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ब्रह्मांड के बाहर पहुंचा न्यू होराइजंस, सौरमंडल की उत्पत्ति का लगायेगा पता
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान न्यू होराइजंस एक जनवरी को ब्रह्मांड के बाहर पहुंच गया. भारतीय समयानुसार सुबह 11:03 बजे न्यू होराइजंस सौरमंडल के बाहरी हिस्से कुइपर बेल्ट में स्थित अल्टिमा थूले नाम के पिंड के करीब से सफलतापूर्वक गुजरा. इसके बाद यान ने पृथ्वी से संपर्क साधा. जिस समय इस स्पेसक्राफ्ट से […]
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान न्यू होराइजंस एक जनवरी को ब्रह्मांड के बाहर पहुंच गया. भारतीय समयानुसार सुबह 11:03 बजे न्यू होराइजंस सौरमंडल के बाहरी हिस्से कुइपर बेल्ट में स्थित अल्टिमा थूले नाम के पिंड के करीब से सफलतापूर्वक गुजरा. इसके बाद यान ने पृथ्वी से संपर्क साधा. जिस समय इस स्पेसक्राफ्ट से संपर्क हुआ, उस समय वह पृथ्वी से 6.5 अरब किलोमीटर दूर था. यान ने वहां से तस्वीरें भी भेजीं.
छह घंटे लगे पृथ्वी तक सिग्नल पहुंचने में
अंतरिक्ष यान से भेजे गये रेडियो संदेश स्पेन के मैड्रिड में लगे नासा के एंटेना में पकड़े गये. इन संदेशों को पृथ्वी और अल्टिमा के बीच लंबी दूरी को तय करने में छह घंटे और आठ मिनट का समय लगा. सिग्नल रिसीव होते ही जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की लैबोरेटरी में जश्न मनाया गया.
कुइपर बेल्ट
सौर मंडल जहां सूर्य की रौशनी नहीं के बराबर पहुंचती है, उसे कुइपर बेल्ट कहा जाता है. कुइपर बेल्ट में ही प्लूटो है. पूूरा कुइपर बेल्ट जमे हुए पिंडों से बना है. यहां अरबों की संख्या में छोटे-बड़े मलबे या पिंड मौजूद हैं. यहां तापमान बहुत कम है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचने के कारण यहां पर रासायनिक प्रक्रिया लगभग न के बराबर हुई है. अत: इन पिंडों पर उपस्थित तत्व अपनी मूल अवस्था में है. वैज्ञानिक वास्तविक तत्वों का अध्ययन करना चाहते हैं, जो बिग बैंग के बाद सूर्य से अलग होकर सौरमंडल में फैल गयी थी.
भारत के श्याम भास्करन भी जुड़े हैं मिशन से
भारत के श्याम भास्करन नासा के ऐतिहासिक फ्लाइबाय मिशन का हिस्सा हैं. भास्करन नासा की जेट प्रोप्लशन लैबरेटरी में काम करते हैं.
मिशन में चुनौतियों पर भास्करन ने कहा कि यह आसान नहीं है, क्योंकि इससे पहले तक नासा किसी ऐसी चीज के पास नहीं गया, जिसके बारे में जानकारी ही नहीं थी. भास्करन ने बताया कि अल्टिमा थुले को ढूंढना ही अपने आप में चुनौती भरा काम होनेवाला था. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि सौर मंडल की उत्पत्ति कैसे हुई. यह पहला मिशन है जिसमें कोई अंतरिक्ष यान सौरमंडल के बाहर गया है. भास्करन का जन्म 1963 को मुंबई के माटुंगा में हुआ था.
अल्टिमा थूले एक लैटिन मुहावरा है जिसका अर्थ है दुनिया की जानकारी से परे
01 जनवरी, 2019 को भेजी पहली तस्वीर, अंतिम मिलेगी सितंबर, 2020 में
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष के आठ ग्रहों के आगे के विराट और अत्यंत ठंडे क्षेत्र में ही इस बात का राज छिपा है कि 4.5 अरब वर्ष पहले हमारा सौर परिवार किस तरह अस्तित्व में आया
15,000 लोगों ने 34,000 नाम जमा किये थे अल्टिमा के नामकरण के लिए
29 नाम बचे थे अंतिम चरण में अंत में अल्टिमा थूले का चयन 40 लोगों ने किया था प्रस्तावित
अल्टिमा करेगा सौर मंडल के निर्माण का खुलासा
अभियान के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर स्टर्न एलन कहते हैं कि हम अल्टिमा के बारे में जो कुछ जानेंगे, उससे हमें पता चलेगा कि सौर मंडल का निर्माण किन चीजों से और कैसे हुआ. अब से पहले हमने जिन भी पिंडों पर उपग्रह भेजे हैं या जिनके पास से हमारे स्पेसक्राफ्ट गुजरे हैं, उनसे हमें यह जानकारी नहीं मिल पायी क्योंकि वे या तो बहुत बड़े थे या फिर गरम थे. सोलर सिस्टम के आंतरिक हिस्से में पिंडों के आपस में टकराने की कई घटनाएं हुई हैं मगर काइपर बेल्ट में अपेक्षाकृत कम टक्करें हुई हैं. अल्टिमा इनसे अलग है.
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