पटना : नीचे के तीन मामले ऐसे हैं जो ऑनलाइन वॉलेट और शॉपिंग एप से हो रही धोखाधड़ी के बारे में इंगित कर रहे हैं. ये तीन केस स्टडी हैं. साइबर सेल में इन दिनों ठगी के ऐसे मामलों की शिकायत खूब दर्ज हो रही है. यदि आप भी जागरूक नहीं रहे तो थोड़ी सी लापरवाही के कारण आप भी ठगी के शिकार बन जायेंगे. विशेषज्ञों के मुताबिक गैर जरूरी मोबाइल एप डाउनलोड करने के शौकीन लोगों के साथ धोखाधड़ी के मामले ज्यादा आ रहे हैं. इन एप से डाटा लीक हो रहे हैं और उसे थर्ड पार्टी को बेचा जा रहा है जिसे धंधेबाज भुना रहे हैं…
केस 1: बिहार की राजधानी पटना में पढ़ने आये एक लड़के ने शॉपक्लूज नामक शॉपिंग मोबाइल एप से कुछ सामान का आर्डर किया. इसके बाद उसे मैसेज मिला और कुछ दिन बाद कॉल आया. उसे बताया गया कि आप एक कार जीत सकते हैं. इसके बदले में आप 12 लाख रुपये का कैश भी जीत सकते हैं फिर उससे जीएसटी और टैक्स के नाम पर करीब 30 हजार रुपये मांगे गये. उस लड़के ने भी शॉपिंग साइट पर भरोसा कर उसे पैसे भेज दिया. इसके बाद कॉल करने वाले का नंबर बंद हो गया फिर उसे ठगे जाने का एहसास हुआ.
केस 2:वॉलेट बेस्ड मोबाइल एप पेटीएम से जुड़ी एक शिकायत दूसरे तरह की है. मोबाइल वॉलेट में बैलेंस डालने के क्रम में एक व्यक्ति के अकाउंट से रुपये का डिडक्शन बैंक खाते से हुआ लेकिन वह वॉलेट में नहीं आ सका. इस दौरान उसने अपने बैंक में शिकायत की, वहां से जवाब मिला कि वॉलेट को भेज दिया गया है. उसने बैंक और अपने वॉलेट के कस्टमर केयर में फोन किया. समाधान नहीं हुआ है तो उसने साइबर सेल पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करायी है.
केस 3: इसी सप्ताह एक बुजूर्ग के रिश्तेदार अपने अकाउंट से पेटीएम में पैसे डालने की कोशिश कर रहे थे. मगर यह उनसे हो नहीं पा रहा था फिर उन्होंने पेटीएम के कस्टमर केयर में फोन किया. कस्टमर केयर ने फोन नहीं उठाया, मगर अगले ही मिनट एक अनजान नंबर से फोन आया, वह कह रहा था मैं पेटीएम से बोल रहा हूं. मदद के नाम पर उसने पीसी शेयरिंग वाला सॉफ्टवेयर अपलोड करवाया और उनके अकाउंट से 48 हजार लेकर गायब हो गया.
एनीडेस्क एप को भूलकर भी नहीं करें डाउनलोड
यदि आप मोबाइल फोन या नेट बैंकिंग से ट्रांजेक्शन करते हैं तो सावधान हो जाएं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने प्लेस्टोर और एपस्टोर पर मौजूद एनीडेस्क एप (Any Desk App) को डाउनलोड करने से मना कर दिया है. आरबीआइ के अनुसार, यह एप आपके बैंक खातों और वॉलेट में मौजूद पैसों को मिनटों में उड़ा सकता है. आरबीआइ का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से यूपीआई प्लेटफॉर्म पर लेन-देन करने वालों के साथ धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं. हैकर्स मोबाइल फोन को रिमोट एक्सेस पर लेकर बैंक खाते से पैसे उड़ा दे रहे हैं. इसे लेकर बैंकों को जागरूकता फैलाने के भी निर्देश दिये गये हैं.
आपके खाते से ऐसे गायब होते हैं पैसा : आरबीआइ के अनुसार, इस ऐप को डाउनलोड करने का सुझाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये मिलता है. ऐप के डाउनलोड होती है यह आपको एक 9 डिजिट का कोड देता है. इसके बाद धोखाधड़ी करने वाले आपसे यह कोड ले लेंगे. फिर ऐप पर आपसे परमिशन मांगी जाएगी. जैसे ही आप अप्रूव करेंगे आपके फोन का रिमोट एक्सेस हैकर हो मिल जाएगा. फिर वह मोबाइल में पहले से मौजूद बैंकिंग ऐप से आपका पैसा गायब कर देगा.
इन सब बातों का रखें ध्यान
साइबर अपराध के मामलों के एक्सपर्ट एसपी सुशील कुमार कहते हैं कि सबसे पहले आप इंटरनेट पर अंजान लोगों से बातचीत न करें, अंजान लोगों के इ-मेल का जवाब न दें. इंटरनेट इस्तेमाल करते समय अपनी निजी जानकारी किसी अज्ञात व्यक्ति से साझा न करें. यही नहीं किसी भी अनजान व्यक्ति को मोबाइल पर अपने बैंक संबंधी कोई भी जानकारी न दें. क्रेडिट-डेबिट कार्ड नंबर से लेकर वन टाइम पासवर्ड या एटीएम नंबर की जानकारी न दें. यह जानिए कि आरबीआइ के निर्देशों के तहत कोई भी बैंक फोन पर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मांगता है. बैंकिंग या फिर इ-वॉलेट इस्तेमाल करने के लिए अलग नंबर रखें, जबकि बातचीत के लिए दूसरा बैंकिंग से जुड़ा कोई भी एप डाउनलोड करने में भी सावधानी बरतें, कोशिश रहे कि बैंक के दिये लिंक से सही एप ही डाउनलोड करें.
साइबर सेल : दर्ज हो रहे हैं ठगी के कई नये ट्रेंड
मोबाइल वॉलेट से डाटा लीक और फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए आरबीआइ ने कई कदम उठाये हैं. इसके बारे में जानकारी अवश्य रखें. रिजर्व बैंक ने इसी साल जारी अपनी गाइड लाइन में कहा है कि मोबाइल वॉलेट से किसी भी तरह के अवैध ट्रांजेक्शन पर उपभोक्ता की जिम्मेदारी नहीं होगी और उसे फर्जीवाड़े की रकम चुकाने से राहत मिलेगी. बैंक या वॉलेट कंपनी की लापरवाही से उपभोक्ता के मोबाइल वॉलेट से अवैध लेनदेन होता है तो उपभोक्ता को फर्जीवाड़े की रकम नहीं चुकानी पड़ेगी.
फर्जीवाड़े के तीन दिनों के भीतर शिकायत जरूरी
उपभोक्ता अवैध लेनदेन की शिकायत अगर समय पर नहीं करता है या उसके मोबाइल वॉलेट से अवैध ट्रांजेक्शन उसकी गलती से हुआ है तो ऐसी स्थिति में फर्जीवाड़े की रकम उसे ही चुकानी होगी. इसलिए जरूरी है कि उपभोक्ता इसकी शिकायत तीन दिनों के भीतर करे. अगर वह चार से सात दिन में इसकी शिकायत करता है तो 10 हजार रुपये तक के फर्जीवाड़े की रकम संबंधित वॉलेट या बैंक को चुकानी होगी.