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घर में प्रसव कराने के मामले बढ़े

जलपाईगुड़ी. पिछले कुछ महीनों के दौरान जिले में घर में ही प्रसव कराने के मामले बढ़ गये हैं. एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन महीनों के दौरान 33 गर्भवती महिलाओं ने अपने बच्चे को घर में ही जन्म दिया है. यह आंकड़ा सामने आने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है. उनका […]

जलपाईगुड़ी. पिछले कुछ महीनों के दौरान जिले में घर में ही प्रसव कराने के मामले बढ़ गये हैं. एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन महीनों के दौरान 33 गर्भवती महिलाओं ने अपने बच्चे को घर में ही जन्म दिया है. यह आंकड़ा सामने आने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है. उनका मानना है कि घर में प्रसव कराना जच्चा और बच्चा दोनों के लिए बेहद खतरनाक है.

गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल में आने को लेकर जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं. उसके बाद भी इस प्रकार का मामला बढ़ना चिंता का विषय है. इसको लेकर जिले के सीएमओएच ने यहां आशा कर्मियों को लेकर एक बैठक की. जलपाईगुड़ी सदर अस्पताल के कांफ्रेंस हॉल में आयोजित इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि जिला अस्पताल में प्रति वर्ष करीब 50 हजार गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को जन्म देती हैं. पिछले कुछ महीनों में इस संख्या में कमी आ रही है. देखा जा रहा है कि ग्रामीण इलाके के लोग गर्भवती महिला को निकटतम सरकारी अस्पताल नहीं ले जाते हैं. घर में ही प्रसव कराया जाता है.

ऐसे मामले में बच्चे तथा उसकी मां के स्वास्थ्य में गिरावट देखी गई है. आशा कर्मियों को बताया गया कि वह घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने के लिए सरकारी अस्पताल जाने के लिए कहें. यहां पूरी चिकित्सा मुफ्त होती है. जिले के सीएमओएच जगन्नाथ सरकार ने बताया है कि जलपाईगुड़ी जिले में 16 डिलेवरी सेंटर है. उसके बाद भी गर्भवती महिलाएं यहां क्यों नहीं आती, उस पर विचार आवश्यक है.

उन्होंने आशा कर्मियों को सजग रहने की भी हिदायत दी. श्री सरकार ने कहा कि आशा कर्मियों की नियुक्ति ही इस बात को लेकर होती है कि वह ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं की जानकारी प्राप्त करें और उन्हें सरकारी सरकारी अस्पताल जाने के लिए प्रेरित करें. उसके बाद भी घर में प्रसव कराने जैसी घटना घट रही है. उन्होंने कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने वाली आशा कर्मियों को भी सचेत किया.

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