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टाटा मोटर्स और महिंद्रा को मिला पीएलआई भुगतान के लिए सर्टिफिकेट, सरकार ने योजना का किया विस्तार

पीएलआई भुगतान के लिए प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा दो और वाहन निर्माता कंपनियों ने आवेदन किया था. कार निर्माताओं के लिए केंद्र से प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए प्रमाणपत्र महत्वपूर्ण है.

नई दिल्ली : भारत की वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा को पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना के तहत भु्गतान के लिए सर्टिफिकेट मिला है. इसका अर्थ यह है कि ये दोनों वाहन बनाने वाली कंपनियां जल्द ही केंद्र सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से प्रोत्साहन प्राप्त करने में सक्षम होंगे. इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने पीआईएल योजना की समयसीमा को मार्च, 2028 तक के लिए एक और साल के लिए बढ़ाने की घोषणा की है. केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने घोषणा की है कि ऑटो सेक्टर के लिए 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को समीक्षा के बाद बढ़ा दिया गया है.

दो और कंपनियों ने किया था आवेदन

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीएलआई भुगतान के लिए प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा दो और वाहन निर्माता कंपनियों ने आवेदन किया था. कार निर्माताओं के लिए केंद्र से प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए प्रमाणपत्र महत्वपूर्ण है. सरकार को उम्मीद है कि अगले महीने तक 23 और कंपनियां प्रमाणन के लिए आवेदन करेंगी. पीएलआई योजना के लिए प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए आवेदन करने वाली अन्य ऑटो कंपनियों में टोयोटा मोटर, ओला इलेक्ट्रिक और टीवीएस मोटर शामिल हैं. कुल मिलाकर अब तक आवेदन किए गए 23 मॉडलों में से केवल 12 को मंजूरी दी गई है.

टाटा मोटर्स के चार और महिंद्रा के आठ मॉडलों को मंजूरी

टाटा मोटर्स को अपने चार मॉडलों के लिए मंजूरी मिल गई है, जो पीएलआई योजना के तहत योग्य होंगे. महिंद्रा एंड महिंद्रा के आठ मॉडल पीएलआई भुगतान के लिए स्वीकृत हैं. दोनों ने 10-10 मॉडल के लिए आवेदन किया था. हालांकि, इन दोनों कंपनियों अथवा सरकार की ओर से इन मॉडल्स के नाम का अभी आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया गया है. टाटा मोटर्स ने इस योजना में शामिल होने के लिए अपने इलेक्ट्रिक वाहनों में टियागो ईवी को शामिल किया था.

क्या है पीएलआई योजना

बता दें कि भारत में ऑटो सेक्टर के लिए उन्नत ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) उत्पादों की निर्धारित बिक्री के लिए उत्पाद-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना को लागू किया है. अप्रैल, 2022 से शुरू हुई यह योजना पहले 2027 में खत्म होनी थी. अब केंद्र सरकार ने इसका एक साल तक विस्तार करते हुए इसकी समयसीमा 2028 तक निर्धारित कर दिया है. इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों पर मुख्य ध्यान देने के साथ स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना है.

पीएलआई के दो भाग

पीएलआई योजना दो भागों में पेश की गई है. पहला है चैंपियन ओईएम, जिसमें कार निर्माता शामिल हैं, जो इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों का उत्पादन करेंगे. हुंडई मोटर, बजाज ऑटो, सुजुकी और हीरो मोटोकॉर्प जैसी ऑटो दिग्गज कंपनियां इसके लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं. दूसरा कंपोनेंट चैंपियंस है, जिसमें उच्च-मूल्य और उच्च-तकनीकी घटकों के निर्माता शामिल होंगे.

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सियाम ने पीएलआई योजना के विस्तार का किया स्वागत

उधर, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने बुधवार को वाहन क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को एक साल तक बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है. वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने एक बयान में इस फैसले के लिए भारी उद्योग मंत्रालय को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि सरकार ने 25,938 करोड़ रुपये की वाहन पीएलआई (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) योजना के विस्तार के लिए उद्योग के सुझावों को स्वीकार किया है. उन्होंने ‘वित्तीय प्रोत्साहनों के तिमाही वितरण, तेजी से मंजूरी के लिए अधिक परीक्षण एजेंसियों का इंतजाम करने और उद्योग के अनुरोध पर पीएलआई लाभ को एक साल तक बढ़ाने के लिए मंत्रालय की सराहना की. इस विस्तार के बाद यह योजना, जो मूल रूप से 2022-23 से 2026-27 तक थी, अब 2027-28 तक प्रभावी रहेगी.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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