप्त हुआ. इसके बाद यह स्थिति बनी कि उत्पादन कार्य शुरू हो सका.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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